नई दिल्लीः मोदी सरकार की दूसरी पारी का पहला बजट कल सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया जिसमें अल्पसंख्यक मंत्रालय को 4599 करोड़ रूपये का बजट दिया गया है.
अल्पसंख्यक मंत्रालय को मिले इस बजट पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विशेषज्ञ जैनब सिकंदर से बात की और जानना चाहा कि यह बजट अल्पसंख्यक समाज के लिए कितना सही है जिस पर उन्होंने कहा कि इस बजट का अल्पसंख्यकों को कितना फ़ायदा मिलेगा यह तभी देखा जा सकेगा जब इसका सही तरीके से इस्तेमाल हो सके और उन योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों को मिल सके.
उन्होंने कहा कि हमारे लिये बजट की कीमत नहीं बल्कि यह ज्यादा जरुरी है कि अल्पसंख्यकों का आर्थिक विकास हुआ है या नहीं, साथ ही इस बजट से जो योजनाएं तैयार की गई हैं वे किस हद तक लागू किया जाएगा.
आपको बता दें कि, सरकार द्वारा बजट में प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप में कमी कर दी गई है लेकिन वहीं दूसरी तरफ अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिभागियों के लिए यूपीएससी, एसएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिये इस बार यह रकम बढ़ाकर 20 करोड़ कर दी गई है.
इस सवाल पर अपना मत रखते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा कि सरकार के इस फैसले का स्वागत करना चाहिए क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय के हालात बेहतर होंगे और 10वीं व 12वीं की परीक्षा पास करके सिविल सर्विसेस जैसी नौकरियों के क्षेत्र में मुस्लिमों की हिस्सेदारी बढ़ेगी.
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जैनब सिकंदर ने अल्पसंख्यक महिलाओं में लीडरशिप डेवलपमेंट को लेकर सरकार द्वारा अल्पसंख्यक महिला नेतृत्व विकास स्कीम में बजट को घटाए जाने पर कहा कि इस बजट की इतनी जरूरत नहीं है क्योंकि जब तक कोई छात्रा अपनी प्राथमिक और इंटरमीडिएट लेवल की परीक्षा पास नहीं कर लेती तब तक उसके लिए ऐसी किसी योजना का कोई फायदा नहीं है.
राजनीतिक विशेषज्ञ ज़ैनब सिकंदर ने ईटीवी भारत से बातचीत की इस साल प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए 12208 और 496 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जबकि पिछले साल यारा का 1296 और 500 करोड़ रुपए की थी.आपको बता दें कि यूपीएससी परीक्षा में इस साल 131 अल्पसंख्यक चयनित हुए हैं जिनमें 51 मुसलमान हैं.