नई दिल्ली: कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की परेशानी बढ़ सकती है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) ने टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख नरसंहार में पुलबंगश के मामले मे संलिप्त होने का केस दर्ज कराया है.
बता दें, इस नरसंहार में दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था और एक गुरुद्वारा साहिब में भी आग लगा दी गई थी.
दरअसल सिख दंगों के 35 साल बाद भी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ यह तीसरा मामला है. इससे पहले सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया था जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के खिलाफ मामला एसआईटी द्वारा फिर से खोल दिया गया है.
वहीं कोर्ट ने सीबीआई को चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करने के संबंध में नोटिस जारी किया है.
डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस मसले पर जानकारी दी कि मामला श्री नवीन कश्यप के रोज एवेन्यू कोर्ट में दायर किया गया. जहां दो चश्मदीद गवाह अमरजीत सिंह और हरपाल कौर न्यायाधीश के सामने पेश हुए और अदालत को बताया कि जगदीश टाइटलर ने सिखों को मारने वाली भीड़ को उकसाया था.
उन्होंने कहा कि वे धारा 164 के तहत अपने बयान दर्ज करने के लिए तैयार है.
सिरसा ने आगे बताया कि माननीय न्यायाधीश ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और अदालत ने 35 साल के लंबे अंतराल के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सीबीआई को नोटिस दिया है.
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उन्होंने कहा कि अब DSGMC भी इस मामले को आगे बढ़ाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उसे 1984 के सिख नरसंहार के आरोपियों को जेल भेजा जाए.
DSGMC अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल इसलिए हो रहा क्योंकि केंद्र में मोदी सरकार ने कार्यभार संभाला है. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष श्री सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने इन प्रभावशाली कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ मामलों को छोड़ा नही.
उन्होंने कहा 'एक पुराना मामले में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान टाइटलर को सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी थी. इन्हें सीबीआई ने बरी कर दिया था. गांधी परिवार के प्रभाव के कारण इन सभी को सबूतों के अभाव में अदालतों ने बरी कर दिया था.'
उन्होंने कहा कि अब सिख समुदाय को 35 वर्षों के बाद आखिरकार राहत मिली है कि ये दोषी अब कानून का सामना कर रहे हैं और अदालतों द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद इन्हें जेल भेजा जाएगा.
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उल्लेखनीय है कि इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले साल से ही कमलनाथ की भी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. कुमार पर 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख समुदाय के खिलाफ भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया गया था.
दंगे से संबंधित मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और कमलनाथ का भी नाम सामने आया था.