हैदराबाद : विश्व अल्जाइमर दिवस 21 सितंबर 2012 से हर साल मनाया जाता है. इसका उद्देश्य विश्व भर में लोगों को अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूक करना है. विश्व अल्जाइमर माह का समन्वय अल्जाइमर रोग इंटरनेशनल (एडीआई) द्वारा किया जाता है, जो दुनिया भर में अल्जाइमर संघों की संस्था है. अल्जाइमर यानी कि भूलने की बीमारी. यह बीमारी अब केवल बूढ़ों तक ही सीमित नहीं रही है. अल्जाइमर अब बच्चों में भी देखा जा रहा है. लाखों लोग हर साल इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. इस वजह से अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए पूरी दुनिया में 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है.
वर्ष 2020 का थीम है 'आओ हम डिमेंशिया के बारे में बात करें'
क्या है अल्जाइमर
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि अल्जाइमर है क्या. अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम रूप है. यह एक प्रगतिशील मस्तिष्क रोग है जिसके परिणामस्वरूप स्मृति और सोच कौशल का नुकसान होता है. सरल शब्दों में कह सकते हैं कि अल्जाइमर यानी कि भूलने की बीमारी. जैसे गाड़ी की चाबी रखकर भूल जाना, दुकान पर हेलमेट छोड़ देना. कहीं बाहर घूमने जाएं तो सामान भूल जाना या फिर नाम भूल जाना. रास्ते याद ना होना, तो कभी बार-बार चीजें याद करने पर भी दिमाग से निकल जाना, जैसी दिक्कतें अल्जाइमर की वजह से होती हैं. इससे पीड़ित व्यक्ति को रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी होती है. अल्जाइमर मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है जो स्मृति हानि, स्मृति परिवर्तन, अनियमित व्यवहार और शरीर के कार्यकारी अंग को नुकसान पहुंचाता है. ध्यान और योग से इस बीमारी से निजात मिल सकती है.
डिमेंशिया और अल्जाइमर के बीच अंतर
डिमेंशिया स्मृति में परिवर्तन, तर्क या अन्य सोच कौशल जैसे लक्षणों के लिए एक सामान्य शब्द है. अल्जाइमर एक विशिष्ट दिमागी बीमारी है, इसे भूलने की बीमारी भी कहा जा सकता है. हर देखा जाए तो 60 से 80 प्रतिशत लोग डिमेंशिया से ग्रसित हैं.
'अल्जाइमर' नाम का इतिहास
1906 में जर्मन चिकित्सक डॉ. एलोइस अल्जाइमर ने पहली बार एक असाध्य बीमारी का वर्णन किया, जो गहन स्मृति हानि और सूक्ष्म मस्तिष्क परिवर्तनों में से एक है, अब हम इस बीमारी को अल्जाइमर के रूप में जानते हैं.
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विश्व अल्जाइमर दिवस का उद्देशय
विश्व अल्जाइमर दिवस का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक देशों तक पहुंचना है, डिमेंशिया का वैश्विक प्रभाव दिखाना और डिमेंशिया जागरूकता को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही इस बीमारी से पीड़ित लोगों का समर्थन करने के लिए हम क्या कर सकते हैं इसकी रणनीति तय करना है. जो लोग अल्जाइमर से ग्रसित हैं, उन्हें एक्सरसाइज, ध्यान और योग जरूर करना चाहिए. बताते हैं कि ध्यान और योग द्वारा आप इस बीमारी से निजात पा सकते हैं.
डिमेंशिया पर ग्लोबल एक्सन प्लान
मई 2017 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने डिमेंशिया 2017 से 2025 के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया पर ग्लोबल एक्सन प्लान को अपनाया. ग्लोबल एक्सन प्लान ने डब्ल्यूएचओ के सभी 194 सदस्य राज्यों को सात कार्य क्षेत्रों के लिए प्रतिबद्ध किया है.
कुछ विशेष बिंदु
- एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में डिमेंशिया
- डिमेंशिया के प्रति जागरूकता
- जोखिम में कटौती
- रोग निदान
- उपचार और देखभाल
- देखभालकर्ताओं के लिए समर्थन
- डेटा और अनुसंधान
- इसमें प्रत्येक क्षेत्र के लिए लक्ष्य हैं, जो 2025 तक व्यक्तिगत सरकारों को मिलना चाहिए.
- हालांकि, जैसा कि एडीआई रिपोर्ट से पता चलता है, चुनौती का पैमाना बहुत बड़ा है और प्रतिक्रिया बहुत धीमी है.
अल्जाइमर रोग के बारे में तथ्य
- अल्जाइमर रोग का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है. मस्तिष्क में होने वाली कुछ जटिल घटनाएं इस बीमारी का कारण बनती हैं.
- विश्व स्तर पर हर तीन में से दो लोग मानते हैं कि उनके देशों में डिमेंशिया की बहुत कम या उसके बारे में जागरूकता फैलाने की कमी है. आधे से ज्यादा लोग इस बीमारी के बारे में जानते तक नहीं हैं.
- अल्जाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की प्रभावी ढंग से केयर करने पर बदलाव देखने को मिल सकते हैं. वहीं रोगी को जल्दी पता लगने से लाभ होता है.
- उपचार के तौर-तरीकों में औषधीय, मनोवैज्ञानिक और देखभाल संबंधी पहलू शामिल हैं.
- पारिवारिक और सामाजिक समर्थन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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अल्जाइमर के लक्षण
- मनोदशा में परिवर्तन, हाल की जानकारी को भूल जाना और चीजों को गलत समझना.
- घर या काम में परिचित कार्यों को पूरा करने में समस्याओं और कठिनाई को हल करने में चुनौतियां.
- पढ़ने में कठिनाई, दूरी को पहचानना और रंग पहचानना.
- सामाजिक और अवकाश गतिविधियों से पीछे हटना.
- करने जा रहे काम को भूल जाना.
- किसी भी प्रकार की कोई प्लैनिंग करने में दिक्कत.
- कोई भी परेशानी सुलझा ना पाना.
- जो काम आते हैं उन्हें भी पूरा ना कर पाना.
- वक्त भूलना और जगह के नाम भी याद ना रहना.
- आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होना.
- सही शब्द लिखने में दिक्कत आना.
- निर्णय लेने में दिक्कत आना.
- चीजे रखकर भूल जाना.
- लोगों से कम मिलना और काम को आगे टालना.
- बार-बार मूड में बदलाव.
- डिप्रेशन, कंफ्यूज़ रहना, थकान और मन में डर रहना.
ये बातें याददाश्त तेज रखने में मददगार
- शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और मनोरंजक गतिविधियों में संलग्न जैसे: सोशल मीडिया से ज्यादा वास्तविक दुनिया से संपर्क.
- पढ़ना, आनंद के लिए लिखना और संगीत वाद्ययंत्र बजाना.
- नई भाषा सीखने, मेंटल गेम्स या म्यूजिक में खुद को व्यस्त रखें.
- वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रमों में भाग लेना.
- सेहतमंद आहार लें और हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज पर नियंत्रण रखें.
- इनडोर गेम्स जैसे कि क्रॉसवर्ड, पज़ल्स, स्क्रैबल और शतरंज खेलना.
- तैराकी, समूह के खेल, जैसे कि गेंदबाजी, चलना, योग और ध्यान जैसी गतिविधियां.
- खेल की गतिविधियों और उचित व्यायाम से शरीर और दिमागी तंदुरुस्ती बनी रहती है.
- गुस्सा, चिड़चिड़ापन से दूर रहें. खुद भी खुश रहें और दूसरे को भी खुश रखें.
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इससे ग्रसित मामलों के आंकड़े
- दुनिया भर में 50 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया के साथ सफर कर रहे हैं, इनमें कई लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं है.
- दुनिया में कोई भी हर तीन सेकंड में डिमेंशिया विकसित कर लेता है.
- डिमेंशिया के साथ रहने वाले लोगों की संख्या तिगुनी होने का अनुमान है, जो 2050 तक 152 मिलियन हो जाएंगे.
- डिमेंशिया का आर्थिक प्रभाव हर साल एक बिलियन अमेरिकी डॉलर है, यह आंकड़ा 2050 तक दोगुना हो जाएगा.
- लगभग 80 प्रतिशत लोग कुछ विशेष प्वाइंटस पर डिमेंशिया के विकास को लेकर चिंतित हैं और हर चार लोगों में से एक को लगता है कि डिमेंशिया को रोकने के लिए हम कुछ भी नहीं कर सकते.
- दुनिया भर में 35 प्रतिशत देखभालकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने परिवार के सदस्य के डिमेंशिया का निदान छिपाया है.
- विश्व स्तर पर 50 प्रतिशत से अधिक देखभालकर्ताओं का कहना है कि उनकी भूमिका के बारे में सकारात्मक भावनाओं को व्यक्त करने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य को उनकी देखभाल की जिम्मेदारियों के परिणामस्वरूप भी ख्याल रखना पड़ता है.
- लगभग 62 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता दुनिया भर में सोचते हैं कि डिमेंशिया सामान्य उम्र में तेजी से बढ़ता एक कारक है.
कोविड 19 और डिमेंशिया
- कोविड 19 के प्रकोप ने नियमित रूप से स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारियों की कमी को रेखांकित किया है, जो कि डिमेंशिया जैसी पुरानी स्थितियों से पीड़ित लोगों को नियमित सेवाएं और सहायता प्रदान करता है.
- यह अनिवार्य है कि लोग डिमेंशिया के बारे में बात करते रहें, जानकारी, सलाह और समर्थन मांगते रहें.
- पीड़ित के परिवारजनों को अल्जाइमर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को समझने के लिए बहुत धैर्य की जरुरत होती है. आपको मरीज को हैंडल करना सीखना पड़ता है. मरीज को खूब प्यार और देखभाल की जरुरत होती है.