हैदराबाद: चंद्रयान-2 का रोवर एआई-संचालित 6-पहिया वाहन है, इसका नाम 'प्रज्ञान' है, जो संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है. इसका वजन 27 किग्रा है और इसमें 50 वॉट बिजली पैदा करने की क्षमता है. यह 500 मीटर (आधा किमी) तक यात्रा कर सकता है और काम करने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करता है. यह लैंडर के साथ संवाद कर सकता है. यह लैंडर को जानकारी भेजेगा और लैंडर बेंगलुरु के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करेगा.
लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर 'प्रज्ञान' बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा.
चंद्रयान 2 को भारत की सबसे उन्नत इंजीनियरिंग कार्यों द्वारा अपने मिशन को पूरा करने में सहायता मिलेगी. इसके एकीकृत मॉड्यूल में, जिसमें कि देश भर में विकसित तकनीक और सॉफ्टवेयर शामिल हैं, इसरो का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्च वाहन और पूर्ण रूप से स्वदेशी रोवर शामिल है.
चंद्रयान 2 मिशन की खासियत
- भारत का मिशन चंद्रयान -2 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान है. यह सॉफ्ट लैंडिंग है.
- इसमें पूरी तरह से भारतीय तकनीक का प्रयोग किया गया है.
- दुनिया में भारत चौथा देश है, जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है.
- चंद्रयान -2, चंद्रयान -1 के मिशन की अगली कड़ी है.
- चंद्रयान 2 भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन है, जिसे दो महिलाएं - परियोजना निदेशक एम वनिता और मिशन निदेशक रितु कारिधल ने संचालित किया है.
- चंद्रयान 2 की टीम में 30 फीसदी महिलाएं तैनात हैं.
- एक रोवर-व्हील में अशोक चक्र होगा और लैंडर पर तिरंगा होगा.
- रोवर चन्द्रमा की सतह पर घूमेगा और चांद के एक दिन की अवधी यानी पृथ्वी के 14 दिन की अवधी तक परिक्षण जारी रखेगा. ऑर्बिटर मिशन एक वर्ष तक जारी रहेगा.
- लैंडर और रोवर पे-लोड लैंडिंग साइट के नज़दीक इन - सिटु आंकड़े एकत्र करेगा.
- ISRO चंद्रयान -1 के लिए शुरू की गई समान प्रक्षेपण रणनीति का अनुसरण कर रहा है. चंद्रयान 1 सिर्फ एक कक्षीय था, जबकि चंद्रयान -2 में मिशन में जटिलता को जोड़ने वाले लैंडर और रोवर घटक हैं.
- मिशन ने प्रयोगों के लिए 13 भारतीय वैज्ञानिक उपकरणों का वहन किया. मैग्नीशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे तत्वों को खोजने के लिए और पानी के संकेतों के लिए रॉक का इमेजिंग किया जाएगा. मिशन चंद्रमा के एक्सोस्फियर का भी अध्ययन करेगा.