जयपुर :ये कहानी उत्तर प्रदेश के एक गांव अंवराई के मोहन पांडेय की है. साल 2009 में मोहन जब 8वीं कक्षा में पढ़ता था, तब अचानक लापता हो गया था. मोहन के अनुसार एक दिन वह सब्जी लाने के लिए बाजार निकला था. इस दौरान एक कबूतरबाज ने उसे झांसे में ले लिया और उसे सीधे बेंगलुरु ले गया, जहां उसे अवैध कार्यों में फंसा दिया. करीब चार साल तक कई यातनाएं सहने के बाद एक दिन मोहन वहां से भाग निकला. यहां से मोहन सूरत और फिर जोधपुर पहुंचा, जहां रोजी रोटी के लिए एक निजी होटल में कैटरिंग का काम करने लगा.
जोधपुर में काम करने के दौरान मोहन अपने क्षेत्र के कुछ लोगों से मिला तो उसे घर की याद आई. तब उसे अपनी बहन का एक पुराना नंबर भी मिल गया. कई बार कोशिश करने के बाद मोहन की अपनी बहन से बात हुई. इतने साल बाद अचानक मोहन का फोन आने से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अपने बेटे से मिलने परिजन जोधपुर पहुंचे और चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस से सम्पर्क किया. पुलिस ने मोबाइल नंबर के आधार पर डिटेल निकाली और मोहन को ढूंढ निकाला.
पढ़ें :नगर कीर्तन के दौरान युवक ने की हवाई फायरिंग, पिता-पुत्र गिरफ्तार