दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

चुनौतियों पर चर्चा के लिए आज से जुटेंगे वायु सेना के शीर्ष अफसर

भारतीय वायु सेना के शीर्ष अधिकारी बुधवार से बैठक कर दोहरे संघर्ष परिदृश्यों से उभरने वाली गंभीर आशंकाओं के अलावा, चुनौतियों से जूझ रही भारतीय वायुसेना, लड़ाकू विमान स्क्वाड्रनों की कमी, विशेष बल की तैनाती, मानवरहित हवाई वाहनों की आवश्यकता और सक्षम करने के लिए एयरलिफ्ट की क्षमता बढ़ाने और एक थिएटर कमांड संरचना की ओर बढ़ने पर चर्चा करेगी. पढ़िए हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की यह रिपोर्ट...

कॉन्सेप्ट इमेज
कॉन्सेप्ट इमेज

By

Published : Jul 21, 2020, 8:58 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 6:36 AM IST

नई दिल्ली : चीन के पीएलए के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहे सैन्य गतिरोध के कम होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान कभी भी नियंत्रण रेखा (LAC) से गोलीबारी कर सकता है. इस बीच भारतीय वायु सेना (IAF) के शीर्ष अधिकारी बुधवार से बैठक कर स्थिति का जायजा लेंगे और स्थिति के मुताबिक दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य योजना 2012-2027 (LTP) में बदलाव भी करेंगे.

अभी तक भारतीय वायुसेना का ध्यान LTP के तहत समग्र आवश्यकताओं के साथ हथियारों की खरीद पर ध्यान केंद्रित रहा है, लेकिन अब वायुसेना कमांडर राष्ट्रीय राजधानी स्थित वायु सेना भवन में (22 से 24) जुलाई तक तीन दिन बैठक करेंगे.

इस बैठक में IAF कमांडर अचानक से सामने आए दोहरे संघर्ष परिदृश्यों से उभरने वाली गंभीर आशंकाओं के अलावा, चुनौतियों से जूझ रही भारतीय वायुसेना, लड़ाकू विमान स्क्वाड्रनों की सत्यता में कमी, विशेष बल की तैनाती, मानवरहित हवाई वाहनों की आवश्यकता और सक्षम करने के लिए एयरलिफ्ट की क्षमता बढ़ाने और एक थिएटर कमांड संरचना की ओर बढ़ने पर चर्चा करेगी.

इस बात में कोई शक नहीं है कि सबसे अधिक जरूरत लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने री है, जिसके लिए आरंभिक लक्ष्य 2032 रखा गया, जबकि अगले कुछ वर्षों में भारतीय वायुसेना को कम से कम 45 स्क्वाड्रन से लैस करने की आवश्यकता है.

वर्तमान में वायुसेना 33 ऐसे स्क्वाड्रन संचालित करता है, जिनमें कम से कम 43 लड़ाकू विमानों की जरूरत है. एक समय में चीन और पाकिस्तान दोनों से लड़ने के लिए भारत को इन 43 विमानों की आवश्यक्ता होगी.

बता दें कि प्रत्येक लड़ाकू स्क्वाड्रन 16 से 18 विमान संचालित करता है. वर्तमान में वायुसेना के फ्रंटलाइन लड़ाकू विमानों में Su-30s, मिग -29 और मिराज -2000 शामिल हैं.

बहुभूमिका वाले 36 फ्रांसीसी डसाल्ट-निर्मित राफेल की उपलब्धता के कारण कमांडरों को अपनी बदलती हुई भूमिका का ध्यान भी रखना होगा.

पांच विमानों का पहला जत्था महीने के अंत से पहले अंबाला हवाई अड्डे तक पहुंचने की संभावना है. आशा है कि अगले एक वर्ष में रूस से 21 MIG-29s और 12 सुखोई 30 MKI सहित 33 नए विमान वायु सेना में शामिल होंगे.

इनके अलावा, भारतीय वायुसेना स्वदेशी तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के 83 MK1A के संस्करण को खरीदने की प्रक्रिया में है.

परंपरागत रूप से वायुसेना पाकिस्तान के साथ संभावित युद्ध के मामले में 10 दिन तक चलने वाली लड़ाई में मुकाबला कर सकता है, जबकि ऐसी ही स्थिति में वायु सेना 15 दिनों के लिए चीन का मुकाबला कर सकती है.

गौरतलब है कि वायु कर्मचारी निरीक्षण निदेशालय (DASI) ने पूरी तरह से हथियारों, मिसाइलों और अलर्ट रडार सिस्टम के साथ तैयारियों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

वायुसेना की परिचालन भूमिका चार बारीकियों- काउंटर एयर, स्ट्रेटेजिक एयर (स्पेस सहित), काउंटर सरफेस और कॉम्बेट इनेबल संचालन पर टिकी हुई है.

बता दें कि कर्मियों और विमानों के मामले में भारत की वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है. वायुसेना को 40 मिलियन क्यूबिक किमी से अधिक फैले हुए वायु अंतरिक्ष में काम करना पड़ता है.

Last Updated : Jul 22, 2020, 6:36 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details