नई दिल्ली : देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब इस पर विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, विपक्ष और युवा नेताओं की राय भी सामने आ रहे हैं. ज्यादातर लोग इसका स्वागत करते देखे जा रहे हैं तो वहीं कुछ विश्लेषण और आलोचनात्मक राय भी सामने आ रही है.
इसी क्रम में स्वराज इंडिया के नेता और 'युवा हल्ला बोल' आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे अनुपम ने भी ईटीवी भारत से नई शिक्षा नीति पर अपनी राय साझा की है. अनुपम लगातार युवाओं, छात्रों के मुद्दे को उठाते रहे हैं और सरकारी नौकरियों की बहाली में चल रहे व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार को उजागर करने का भी काम किया है.
बतौर अनुपम नई शिक्षा नीति में कई ऐसी बाते हैं जो स्वागत योग्य हैं और सही दिशा में लिए गए फैसले हैं. जैसे कि शिक्षा के अधिकार के दायरे को बढ़ा कर 3 से 18 वर्ष करना एक सराहनीय कदम है. पहले यह 6 से 14 वर्ष की आयु तक सीमित था.
इसके अलावा सरकार ने नई शिक्षा नीति में यह स्वीकार किया है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था में बच्चों की शुरुआती शिक्षा और पालन पोषण एक कमजोर कड़ी की तरह है, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है और इसे दूर करने के लिए कुछ प्रस्ताव भी सुझाए गए हैं.
इसके अलावा कक्षा पांच तक के छात्रों की पढ़ाई उनके मातृभाषा या अन्य भारतीय भाषाओं में हो इसका मार्ग प्रशस्त किया गया है. इसका भी उन्होंने स्वागत किया है.
उच्च शिक्षा में एक फ्लेक्सिबल मल्टीडिसीप्लिनरी अप्रोच कैसे बनाया जा सकता है. उसको ले कर भी प्रस्ताव दिए गए हैं, जिसके तहत अब छात्रों के पास कई विकल्प खुले हैं और बाध्यता कम हुई है.
लेकिन इन सबके अलावा अनुपम कहते हैं कि इस इस पॉलिसी डॉक्यूमेंट में कई कमियां भी हैं और कई ऐसी अपेक्षाएं हैं, जिनको यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरी नहीं करती है.