चेन्नई : 2016 में जब सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की सत्ता में वापसी हुई, तो द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच केवल 1.1 प्रतिशत वोट का फासला थी. अन्नाद्रमुक एमजीआर युग के बाद पहली बार सत्ता में वापसी करने में सफल हुई, लेकिन सत्ता विरोधी लहर होने के कारण द्रमुक इस बार आगामी विधान सभा चुनावों में सरकार को सत्ता से बाहर कर सकती है.
2016 में तत्कालीन डीएमके प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एम करुणानिधि ने चुनाव के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि था कि डीएमके 232 सीटों वाली विधानसभा में 1,71,75,374 वोट पाने में सक्षम रहा, जबकि अन्नाद्रमुक को 1,76,17,060 मत मिले. साथ ही दो विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों - तंजावुर और अरावकुरिची में चुनाव अधिसूचनाएं रद्द कर दी गईं.
ऐसे में सवाल उठता है कि सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक क्या लगातार तीसरी बाद सत्ता में आकर इतिहास रच पाएगी.
लगभग पांच दशकों तक बड़े द्रविड़- डीएमके और अन्नाद्रमुक एक-दूसरे को पछाड़ने के बाद सत्ता में बने रहे. चुनावों में मुख्य लड़ाई हमेशा इन्ही दो द्रविड़ दलों के बीच होती रही.
सत्तारूढ़ पार्टी के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद राजनीतिक पंडित अब इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या अन्नाद्रमुक लगातार तीसरी बार सत्ता में आएगी और इतिहास बनाएगी. यदि पिछले चुनाव परिणामों पर गहराई से ध्यान दिया जाए तो उत्तर मिल सकता है.
हालांकि, अन्नाद्रमुक को 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा, डीएमके और उसके सहयोगियों ने 39 लोकसभा सीटों में से 38 पर कब्जा कर लिया और अन्नाद्रमुक ने एक भी सीट नहीं जीती.
परिणाम ने राज्य में एक झटका दिया क्योंकि राज्य में जब भी लोकसभा चुनाव होते, तो अधिकांश सीटों पर सत्तारूढ़ पार्टी ही जीत हासिल करती थी.
सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने इस तथ्य को बहुत देर से महसूस किया था और जल्द ही अपनी शक्ति को खोना शुरू कर दिया.
इसके बाद अन्नाद्रमुक के नेताओं ने अक्टूबर 2019 में विकीकांवी और नंगुनेरी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उपचुनाव जीतने का संकल्प लिया और पार्टी के उम्मीदवारों ने उपचुनाव जीते.
जहां तक डीएमके का संबंध है, 1969 में पार्टी के संस्थापक नेता अन्नादुराई की मृत्यु के बाद, डीएमके नेता एम करुणानिधि 1976 तक सात साल तक सीएम रहे.
1977 में डीएमके से बाहर आने के बाद, मैटिनी की मूर्ति और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी एमजी रामचंद्रन ने AIADMK का गठन किया और एमजीआर सीएम बने. वह 1987 तक दस वर्षों तक इस पद पर बने रहे. AIADMK राज्य में दो बार शासन करने के लिए चुना गया.