उज्जैन: ऐसी मान्यता है कि महाकाल के केवल दर्शन से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. बाबा की भस्म आरती में सभी संताप भस्म हो जाते हैं. कोरोना काल में भक्त महाकाल के दर्शन नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब भक्त और भगवान की दूरी खत्म होने वाली है. आने वाली 15 मार्च से भोलेनाथ के भक्त फिर से भस्म आरती के दर्शन कर सकेंगे. आने वाले समय में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र का विकास होगा.
भक्तों की मनोकामना होगी पूरी भस्म आरती में भस्म होंगे संताप
कहते हैं बाबा महाकाल की भस्म आरती में सभी संताप भस्म हो जाते हैं. लंबे इंतजार के बाद महाकाल के भक्तों की प्रतीक्षा समाप्त होने जा रही है. आने वाली 15 मार्च से महाकाल की भस्मारती में भोले के भक्त फिर से शामिल हो सकेंगे. 8 महीने बाद विश्व विख्यात ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के पट भक्तों के लिए फिर से खुलने जा रहे हैं. कोरोना संक्रमण के कारण मार्च 2020 से मंदिर की भस्म आरती में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद था. सूर्योंदय से पहले होने वाली भस्म आरती अभी सिर्फ पुजारी ही कर रहे हैं.
भस्म आरती का रहस्य
पुराणों के मुताबिक उज्जैन में महाराज चंद्रसेन का शासन था. एक बार राजा रिपुदमन ने चंद्रसेन के महल पर हमला बोल दिया .राक्षस दूषण के माध्यम से प्रजा को बहुत प्रताड़ित किया. तब उज्जैन वासियों ने महादेव से मदद की गुहार लगाई. महादेव ने उनकी पुकार सुनी और खुद आकर उस राक्षस का अंत किया. साथ ही राक्षण दूषण की राख से अपना श्रृंगार किया और हमेशा के लिए वहां बस गए. इसलिए इस जगह का नाम पड़ा महाकालेश्र्वर और शुरू हो गई महादेव की भस्म आरती.
काशी विश्वनाथ की तर्ज पर होगा महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र का विकास
महाकालेश्वर मंदिर का विकास काशी विश्वनाथ की तर्ज पर होगा . विकास कार्यों के लिए प्राधिकरण बनाने की बजाए महाकाल मंदिर समिति को अधिनियम में संशोधन कर मजबूत किया जाएगा.
मंदिर को और भव्य बनाया जाएगा
आम दिनों में रोजाना मंदिर के सामने शिखर दर्शन के लिए सैकड़ों भक्त सुबह शाम इकट्ठा होते हैं. साथ ही मंदिर मंदिर प्रांगण में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. योजना में इसका विशेष ध्यान रखा गया है. कि प्रांगण में मूवमेंट और मंदिर के बाहर व्यवस्थित तरीक से भक्त शिखर दर्शन कर सकें, इसके लिए मंदिर को दोगुना बड़ा किया जाएगा. चौड़ाई को 70 मीटर तक करने में कुछ दुकानें और मकान बीच में आ रहे हैं. उन्हें योजनाबद्ध तरीके से मुआवजा और जगह दी जाएगी. इसके बाद चौड़ाई को 500 मीटर तक बढ़ाया जाएगा. इसके लिए एक बस्ती को हटाए जाने की योजना है.
सुविधाओं का होगा विस्तार
मंदिर की विकास योजना में भक्तों की सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. मंदिर के प्रवेश और निकासी, फ्रंटियर यार्ड, नंदी हॉल का विस्तार, महाकाल थीम पार्क, महाकाल कॉरिडोर, धर्मशाला, रुद्रसागर की लैंड स्केपिंग, रामघाट मार्ग का सौंदर्यीकरण, पर्यटन सूचना केंद्र, रुद्र सागर झील का रेनोवेशन, हरि फाटक पुल, यात्री सुविधाओं और अन्य सुविधाओं का निर्माण और विस्तार किया जाएगा.
महाकाल विकास योजना
बारह ज्योतिर्लिंग में से महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन को और सुखद बनाने के लिए सरकार ने 'महाकाल विकास योजना' तैयार की है. योजना पर काम शुरु हो चुका है. काम पूरा होने पर मंदिर का क्षेत्रफल 8 से 10 गुना बढ़ जायेगा.
राम मंदिर की तर्ज पर महाकाल मंदिर क्षेत्र विकास के लिए दान दे सकेंगे भक्त
अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए जिस तरह भक्त समर्पण निधि दान कर रहे हैं, उसी तरह महाकालेश्वर मंदिर के लिए भी भक्त दान दे सकते हैं. मंदिर समिति ने इसके लिए बैंक खाते का नंबर सार्वजनिक किया है. श्रद्धालु ऑनलाइन और चेक से दान दे सकते हैं. भक्तों की भावना को देखते हुए मंदिर समिति ने बैंक ऑफ इंडिया की महाकाल शाखा में खाता खोला है. विभिन्न योजनाओं में दान करने पर दानदाताओं को इनकम टैक्स में छूट का लाभ भी मिलेगा.
महाकाल की महिमा
महाकाल में स्थित महादेव का शिवलिंग दुनिया में सबसे अनोखा है .यह विश्व का एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां दक्षिणमुखी शिवलिंग है. पुराणों के मुताबिक समुद्र मंथन में कई अमूल्य चीजें निकली थीं. इनमें एक अमृत कलश भी था. देवता नहीं चाहते थे कि अमृत की एक बूंद भी राक्षसों को मिले. इंद्र के इशारे पर उनका पुत्र जयंत अमृत कलश लेकर भागा. उसके पीछे-पीछे राक्षस भी भागे. कलश पर कब्जे के लिए बारह दिनों तक संघर्ष हुआ. इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी में चार जगहों पर गिरीं. हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में अमृत की ये बूंदें गिरी. अमृत बूंदों को इन स्थानों पर बहने वाली पवित्र नदियों ने अपने में मिला लिया था. उज्जैन के किनारे बहने वाली शिप्रा नदी भी इन नदियों में से एक थी.