दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

आंध्र प्रदेश पंचायत चुनाव विवाद : आखिर हम चुनाव आयोग से क्यों उलझें - andhra pradesh local election news

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश पंचायत चुनाव प्रकरण में एपी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और पूछा कि एसईसी ने अनुचित तरीके से कहां काम किया और नौकरशाही उसके खिलाफ क्यों खड़ी हुई? न्यायपालिका ने माना कि सरकार का तर्क यह आभास दे रहा है कि जो कहा जा रहा है उनके अलावा भी कुछ कारण हैं.

election
election

By

Published : Jan 27, 2021, 10:23 PM IST

हैदराबाद : आंध्र प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव कराने पर मचे हंगामे के बाद शीर्ष न्यायालय द्वारा एक तार्किक निष्कर्ष निकाला गया. राजनीतिक दलों के बीच बैलट लड़ाई के लिए मार्ग प्रशस्त करने के बजाय इस मुद्दे ने संवैधानिक प्रणालियों के बीच संघर्ष पैदा कर दिया था. जो प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी की विशेषता को रेखांकित करता है. सर्वोच्च न्यायालय ने पहले कई अवसरों पर कहा है कि राज्य और केंद्रीय चुनाव आयोग, चुनाव कराने पर समान शक्तियों का आदेश जारी कर सकते हैं.

हालांकि, स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने और एसईसी द्वारा जारी आदेश को न मानना अन्यायपूर्ण विवाद था और उच्चतम न्यायालय के हाथों सरकार को बड़ा झटका लगा. वे खुद को आने वाले अस्वाभाविक घटनाक्रम के लिए दोषी ठहरा सकते हैं. चार दिन पहले आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा कि चुनाव कराने का सही समय तय करने की अंतिम शक्ति राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के पास है. यह सुनिश्चित करते हुए कि चुनाव और टीकाकरण कार्यक्रम दोनों ही लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं. अदालत ने कहा कि विवाद के लिए दोनों पक्षों को सुचारू संचालन का आश्वासन देना चाहिए. इसके बाद एपी सरकार ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि टीकाकरण अभियान के मद्देनजर चुनाव नहीं हो सकते. सरकार को वहां भी झटका लगा.

सुप्रीम कोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि क्या अदालत को संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के कर्तव्यों को समझाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह इंगित करते हुए कहा कि सरकार ने चुनाव कराने पर तब जोर दिया जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी. यह महामारी कम होने पर वे चुनाव कराने के लिए अनिच्छुक हैं. अदालती टिप्पणियों ने एपी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. सुप्रीम कोर्ट ने एपी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और पूछा कि एसईसी ने अनुचित तरीके से कहां काम किया और नौकरशाही उसके खिलाफ क्यों खड़ी हुई? न्यायपालिका ने माना कि सरकार का तर्क यह आभास दे रहा है कि जो तर्क दिए जा रहे हैं उनके अलावा भी कुछ कारण हैं.

निर्णय का हक राज्य चुनाव आयोग को

अदालत ने यह कहते हुए संवैधानिक भावना को बरकरार रखा कि एसईसी का निर्णय अंतिम है, क्योंकि अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं. भारत के संविधान ने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है. इसने चुनाव से संबंधित मामलों में चुनाव आयोग को विशेष अधिकार दिए हैं. हालांकि, अनुच्छेद 243 के संविधान के दायरे में राज्य सरकारों द्वारा पंचायत चुनाव से संबंधित नियमों में संशोधन की सुविधा देता है, लेकिन चुनाव कराने की सभी शक्तियां राज्य चुनाव आयोग को सौंपी गई हैं. आंध्र प्रदेश विधानसभा ने हाल ही में पंचायत चुनावों की 3 सप्ताह की अवधि को घटाकर दो सप्ताह कर दिया.

पंचायत चुनावों पर हुई रस्साकसी

संवैधानिक मानदंड स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अगर राज्य निर्वाचन आयुक्त, राज्य सरकार को पंचायत चुनावों के बारे में सलाह देते हैं, तो उन्हें चुनाव के लिए सरकार की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है. हालांकि, हाल के एक प्रस्ताव में एपी विधान सभा ने एसईसी के लिए पंचायत चुनावों के लिए राज्य की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया है. बाद में जिसे संवैधानिक भावना के संकट के रूप में देखा गया. पूरी नौकरशाही और कर्मचारियों ने सर्वसम्मति से पंचायत चुनावों में एसईसी के साथ सहयोग नहीं करने का संकल्प लिया. संवैधानिक निकायों को तानाशाही करने की प्रवृत्ति त्यागनी चाहिए, क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए गंभीर आघात जैसा है.

यह भी पढ़ें-मिसाल : युवा आईटी इंजीनियर ने शुरू की जैविक खेती, बनीं युवाओं की रोल माॅडल

इस लड़ाई से जनता का नुकसान

अगर सत्ता में बैठे लोगों की खुशी के अनुसार चुनाव होने लगें, तो निश्चित कार्यकाल के बाद चुनाव कराने का मूल लोकतांत्रिक मानदंड समाप्त हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस पर भरोसा किया जाना चाहिए कि एसईसी अपनी विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग तर्कसंगत तरीके से करेगा. अदालत ने पहले स्पष्ट कर दिया था कि उन शक्तियों के उपयोग में कोई विचलन हो सकता है. प्रत्येक संवैधानिक प्रणाली को संवैधानिक ढांचे के दायरे में कार्य करना चाहिए. अगर वे आपस की लड़ाई में उलझे रहेंगे, तो व्यवस्था को नुकसान होगा. ऐसी लड़ाई में आम लोगों का ही नुकसान होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details