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महापरिनिर्वाण दिवस : जब अंबेडकर ने कहा, 'मैं हिंदू के रूप में पैदा जरूर हुआ, मगर ...'

पढ़ने-लिखने, बागवानी करने, वायलिन बजाने और कुत्ते पालने के शौकीन डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..B R Ambedkar Death Anniversary, Mahaparinirvan Diwas, Bhim Bhoomi, Chaitya Bhoomi, DeekshaBhumi, Bhim Rao Ambedkar.

Mahaparinirvan Diwas
महापरिनिर्वाण दिवस

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 5, 2023, 6:48 PM IST

हैदराबाद : 'दलितों के मसीहा', 'भारत के संविधान निर्माता' सहित कई उपनामों से ख्यातिप्राप्त जानेमाने शिक्षाविद् डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित महू (अम्बेडकर नगर) में 14 अप्रैल 1891 में हुआ था. नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर 1956 में 6 दिसंबर को उनका निधन (पुण्यतिथि) हुआ था. भगवान बुद्ध के निधन को मूल रूप से महापरिनिर्वाणकहा जाता है. जीवन के अंतिम दिनों में करीबन 5 लाख अनुयायियों के साथ डॉ. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया था. इस कारण उनके पुण्यतिथि को 'महापरिनिर्वाण दिवस' के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है. मुंबई के दादर में उनका अंतिम संस्कार किया गया था. यहां उनका समाधि स्थल बनाया गया है. समाधिस्थल को 'चैत्य भूमि' (Chaitya Bhoomi) के नाम से जाना जाता है.

बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर

बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन से जुड़ी मुख्य बातें

  1. बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था.
    'भीम जन्मभूमि
  2. डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जन्मस्थल को 'भीम जन्मभूमि' (Bhim Bhoomi) के नाम से जाना जाता है.
  3. डॉ. अम्बेडकर 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे.
  4. उनका जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के महू (वर्तमान में अम्बेडकर नगर) में हुआ था.
  5. उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था. डॉ. अम्बेडकर जब 6 साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था.
  6. उनके पिता भारतीय सेना में सुबेदार थे. जब डॉ. अम्बेडकर 2 साल के थे तो उनके पिता सेवानिवृत थे.
    डॉ भीमराव अम्बेडकर
  7. डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जिस सरकारी स्कूल से पढ़ाई की शुरूआत की थी, आज के समय में उसका नाम प्रताप सिंह हाईस्कूल है.
  8. यह स्कूल महाराष्ट्र के सतारा में है. साल 1900 में 7 नवंबर को उन्होंने इस स्कूल में एडमिशन लिया था. यहां उन्होंने पहली से चौथी कक्षा तक की पढ़ाई की. इसी बीच उनके मां की मौत के बाद उनकी चाची ने उन्हें संभाला.
  9. 1907 में डॉ अम्बेडकर ने मैट्रीक की परीक्षा पास की.
  10. मैट्रिक परीक्षा के बाद ही 1907 में डॉ अम्बेडकर की शादी हो गई थी.
  11. इसके बाद उन्होंने स्नातक की पढ़ाई एल्फिंस्टन कॉलेज बॉम्बे से की.
  12. स्नातक करने के लिए उन्हें बड़ौदा के महराज सयाजीराव गायकवाड़ से छात्रवृति मिली हुई थी.
  13. 1913 में डॉ. अम्बेडकर को उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने के लिए चुना गया था.
    डॉ भीमराव अम्बेडकर
  14. 1915 में उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की.
  15. 1916 में उन्होंने अमेरिका स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय से ही पीएचडी की पढ़ाई पूरी की.
  16. 'भारत के लिए राष्ट्रीय लाभांस एक ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन'उनका पीएचडी थीसिस का टॉपिक था.
  17. कोलंबिया विश्वविद्यालय में डॉ. अम्बेडकर की जीवनी को पढ़ाया जाता है. यही नहीं उनके नाम से एक पीठ (चेयर) भी है.
    चैत्य भूमि
  18. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त की.
  19. 1952 में भारत के संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उन्हें एलएलडी की डिग्री से सम्मानित किया.
  20. 12 जनवरी 1953 में उस्मानिया विश्वविद्यालय ने डॉ. बीआर अम्बेडकर को पीएचडी की डिग्री से सम्मानित किया.
  21. डॉ अम्बेडकर किताबें पढ़ने व संग्रह करने के काफी शौकीन थे. उनके निधन के समय उनके पास उन दिनों 35000 किताबों का संग्रह था.
  22. किताबों से उनका प्रेम कुछ इस तरह का था की वे किसी को भी उधार में किताबें पढ़ने के लिए नहीं देते थे. उनके बारे में एक और दिलचस्प बात है कि पढ़ाई के लिए वे किसी भी लाइब्रेरी में नहीं गये.
  23. डॉ. अम्बेडकर पढ़ने, बागवानी और कुत्ते पालने के शौकीन थे.
  24. 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में डॉ. अम्बेडकर ने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म को अपना लिया था. इस स्थल को 'दीक्षाभूमि' (DeekshaBhumi) कहा जाता है.
    दीक्षाभूमि
  25. 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया. उनकी पुण्यतिथि को देश भर में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है.

महापरिनिर्वाण से कुछ माह पहले अपनाया था बौद्ध धर्म
नासिक जिले में 13 अक्टूबर 1935 को दलित वर्गों का एक प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस दौरान उन्होंने कहा 'मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ लेकिन मैं एक हिंदू के रूप में नहीं मरुंगा.' इसके बाद 1936 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी महार सम्मेलन के दौरान भी उन्होंने हिंदू धर्म त्यागने की वकालत की. नेपाल स्थित काठमांडू में बौद्ध भिक्षुओं की ओर से आयोजित जगतिक बौद्ध धर्म परिष्द में डॉ अम्बेडकर को 'बोधिसत्व' की उपाधि से नवाजा गया. सबसे बड़ी बात यह कि जीवित रहते हुए डॉ अम्बेडकर को 'बोधिसत्व' से सम्मानित किया गया. नागपुर में एक ऐतिहासिक समारोह के दौरान 14 अक्टूबर 1956 को डॉ. अम्बेडकर ने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म को अपना लिया. इसके कुछ माह के भीतर 6 दिसंबर 1956 को नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया.

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