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जायडस कैडिला की वैक्सीन का दूसरे चरण का मानव परीक्षण जारी

कोरोना वैक्सीन कैंडिटेड ZyCoV-D के लिए फेज वन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो गया है और दूसरे फेज के लिए ट्रायल फेज टू का क्लिनिकल ट्रायल 6 अगस्त से शुरू किया गया था. पहले चरण के लिए ट्रायल 15 जुलाई को शुरू हुआ था. कंपनी ने 20 दिन के भीतर इस चरण को पार कर लिया है.

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Published : Aug 14, 2020, 11:39 AM IST

Updated : Aug 14, 2020, 1:30 PM IST

Zydus Cadila
दूसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण

गांधीनगर : भारतीय दवा कंपनी जायडस कैडिला ने घोषणा की कि इसने कोविड-19 प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन zycov-D का मानव परीक्षण शुरू कर दिया है और वैक्सीन की दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है. कंपनी की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि कोरोना वैक्सीन कैंडिटेड ZyCoV-D के लिए फेज वन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो गया है और दूसरे फेज के लिए ट्रायल फेज टू का क्लिनिकल ट्रायल 6 अगस्त से शुरू किया गया है.

कंपनी ने कहा कि ZyCoV-D पहले चरण के ट्रायल में काफी सफल रहा. यह सुरक्षित पाया गया है. असली ट्रायल की शुरुआत अब होने जा रही है. पहले चरण के लिए ट्रायल 15 जुलाई को शुरू हुआ था. कंपनी ने 20 दिन के भीतर इस चरण को पार कर लिया है.

जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज आर पटेल ने कहा कि पहले चरण में वैक्सीन की सुरक्षा की जांच की गई है. डोज देने के बाद सभी सब्जेक्ट को 7 दिनों तक 24 घंटे मेडिकल निगरानी में रखा गया था. किसी भी सब्जेक्ट को कोई समस्या नहीं हुई और यह प्रयोग बेहद सफल रहा. दूसरे चरण में सेफ्टी के साथ-साथ इम्युनिटी की जांच की जा रही है. इस चरण में पता चलेगा की क्या वैक्सीन एंटीबॉडी और इम्युनिटी तैयार कर पा रही है या नहीं.

बता दें कि जायडस कैडिला भारत की दूसरी फार्मा कंपनी है जिसे DCGA (Drugs Controller General of India) से वैक्सीन तैयार करने की अनुमति मिली है. पहली कंपनी भारत बायोटेक है जो COVAXIN पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ काम कर रही है. कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच पूरी दुनिया में इस वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन की खोज की जा रही है.

पढ़ें : कोरोना वैक्सीन पर दुनिया की नजर, भारत में अंतिम चरण में परीक्षण प्रक्रिया

ZyCoV-D वैक्सीन के दूसरे चरण का निशान 1000 से अधिक स्वस्थ वयस्क स्वयंसेवकों ओर भी लोग होंगे. परीक्षण, वैक्सीन उम्मीदवार की हास्य और सेलुलर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की जांच करेगा, और इसके जवाब में शरीर द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी एसएआरएस-सीओवी -2 वायरस को बेअसर कर सकता है या नहीं. कंपनी ने कहा कि अंतिम खुराक के 6 महीने बाद तक इस प्रतिक्रिया का स्थायित्व भी मूल्यांकन किया जाएगा.

Last Updated : Aug 14, 2020, 1:30 PM IST

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