कोचि: केरल में सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में दर्शन के लिए रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. दो महीने तक चलने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा मंडल-मकरविलक्कू का आज दूसरा दिन है.
मुख्य पुजारी ए के सुधीर नम्बूदरी ने मंदिर के गर्भगृह को तड़के तीन बजे खोला और विशेष पूजा-अर्चना-‘नेय्याभिषेकम’ और ‘महागणपति होमम’ (भगवान गणेश की पूजा) की. पुजारी द्वारा पूजा किए जाने के बाद हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की.
शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर के कपाट खोल दिए गए और पहले दिन कड़ी सुरक्षा के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.
सबरीमाला मंदिर में दर्शन का दूसरा दिन. बता दें, 10 महिलाओं के एक समूह ने प्रवेश का प्रयास किया, लेकिन मंदिर की मान्याताओं को जानने के बाद उन्होंने प्रवेश न करने का निर्णय लिया और घर लौट गईं. यह कहना है जिला कलेक्टर पीबी नूह का.
पीबी नूह ने बताया कि इन महिलाओं की मंडली दक्षिण भारत के कई मंदिरों के दर्शन कर रही थी. इसी कड़ी में वह सबरीमाला दर्शन भी करना चाहती थी. यहां पहुंचने पर उन्हे पता चला कि मंदिर की मान्यताओं के अनुसार सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. इस कारण महिलाओं ने वापस जाने का फैसला किया.
बता दें कि शनिवार को 10-50 आयु वर्ग की अन्य दस महिलाओं ने भी प्रवेश का प्रयास किया, लेकिन उन्हे पांबा बेस कैंप वापस लौटना पड़ा. यह बेस कैंप मंदिर से 6 किलोमीटर दूर है. केरल सरकार ने यह साफ कर दिया था कि वह 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश के लिए कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे.
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मंदिर के द्वार शनिवार को जैसे ही खुले, वैसे ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया. बस लोगों के मन में एक ही बात थी कि कोई भी महिला 10-50 वर्ष की आयु की प्रवेश न कर सके. कपाट खुलने के साथ ही पुजारियों ने मंडल पूजा की.
नूह ने बताया कि सबरीमाला मंदिर पर सभी व्यवस्थाएं की गई हैं. इसमें पीने का पानी, मेडिकल सुविधा आदि शामिल हैं. सभी जरूरतों के सामान भी अपने स्थान पर हैं. 800 से अधिक मेडिलक स्टाफ को 16 आपात्कालीन केंद्रों पर तैनात किया गया है. करीब 2400 सौचालय और 250 से अधिक साफ पानी के किओस्क लगाए गए हैं. साथ ही 1000 से अधिक सफाई कर्मी भी काम कर रहे हैं, जो साफ और स्वच्छ वातावरण का पूरा ध्यान रख रहे हैं.
केरल सरकार ने कहा है कि, जो महिलायें मंदिर में प्रवेश करना चाहती है उन्हें 'अदालती आदेश' लेकर आना होगा. पिछले साल 28 सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चे की सरकार द्वारा इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था. हालांकि, इस साल उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई, लेकिन इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेज दिया गया है.