बेलगाम : कोरोना संक्रमण काल में आज मातृ दिवस है. इस मुश्किल घड़ी में कुछ मां अपने बच्चों से दूर रहकर कर्तव्य का निर्वहन कर रही है. ऐसा ही कई उदाहरण कर्नाटक के बेलगाम जिले में है, जहां पर महिला अधिकारी कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. वह अपने छोटे बच्चों और परिवारों के साथ समय नहीं बिता पा रही हैं.
इसपर एक अधिकारी कहती हैं कि परिवार की तुलना में एक स्वस्थ समाज की जिम्मेदारी अधिक महत्वपूर्ण है. यानी असल में कोरोना योद्धा यही माताएं हैं.
बेलगाम कमिश्नरी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तालुक के हिरेबेवाड़ी गांव में 47 लोग कोरोना संक्रमण से प्रभावित है. इस कारण कोरोना को नियंत्रित करने के लिए पुलिस कर्मी कड़ी मेहनत कर रहे हैं. सिटी लॉ एंड ऑर्डर डीसीपी सीमा लोटकर लॉकडाउन लागू रखने में प्रयासरत हैं.
आईपीएस अधिकारी सीमा लोटकर की दस और पांच वर्ष की दो बेटियां हैं. अधिकारी ने अपने बच्चों को दो महीने तक गले नहीं लगाया. वह पिछले दरवाजे से घर जाती है और दो महीने तक एक अलग कमरे में रहती है और खुद को पृथक वास में रखी है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए सीमा लोटकर ने कहा, 'मैं पिछले दो महीनों से बच्चों से दूर हूं. बच्चों को गले नहीं लगाया गया है और उनके साथ समय नहीं बिताया है. इसको लेकर काफी परेशान हूं. हमारी भूमिका एक स्वस्थ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण है.'
वहीं शहर की क्राइम ब्रांच की डीसीपी यशोधा वंतगौड़ी का डेढ़ साल का बेटा और पांच साल की बेटी भी है. उन्हें भी ड्यूटी करने के बाद डर कर घर जाना पड़ता है. इसी प्रकार शहर और जिले में कई महिला कर्मचारी अपने परिवारों से दूर रह रही हैं और कोरोना को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं.
घर से दूर बेलागवी की एक स्टाफ नर्स सुनंदा कोरेपुरा 21 दिनों के लिए अपनी बेटी ऐश्वर्या को देख नहीं पाई. जब उन्हें अपनी बेटी से मिलने का मौका मिला तो वह आंसू बहा रही थी. ईवन उनकी बेटी थी. सुनंदा ने ईटीवी भारत के साथ अपना अनुभव साझा किया. वह कहती हैं कि उन्हें राज्य के सीएम बीएस येदियुरप्पा ने फोन कर ढांढस बंधाया है. वह अब एक आपातकालीन वार्ड में काम कर रही है.