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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव : निश्चित है ट्रंप की हार, जानिए कैसे? - अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव

न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित अपनी भविष्यवाणी में वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकन विश्वविद्यालय के एलन लिच्टमैन ने राष्ट्रपति चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी के लिए अपने बनाए 'कीज' मॉडल को आधार बनाकर कहा है कि ट्रंप निश्चितरूप से हारेंगे. ट्रंप दावा कर रहे हैं कि इस तरह के सर्वेक्षण उनके बहुमत की आवाज को नहीं व्यक्त करते.

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ट्रंप क्यों हारेंगे 2020 का राष्ट्रपति चुनाव

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Published : Aug 10, 2020, 3:57 PM IST

Updated : Aug 10, 2020, 4:56 PM IST

नई दिल्ली : डोनाल्ड ट्रंप कोविड -19 महामारी से निपटने को लेकर हो रही अपनी आलोचना को देखते हुए इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को टालने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए वह बचाव में डाक से डाले जाने वाले मतों के कारण गलत परिणाम मिलने की आड़ ले रहे हैं. इसके बावजूद इस मामले की सच्चाई यह है कि वह हार का सामना कर सकते हैं. पिछले चार दशक से राष्ट्रपति चुनावों की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए विख्यात अमेरिका के एक प्रमुख इतिहासकार का यह कहना है.

पिछले हफ्ते न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित अपनी भविष्यवाणी में वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकन विश्वविद्यालय के एलन लिच्टमैन ने राष्ट्रपति चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी के लिए अपने बनाए 'कीज' मॉडल को आधार बनाकर कहा है कि ट्रंप निश्चितरूप से हारेंगे. ‘द कीज टू द ह्वाइट हाउस’ नाम के पुस्तक के लेखक लिच्टमैन ने अपने कीज मॉडल के लिए 13 ऐतिहासिक कारकों को शामिल किया है.

उदाहण के तौर पर फाइनेंशियल टाइम्स के सर्वेक्षणों पर नजर रखने वाले ‘रियल क्लियर पॉलिटिक्स’ के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि जो बाइडेन 538 में से 308 निर्वाचक मंडल के वोट, जबकि ट्रंप केवल 113 वोट जुटा सकते हैं. जीतने वाले प्रत्याशी को 538 में से 270 मतों की जरूरत होगी.

वर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप दावा कर रहे हैं इस तरह के सर्वेक्षण उनके बहुमत की आवाज को नहीं व्यक्त करते, हालांकि लिच्टमैन दावा करते हैं उनके ‘कीज मॉडल’ के आधार पर ट्रंप निश्चित रूप से हार का सामना करेंगे.

'कीज मॉडल' वास्तव में क्या है और यह किस तरह से काम करता है?
यह मॉडल जिन 13 ऐतिहासिक कारकों पर आधारित है वह हैं- मध्यावधि लाभ, कोई मुकाबला नहीं, पदग्राही, कोई तीसरा पक्ष नहीं, मजबूत अल्पकालिक अर्थव्यवस्था, मजबूत दीर्घकालिक अर्थव्यवस्था, प्रमुख नीति परिवर्तन, कोई घोटाला नहीं, कोई विदेशी/ सैन्य विफलता नहीं, विदेशी/सैन्य सफलता, कोई सामाजिक अशांति नहीं, करिश्माई पदधारक और गैर करिश्माई चुनौती देने वाला. यह सभी 13 कीज सिर्फ 'हां' या 'न' के जवाब पर आधारित हैं. यदि इन कीज में से छह भी गलत हैं, तो ह्वाइट हाउस में जो है, वह जाने की राह पर है.

लिच्टमैन के अनुसार, ट्रंप बनाम बाइडेन के मामले में सात कीज गलत श्रेणी में हैं, जो डेमोक्रेट उम्मीदवार के पक्ष में परिणाम को ले जाते हैं. यह हैं- मध्यावधि लाभ, मजबूत अल्पकालिक अर्थव्यवस्था, मजबूत दीर्घकालिक अर्थव्यवस्था, कोई सामाजिक अशांति नहीं, कोई घोटाला नहीं, विदेशी/सैन्य सफलता और करिश्माई पदधारक.

लिच्टमैन का मॉडल कैसे अधिक भरोसे के लायक है ?
यूएस-इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के संस्थापक सदस्य रबिन्दर सचदेव के अनुसार, सबसे महत्वपूर्ण बात है कि लिच्टमैन कहते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार मायने नहीं रखता. सचदेव ने ईटीवी भारत से कहा कि लिच्टमैन जो कहते हैं कि उनका मॉडल जो पार्टी सत्ता में है, उसके शासन पर नजर रखती है. सचदेव खुद भी अमेरिकी यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं और इतिहासकार लिच्टमैन से अकसर बातचीत करते रहे हैं.

यदि सत्तासीन पार्टी ने अच्छा काम किया है और उनके मानदंडों पर सकारात्मक अंक हासिल किए हैं, तो वह पार्टी सत्ता में बनी रहेगी. यदि पार्टी ने काम करके नहीं दिखाया है, तो उसे ह्वाइट हाउस से जाना होगा. सचदेव आगे कहते हैं कि लिच्टमैन मॉडल के दो महत्वपूर्ण बाते हैं, जो सबसे अलग करके दिखाती हैं. उनमें एक तो यह है कि वह खुद इतिहास के प्रोफेसर हैं. अमेरिकी इतिहास और अमेरिकी चुनावों या अमेरिकी राजनीति में क्या प्रचलन में है, वह इतिहास के प्रोफेसर होने का नाते अमेरिकी राजनीति के उन रुझानों की समझ रखते हैं.

दूसरी बात यह है कि उन्होंने जो कुछ किया है. वह उन प्रमुख रुझानों की पहचान करने में समर्थ हैं, जो हो सकता है कि भूत, वर्तमान और भविष्य के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों में प्रभावित किए हों. इसलिए उन रुझानों की पहचान करना कि जब राष्ट्रपति सत्ता में आते हैं, तब किस तरह का रुझान रहता है, मैं समझता हूं कि इसका परीक्षण करने में समर्थ हैं. उन्होंने उसके बाद उन आंकड़ों का अच्छा विश्लेषण किया है, जिन्हें उन्होंने शामिल किया है.

सचदेव ने लिच्टमैन मॉडल के उन 13 मानदंडों के तथ्यों का भी उल्लेख किया है, उनमें से सिर्फ एक है- अल्पकालिक अर्थव्यवस्था. सिर्फ यही वास्तव में एक अल्पकालिक है, जबकि शेष सारे दीर्घकालिक हैं. मजेदार बात यह है लिच्टमैन ने इस मॉडल को करीब चार दशक पहले रूसी के भूकंप वैज्ञानिक व्लादिमीर कैलिस-बोरोक के संपर्क में आने के बाद विकसित किया था.

भूकंप और राजनीति के बीच क्या है संबंध?
सचदेव कहते हैं कि सोचने पर भूकंप और राजनीति के बीच पता चलता है कि बहुत उचित और स्मॉर्ट संबंध है. लिच्टमैन मॉडल कहता है कि भूकंप आता है, तो सामूहिक शक्ति होती है, जिसके कारण भूकंप आता है. उसी तरह उसके कारकों की तरह ही समाज के कुछ मानदंड हैं, जो जुड़े होते हैं. इसका अर्थ है कि यदि भूकंप आएगा, तो ह्वाइट हाउस गिर जाएगा. उन पाठकों के लिए जिन्हें अब भी शक है, यह उल्लेख कर देना मजेदार होगा कि लिच्टमैन खुद भी एक डेमोक्रेट हैं और जब सारी अटकलें ट्रंप के खिलाफ थीं, तो उन्होंने वर्ष 2016 में ट्रंप की जीत की सटीक भविष्यवाणी की थी. यही कारण है कि इस साल किए गए प्रोफेसर की भविष्यवाणी को गंभीरता से लेने की जरूरत है.

(लेखक -अरुणिम भुयान)

Last Updated : Aug 10, 2020, 4:56 PM IST

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