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ईटीवी भारत के सामने किसानों का छलका दर्द, बोले- HZL ने जमीन को कर दिया बंजर

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) (एनजीटी) ने भीलवाड़ा जिले में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन (Environmental Norms Violations at Bhilwara Villages) करने पर वेदांता ग्रुप के हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Limited In Rajasthan) को 25 करोड़ रूपये की क्षति पूर्ति का निर्देश दिया है. जिले के हुरडा पंचायत समिति क्षेत्र के आगूचा ग्राम पंचायत क्षेत्र में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की यूनिट है. यहां के किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से प्रदूषित पानी के रिसाव के कारण क्षेत्र में जल प्रदूषित हो गया. जंगल और जमीन बंजर हो गई है.

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Published : Feb 9, 2022, 7:38 PM IST

भीलवाड़ा : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Vedanta Group Firm HZL) को पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के मामले (anvironmental law violation by HZL) में 25 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति (Compensation Of rupees 25 Crore On HZL) का निर्देश दिया है. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने HZL को तीन महीने के अंदर यह क्षतिपूर्ति राशि भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर के समक्ष जमा करवाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही तीन सदस्य की कमेटी का गठन किया गया है, जो क्षेत्र में आकलन कर इस समस्या का निराकरण करेगी.

NGT की ओर से हिंदुस्तान जिंक को इस आदेश के बाद ईटीवी भारत की टीम हुरडा पंचायत समिति क्षेत्र के आगूचा ग्राम पंचायत पहुंची, जहां HZL स्थित (Hindustan Zinc Limited In Rajasthan) है. HZL के चारों तरफ खदान से निकले मलबे से बड़े-बड़े कृत्रिम पहाड़ नजर आ रहे हैं. कोठिया ग्राम पंचायत क्षेत्र में कृत्रिम पहाड़ के ऊपर एक बड़ा तालाब बना रखा है, जिससे प्रतिदिन पानी का रिसाव होने के कारण किसानों की जमीन बंजर हो गई है. क्षेत्र के किसानों का ईटीवी भारत के सामने दर्द छलक पड़ा. बड़ी उम्मीद के साथ जिन किसानों ने रबी की फसल के रूप में सरसों व चने की की बुवाई की थी. वह फसल भी आधी समाप्त हो चुकी है.

किसानों ने ETV Bharat से साझा किया दर्द

क्षेत्र के किसानों ने पूर्व में राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत (Complaint againt HZL On Rajasthan Sampark Portal) की थी. जहां शिकायत की जांच करने जिले के फूलियाकला तहसीलदार ने भी मौका मुआयना किया था. उन्होंने भी माना कि पानी के रिसाव के कारण जमीन खराब हो गई ओर फसल चौपट हो गई.

क्षेत्र के कोठीया गांव के किसान सलीम जिनका खलियान हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की तलहटी में है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से पर्यावरण का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे खलियान के पास बड़े-बड़े कृत्रिम पहाड़ बन गए हैं. हम खेत में काम करते हैं तभी भी हमेशा पत्थर गिरने का डर रहता है.

इन कृत्रिम पहाड़ के ऊपर प्रदूषित पानी का तालाब स्टोरेज कर रखा है. जिसमें से प्रतिदिन पानी का रिसाव होने के कारण हमारी जमीन ऊसर (बंजर) हो गई है. यहां तक कि जमीन की मिट्टी भी गीली रहती है. जिसके कारण से खेत में हम जो फसल बोते हैं, वह उगने के बाद समाप्त हो जाती है. कुछ जगह तो बीज भी नहीं उगता है. उन्होंने कहा कि इस बार मैंने बड़ी उम्मीद के साथ चने की फसल बोई, वह आधे खेत में अभी समाप्त हो गई है.

पढ़ें :वेदांता ग्रुप के हिंदुस्तान जिंक ने किया पर्यावरण नियमों का उल्लंघन, देने होंगे 25 करोड़ रुपए

किसान सलीम ने कहा कि भले ही अभी वर्षा ऋतु नहीं है. लेकिन, खलियान की मिट्टी गीली नजर आ रही है. उन्होंने प्रशासन पर भी आरोप लगाया कि हमने बार-बार स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन से गुहार लगाई. लेकिन कोई हमारी नहीं सुनता. आरोप लगाया कि हिंदुस्तान जिंक के अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करवाने पर वह हमें उल्टा डांटते हुए किसी मामले में फंसाने की धमकी देते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन की HZL के साथ मिलीभगत है. इस वजह से मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. सलीम के साथ ही उनके भाई ने कहा कि हमने बार-बार शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई निराकरण नहीं हुआ है. कृत्रिम पहाड़ पर टेलिंग डैम बना रखा है, जिससे पानी का प्रतिदिन रिसाव होता है और नीचे तलहटी में पानी एकत्रित होता है.

उसको डीजल पंपसेट से वापस HZL के परिसर में भेजते हैं. फिर भी यहां हमेशा पानी रिसता रहता है. इसका कोई ठोस समाधान नहीं है. उन्होंने बताया कि मैंने 9 बीघा जमीन में चने की फसल बोई है, लगभग आधी फसल खत्म हो गई. हमारी प्रशासन व सरकार से मांग है कि इस समस्या का तुरंत निराकरण करवाते हुए हमारी फसल का हर्जाना दिलवाया जाए.

एक अन्य किसान ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से पर्यावरण के प्रति खिलवाड़ किया जा रहा है. हमेशा पौधे लगाने के दावे करते हैं. लेकिन चारों तरफ सिर्फ अंग्रेजी बबूल लगे हुए हैं. इनकी तस्वीर खींचकर ही यह आगे अधिकारियों को बताते हैं, जबकि धरातल पर कोई पौधा नहीं लगा हुआ है.

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