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अंधविश्वास की हद, महिलाएं कर रहीं 'कोरोना माई' की पूजा

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Published : Jun 6, 2020, 6:11 PM IST

छत्तीसगढ़ के भिलाई में अंधविश्वास की हदपार हो गई है. कुछ महिलाओं का मानना है कि कोरोना कोई वायरस नहीं, बल्कि कोरोना माई हैं, जो रूठी हुई हैं. कठित रूप से इस रूठी हुई माई को मनाने के लिए यह महिलाएं कोरोना माई की विशेष पूजा-अर्चना कर रही हैं, जिससे देशभर में फैला कोरोना संक्रमण जल्द ही खत्म हो सके. पढ़ें पूरी खबर...

Women worshiping Corona Mai due to superstition
अंधविश्वास के कारण महिलाएं कर रही कोरोना माई की पूजा

रायपुर : देशभर में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है और इससे बचाव के लिए तमाम तरह के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन बढ़ती टेक्नॉलॉजी और विज्ञान के दौर में अंधविश्वास भी चरम पर है. छत्तीसगढ़ के भिलाई में कुछ महिलाएं कोरोना को वायरस नहीं, बल्कि माई मानकर पूज रही हैं. यहां रहने वाली उत्तर प्रदेश और बिहार की कुछ महिलाओं का मानना है कि कोरोना वायरस नहीं देवी हैं, जो रूठी हुई हैं. इनकी विधिवत पूजा की जाए तो यह हमारा देश छोड़ कर चली जाएंगी. इसलिए वह कोरोना माई की पूजा कर रही हैं.

कोविड-19 से मुक्ति के लिए महिलाएं करने लगीं 'कोरोना माई' की पूजा

कोविड-19 बीमारी को हराने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं इसकी दवा बनाने के लिए पूरा विश्व एकजुट है. इस बीच कोरोना को लेकर एक अंधविश्वास भी फैल गया है. भिलाई में शुक्रवार की सुबह कैम्प दो बैकुंठ धाम मंदिर के पास कुछ महिलाएं कोरोना माई की पूजा-अर्चना कर रही थीं. पूजा में बैठी ज्यादातर महिलाएं यूपी, बिहार की हैं. इनका कहना है कि वास्तव में कोरोना वायरस नहीं, बल्कि माई है, जो नाराज हैं. इनकी पूजा इसलिए की जा रही है, ताकि पूरा देश इस संक्रमण से मुक्त हो सके. महिलाओं का मानना है कि उनकी पूजा से परिवार सहित देश से यह संक्रमण दूर हो जाएगा.

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महिलाओं ने कोरोना माई की पूजा किस तरह से की है, यह भी बताया. वह कहती हैं कि नौ की संख्या को शुभ मानते हुए नौ मिठाई, नौ फूल, नौ खड़ी सुपारी (कसेली), नौ लौंग, गुड़ और पानी से पूजा करनी चाहिए. यह पूजा उस जगह पर की जाती है, जहां पहले कभी हल नहीं चला हो. पूजा के बाद उस जमीन में गड्ढा कर सारी सामग्री उसके अंदर दबा दी जाती है.

(नोट- ETV भारत किसी तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है.)

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