नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मलेरिया रिपोर्ट 2020 के अनुसार, 2019 में भारत के ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश राज्य में मलेरिया के लगभग 45.47 प्रतिशत (भारत के 338494 में से 153909 मामले) मामले सामने आये हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में 2019 में इन पांच राज्यों में (ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश) मलेरिया के कारण 63.64 प्रतिशत मौतें हुई हैं. इसके साथ ही इन राज्यों में पिछले साल लगभग 70.54 प्रतिशत मामले फाल्सीपेरम (Falciparum) मलेरिया के लिए जिम्मेदार थे.
मलेरिया के मामलों में कमी
डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट (WMR) 2020 इंगित करता है कि भारत ने मलेरिया के बढ़ते प्रकोप को रोकने में काफी प्रगति की है. भारत एकमात्र उच्च स्थानिक देश है, जिसने 2018 की तुलना में 2019 में 17.6 प्रतिशत मामलों की गिरावट दर्ज की है.
क्षेत्रवार मामलों में सबसे बड़ी गिरावट
भारत का एनुअल पेरासिटिक इंसीडेंस (एपीआई) 2017 के मुकाबले 2018 में 27.6 प्रतिशत था और ये 2019 में 2018 के मुकाबले 18.4 पर आ गया. भारत ने वर्ष 2012 से एपीआई को एक से भी कम पर बरकरार रखा है. भारत ने मलेरिया के क्षेत्रवार मामलों में सबसे बड़ी गिरावट लाने में भी योगदान दिया है, यह 20 मिलियन से घटकर करीब छह मिलियन पर आ गई है.
रोगियों की संख्या में 83.34 प्रतिशत की कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2000 से 2019 के बीच मलेरिया के मामलों में 71.8 प्रतिशत की गिरावट और मौत के मामलों में 73.9 प्रतिशत की गिरावट आई है. भारत ने साल 2000 (20,31,790 मामले और 932 मौतें) और 2019 (3,38,494 मामले और 77 मौतें) के बीच मलेरिया के रोगियों की संख्या में 83.34 प्रतिशत की कमी और इस रोग से होने वाली मौतों के मामलों में 92 प्रतिशत की गिरावट लाने में सफलता हासिल की है और इस तरह सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों में से छठे लक्ष्य (वर्ष 2000 से 2019 के बीच मलेरिया के मामलों में 50 से 75 प्रतिशत की गिरावट लाना) को हासिल कर लिया है.
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अगले पांच साल के लिए रणनीति तैयार
देश में मलेरिया उन्मूलन प्रयास 2015 में शुरू हुए थे और 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (एनएफएमई) की शुरुआत के बाद इनमें तेजी आई. स्वास्थ्य मंत्रालय ने जुलाई 2017 में मलेरिया उन्मूलन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017 से 2022) की शुरुआत की, जिसमें अगले पांच साल के लिए रणनीति तैयार की गई.
इन राज्यों में दर्ज हुए मामले
भारत में 2015 से 2019 के बीच मलेरिया के महामारी के तौर पर हालात पहले दो साल में मलेरिया के मामलों में 27.7 प्रतिशत और मौतों की संख्या में 49.5 प्रतिशत की गिरावट आई. 2015 में जहां 11,69,261 मामले और 385 मौतें दर्ज की गईं थीं, वहीं 2017 में 8,44,558 मामले और 194 मौतें दर्ज की गईं. वर्ष 2019 में ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश राज्यों में मलेरिया के कुल मामलों के करीब 45.47 प्रतिशत मामले दर्ज हुए. (भारत के कुल 3,38,494 मामलों में से 1,53,909 मामले) इसके अलावा, फेलसिपेरम मलेरिया के भारतभर में दर्ज कुल 1,56,940 मामलों में से 1,10,708 मामले इन राज्यों में दर्ज हुए, जो कि कुल मामलों का 70.54 प्रतिशत है.