चरखी दादरी/ चंडीगढ़ : जुनून हो तो विनेश फोगाट जैसा, रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद करीब डेढ़ साल बिस्तर पर रही. फिर शानदार वापसी करते हुए विश्व चैंपियन ने ऐसा दांव लगाया कि गोल्ड जीतकर सीधे टोक्यो ओलंपिक 2020 का टिकट पा लिया.
इस बहादुर बेटी को पहले पिता की मौत फिर रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि जिंदगी ठहर सी गई. फिर भी चरखी दादरी की बहादुर बेटी का जज्बा कम न हुआ और एशियन खेलों में महिला कुश्ती में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया.
यूक्रेन में जारी है ओलंपिक की तैयारी
इतना ही नहीं बल्कि शादी के बाद भी विनेश विश्व चैंपियन बनने के साथ टोक्यो ओलंपिक में रियो की चोट का बदला लेते हुए देश के लिए गोल्ड जीतने के लिए अखाड़े में उतरी हैं. विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं.
साल 2003 में हुआ था पिता का निधन
हरियाणा के चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी विनेश फोगाट के पिता का साल 2003 में देहांत हो गया था. पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट ने विनेश और उनकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा. ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेते हुए विनेश फोगाट ने एशियन खेलों के साथ-साथ विश्व चैंपियनशीप में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया. विनेश ने अपने परिवार और जिले के लोगों की आस के अनुरूप जीत हासिल की है.
टोक्यो ओलंपिक 2020 की सीट पक्की
विनेश ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं. परिवार, क्षेत्र के लोग विनेश की इस उपलब्धि पर खुशी से झुम उठे. द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट को रियो ओलंपिक के दौरान चोट लगने से जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी. फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा अखाड़े में उतरकर कड़ी मेहनत की. इसी मेहनत के बलबूते विनेश ने 53 किलोग्राम की कैटेगरी में देश के लिए कई पदक भी जीते.