नई दिल्ली: दिल्ली में खराब प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंत जताई है. कोर्ट का कहना है कि दिल्ली में कोई भी इलाका प्रदूषण से बचा नहीं है, यहां तक कि अब घर भी सुरक्षित नहीं है. न्यायालय ने कहा किक्या हम इस वातावरण में जी सकते हैं? हम इस तरह नहीं जी सकते.उच्चतम न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने को गंभीरता से लेते हुए कहा कि हर साल ऐसे नहीं चल सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों के रवैये को लेकर सख्त टिप्पणी भी की.
इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को हवा की गति में मामूली वृद्धि होने से प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आई. हालांकि, वायु गुणवत्ता अब भी 'बेहद गंभीर' की श्रेणी में बनी हुई है.
सुबह चार बज कर 38 मिनट पर दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 438 रहा, वहीं अलीपुर, नरेला और बवाना में एक्यूआई क्रमश: 493, 486 और 472 रहा.
रविवार को दिल्ली का औसत एक्यूआई 494 रहा. यह छह नवंबर 2016 के बाद से सर्वाधिक है. उस वक्त एक्यूआई 497 था.
एक्यूआई 0-50 के बीच 'अच्छा', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101-200 के बीच 'मध्यम', 201-300 के बीच 'खराब', 301-400 के बीच 'अत्यंत खराब', 401-500 के बीच 'गंभीर' और 500 के पार 'बेहद गंभीर' माना जाता है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक्यूआई फरीदाबाद में 426, नोएडा में 452, गाजियाबाद में 474, ग्रेटर नोएडा में 454 और गुड़गांव में 396 रहा.
दिल्ली के 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 21 में एक्यूआई 490 से 500 के बीच दर्ज किया गया. आया नगर, अशोक विहार, आनंद विहार और अरविंदो मार्ग में शाम सात बजे वायु गुणवत्ता सर्वाधिक खराब दर्ज की गई.
प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाने के कारण दिल्ली सरकार शुक्रवार को ही पांच नवंबर तक स्कूल बंद रखे जाने का आदेश दे चुकी है. साथ ही हर तरह के निर्माणकार्यों पर भी रोक लगा दी गई है.