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वोडाफोन एयरटेल जुर्माना मामला : TDSAT ने सुनवाई से किया इनकार

दूरसंचार न्यायाधिकरण TDSAT ने एक नोटिस जारी कर मंगलवार को उसके समक्ष सूचीबद्ध किसी भी मामले की सुनवाई नहीं करने को कहा. इन मामलों में भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर 3,050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगने का मामला भी शामिल है. पढ़ें पूरी खबर...

वोडाफोन एयरटेल जुर्माना मामला
वोडाफोन एयरटेल जुर्माना मामला

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Published : Oct 26, 2021, 5:32 PM IST

नई दिल्ली :दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसैट (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal - TDSAT) ने मंगलवार को उसके समक्ष सूचीबद्ध किसी भी मामले की सुनवाई नहीं की, जिसमें भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर 3,050 करोड़ रुपये का जुर्माना भी शामिल है.

TDSAT के एक नोटिस में कहा गया, सभी संबंधितों को सूचित किया जाता है कि माननीय न्यायाधिकरण आज यानी 26 अक्टूबर, 2021 को नहीं बैठेंगे. हालांकि, TDSAT नोटिस में कोई कारण नहीं बताया गया है.

न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह (Justice Shiv Kirti Singh) की अध्यक्षता वाली TDSAT की पीठ ने 12 अक्टूबर को मामले को 26 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था, और बैंक गारंटी को "अगली तारीख तक" एनकैश (encash) नहीं करने के लिए कहा था.

बता दें, दूरसंचार विभाग (Department of Telecom - DoT) के अनुसार कंपनियों को 21 अक्टूबर तक जुर्माना भरना था. भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार विभाग के इंटरकनेक्ट मामले ( (Reliance Jio points of interconnect - PoIs) में 3,050 करोड़ रुपये के संचयी दंड (Cumulative penalties) के भुगतान की मांग करने वाले नोटिस को चुनौती देने के लिए दूरसंचार न्यायाधिकरण का रुख किया.

दरअसल, पांच साल पहले 2016 में रिलायंस जियो पॉइंट ऑफ इंटरकनेक्ट (Reliance Jio points of interconnect - PoIs) से इनकार करने पर मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए, सेक्टर रेगुलेटर ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India - Trai) की सिफारिश के आधार पर DoT ने वोडाफोन आइडिया पर 2,000 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल पर 1,050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.

नियामक ने उस समय, उनके दूरसंचार लाइसेंसों को रद्द करने की सिफारिश को यह कह कर रोक दिया था कि इससे उपभोक्ताओं को काफी असुविधा हो सकती है.

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बता दें, दूरसंचार ऑपरेटरों के नेटवर्क को आपस में जोड़ने के लिए PoIs की आवश्यकता होती है. वोडाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने तर्क दिया था कि सेवा डेटा की गुणवत्ता को सिर्फ एक दिन में आंकने के आधार पर जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी और यहां तक ​​कि मानदंडों के अनुसार 30 दिनों की अवधि में इसका औसत निकाला जाता हैं जो कि नहीं किया गया.

ट्राई की सिफारिश रिलायंस जियो की इस शिकायत पर आई थी कि उसके नेटवर्क पर 75 प्रतिशत से अधिक कॉल विफल हो रहे थें क्योंकि पदधारी पर्याप्त संख्या में PoIs जारी नहीं कर रहे थे.

(पीटीआई-भाषा)

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