भरतपुर. अपना घर आश्रम परिजनों से बिछड़े लोगों को उनसे मिलवाने का काम कर रहा (Bharatpur Apna Ghar Ashram) है. आश्रम ने भाई दूज के मौके पर कई भाइयों को अपनी बहनों से तो कई बहनों को अपने भाई से मिलवाया है. ये ऐसे लोग हैं जो मानसिक स्थिति खराब होने के चलते घर से निकल गए, लापता हो गए और आश्रम की टीम को मिल गए. इस अवसर पर ईटीवी भारत अपना घर आश्रम में कई भाई-बहन के मिलन की कहानी लेकर आया है.
दृष्टिबाधित भाई से 5 साल बाद बहन का मिलन :उत्तर प्रदेश के कानपुर के गांव नईपुर निवासी रोहित (29) 5 साल पहले मानसिक स्थिति खराब होने की वजह से घर से निकल गया था. अपना घर आश्रम की टीम को रोहित दिल्ली में पूठ खुर्द में घायल अवस्था में मिला. उसके सिर में कीड़े पड़े हुए थे. वो आंखों से देख नहीं पाता था. रोहित को बझेरा स्थित अपना घर आश्रम लाया गया. आश्रम में उसकी देखभाल और बेहतर उपचार किया गया.
राजस्थान का 'अपना घर आश्रम'... इसके बाद रोहित ने आश्रम की टीम को अपने घर का पता बताया. टीम ने उसके परिजनों को सूचना दी. रोहित के जिंदा और स्वस्थ होने की सूचना पाकर बहन राधा अपने भाई को लेने अपना घर आश्रम पहुंची. वर्षों बाद दिव्यांग भाई को देखकर बहन फूट-फूट कर रो पड़ी. बहन राधा ने बताया कि उन्होंने तो भाई को मृत समझकर उसके मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर दिया था.
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4 साल बाद भाई को लेने पहुंची बहन :पंजाब के गुरदासपुर निवासी बलविंदर 4 साल पहले (Apna Ghar Ashram Reunited brothers and Sisters) मानसिक स्थिति खराब होने के चलते घर से निकल गया था. परिजनों ने कई साल तक उसे ढूंढा लेकिन कहीं पता नहीं चला. बीते दिनों उसकी बहन जसबीर कौर को भाई के दोस्त ने बलविंदर के अपना घर आश्रम में होने की सूचना दी. सूचना मिलते ही जसबीर कौर अपने भाई को लेने अपना घर आश्रम पहुंची और खुशी-खुशी अपने भाई के साथ वापस पंजाब लौट गई.
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ममेरा भाई अपनी बहन को लेने पहुंचा :अंबाला निवासी निक्की उर्फ सविता करीब डेढ़ साल पहले मानसिक स्थिति खराब होने पर घर से लापता हो गई. परिजनों ने काफी तलाश के बाद पुलिस थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई. लेकिन कहीं कोई पता नहीं चला. बीते दिनों बहन के अपना घर आश्रम में होने की सूचना पाकर ममेरा भाई सुरेंद्र उसे लेने पहुंचा और उसे लेकर वापस घर लौट गया.
11 हजार से अधिक भाई-बहनों का मिलन :अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि बीते करीब 22 साल में 23 हजार से अधिक लोगों को उनके परिजनों तक पहुंचाया जा चुका है. इनमें आधे से अधिक ऐसे भाई बहन थे जो वर्षों बाद एक दूजे से मिले. डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम लगातार ऐसे भाई-बहनों और लोगों को अपनों तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास करता रहता है. इसके लिए उनकी टीम सोशल मीडिया, पुलिस थाने, सामाजिक संगठनों के माध्यम से लगातार प्रयासरत है.