नई दिल्ली : चीन के पीएलए के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहे सैन्य गतिरोध के कम होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान कभी भी नियंत्रण रेखा (LAC) से गोलीबारी कर सकता है. इस बीच भारतीय वायु सेना (IAF) के शीर्ष अधिकारी बुधवार से बैठक कर स्थिति का जायजा लेंगे और स्थिति के मुताबिक दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य योजना 2012-2027 (LTP) में बदलाव भी करेंगे.
अभी तक भारतीय वायुसेना का ध्यान LTP के तहत समग्र आवश्यकताओं के साथ हथियारों की खरीद पर ध्यान केंद्रित रहा है, लेकिन अब वायुसेना कमांडर राष्ट्रीय राजधानी स्थित वायु सेना भवन में (22 से 24) जुलाई तक तीन दिन बैठक करेंगे.
इस बैठक में IAF कमांडर अचानक से सामने आए दोहरे संघर्ष परिदृश्यों से उभरने वाली गंभीर आशंकाओं के अलावा, चुनौतियों से जूझ रही भारतीय वायुसेना, लड़ाकू विमान स्क्वाड्रनों की सत्यता में कमी, विशेष बल की तैनाती, मानवरहित हवाई वाहनों की आवश्यकता और सक्षम करने के लिए एयरलिफ्ट की क्षमता बढ़ाने और एक थिएटर कमांड संरचना की ओर बढ़ने पर चर्चा करेगी.
इस बात में कोई शक नहीं है कि सबसे अधिक जरूरत लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने री है, जिसके लिए आरंभिक लक्ष्य 2032 रखा गया, जबकि अगले कुछ वर्षों में भारतीय वायुसेना को कम से कम 45 स्क्वाड्रन से लैस करने की आवश्यकता है.
वर्तमान में वायुसेना 33 ऐसे स्क्वाड्रन संचालित करता है, जिनमें कम से कम 43 लड़ाकू विमानों की जरूरत है. एक समय में चीन और पाकिस्तान दोनों से लड़ने के लिए भारत को इन 43 विमानों की आवश्यक्ता होगी.
बता दें कि प्रत्येक लड़ाकू स्क्वाड्रन 16 से 18 विमान संचालित करता है. वर्तमान में वायुसेना के फ्रंटलाइन लड़ाकू विमानों में Su-30s, मिग -29 और मिराज -2000 शामिल हैं.