गया:भले ही सुशासन की सरकार में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. बिहार के गया जिले का खिजरसराय प्रखंड सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का हाल भी कुछ इसी तरह का है. समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मात्र दो डॉक्टर के भरोसे चल रहा है.
स्वास्थ्य केंद्र का सारा जिम्मा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और एक चिकित्सक के कंधों पर है. आलम यह है, एक डॉक्टर सुबह तो दूसरा शाम में ड्यूटी बजाते हैं. सुबह में एक ओपीडी में सैकड़ों मरीज को देखते हैं. जबकि शाम में दूसरा डिलीवरी और इमरजेंसी मरीज को देखते हैं.
चमकी से निपटने का उचित सुविधा नहीं
सूबे में चमकी बुखार से सैंकड़ो बच्चों की जान चली गई. वहीं गया में भी लू ने सैंकड़ो जिन्दगी को एक-दो दिन के अंदर लील कर दी थी. लेकिन इस अस्पताल का रोना है. चमकी बुखार से निपटने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. खानापूर्ति के लिए एक अव्यवस्थित कमरे में एक बेड सुरक्षित रखा गया है. लेकिन जरूरत के सारे सामान नदारद हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी भोला भाई ने बताया कि यहां 19 डॉक्टरों का पद स्वीकृत हैं. लेकिन वर्तमान में मात्र दो डॉक्टर हैं. इस अस्पताल में ज्यादातर डिलीवरी मरीज और इमरजेंसी मरीज आते हैं. डॉक्टरों की कमी के कारण परेशानियों का सामना भी करते हैं. हर माह यहां 100 से ज्यादा डिलीवरी होता है. इस अस्पताल में लू से पीड़ित लोग भी भर्ती हुए थे.