हैदराबाद : पूरा देश कोरोना महामारी से प्रभावित है. कोरोना से लड़ाई में स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस और कई संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. महिला डॉक्टर और नर्सें अस्पतालों में मरीजों की जांच और इलाज कर रहीं हैं, जबकि सहायक नर्स, दाइ, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता लोगों के स्वास्थ्य की जांच के लिए घर-घर जा रहीं हैं. वर्तमान समय में दुनिया को बेहतर बनाने में महिलाओं की भूमिका बदल गई है. वह एक ही समय में पत्नी, माता, देखभाल करने वाली और ब्रेडविनर्स (जीवकोपार्जन के लिए काम) का काम एक ही समय इन सब की भूमिका निभाती हैं.
अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाएं अपने परिवार में 80 फीसद स्वास्थ्य सेवा संबंधी निर्णय लेती हैं. अक्सर वह अपने स्वास्थ्य को नजरअदांज कर कर देती है. इन सब के बावजूद महिलाएं दुनियाभर में कई शीर्ष पदों संभाल रही हैं और आगे बढ़ रही है. नर्सों और महिलाओं की स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों सहित कई चेहराहीन महिलाएं भी इस प्रयास में योगदान दें रही हैं.
कोरोना लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाली कुछ महिलाएं
डॉ सोनू गांधी (वैज्ञानिक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, हैदराबाद)- भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण की जांच के लिए ई-कोव-सेंस (E-Cove-Sense) नामक एक इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसिंग उपकरण तैयार किया है. इससे कोरोना संक्रमण की जांच जल्द होगी. यह दावा किया गया है कि यह मशीन लार का नमूना रखने के बाद 10 से 30 सेकेंड के अंदर परिणाम दे देगी.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, हैदराबाद के शोधकर्ताओं की टीम के प्रमुख वैज्ञानिकों का दावा है कि यह मशीन लार का नमूना एकत्र होने पर कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन एंटीजन की उपस्थिति का सटीक संकेत देती है. मशीन के मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है.
चंद्रा दत्ता- कोलकाता की रहने वाली चंद्र दत्ता हाल ही में मीडिया में तेजी से चल रहा था. वह ब्रिटेन में स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की टीम के साथ कोविड-19 टीका विकसित करने में लगी हुई हैं. ऑक्सफोर्ड में रहने वाली चंद्रा दत्ता 34 वर्ष की हैं. वह एंटी वायरल वेक्टर टीका- (ChAdOx1 nCoV-19) बनाने वाले विश्वविद्यालय में गुणवत्ता आश्वासन प्रबंधक के रूप में काम कर रही हैं. बता दें कि विश्वविद्यायल ने पिछले सप्ताह टीके का मानव पर परीक्षण शुरू किया था.
प्रिया अब्राहम (निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे) ने घातक कोरोना वायरस को अलग करके एक महत्वपूर्ण चिकित्सा सफलता पाई हैं. यह बीमारी को बेहतर ढंग से समझने और उपचार को खोजने में मदद करता है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. निवेदिता गुप्ता ने देश के लिए उपचार और परीक्षण प्रोटोकॉल तैयार करने में व्यस्त हैं, वहीं जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूपअपना समय एक टीका खोजने में लगा रही है.
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