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भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक रतन लाल ने जीता विश्व खाद्य पुरस्कार 2020 - indo american scientist ratan lal

भारतीय मूल के मृदा वैज्ञानिक डॉ.रतन लाल को खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए 2020 के विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने वाले खाद्य उत्पादन को बढ़ाने हेतु मृदा-केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया.

वैज्ञानिक रतन लाल
वैज्ञानिक रतन लाल

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Published : Jun 12, 2020, 10:01 AM IST

डेस मोइनेस (अमेरिका) : प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ. रतन लाल को खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए 2020 के विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए एक मिट्टी-केंद्रित दृष्टिकोण विकसित किया है.

विश्व खाद्य पुरस्कार की घोषणा पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने लाल की प्रशंसा की. पोम्पियो ने कहा कि डॉ. लाल लगभग 500 मिलियन छोटे किसानों को बेहतर प्रबंधन, कम मिट्टी के क्षरण और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में मदद कर रहे हैं.

डॉ रतन लाल को विश्व खाद्य पुरस्कार, 2020 दिए जाने की घोषणा गुरुवार को की गई. उन्हें सतत विकास के लिए मिट्टी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 2,50,000 अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार भी दिया गया है. लाल ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) में कार्बन प्रबंधन और सिक्वेस्ट्रेशन सेन्टर के संस्थापक निदेशक हैं.

डॉ लाल ने कहा कि 2020 के विश्व खाद्य पुरस्कार प्राप्त करने पर उन्हें असीम खुशी है. उत्साहित अंदाज में डॉ लाल ने कहा कि मुझे दुनिया भर के किसानों के लिए काम करने का विशेष अवसर व सम्मान मिला. इसके लिए मैं कृतज्ञ हूं.

उन्होंने कहा कि पूरी मानवता को भोजन मिले यह एक गंभीर दायित्व है और तब तक पूरा नहीं होगा जब तक प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ धरती पर और स्वच्छ वातावरण में पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन उपलब्ध न हो.

विदेश मंत्री पोम्पिओ ने कहा कि दुनिया की आबादी लगातार बढ़ रही है, हमें उन संसाधनों का उपयोग करने की आवश्यकता है, जिससे हम सभी को भोजन मिल सके.

मिट्टी विज्ञान में डॉ लाल के शोध से पता चलता है कि इस समस्या का समाधान हमारे आस-पास ही मौजूद है. डॉ लाल के शोध से धरती पर मौजूद 500 मिलियन छोटे किसानों (अनुमानित) को बेहतर प्रबंधन, कम मिट्टी के क्षरण और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण के माध्यम से मदद मिल रही है. अरबों लोग इन खेतों पर निर्भर हैं और अपने काम से बहुत लाभान्वित हो रहे हैं.

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