हैदराबाद : वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के शीर्ष पर होने के बावजूद हम कोरोना का इलाज क्यों नहीं खोज पा रहे हैं? चिकित्सा विज्ञान एंटीवायरल शोध में महत्वपूर्ण प्रगति क्यों नहीं कर रहा है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जो इस महामारी के अनियंत्रित होते दौर में हम सभी के मन में उठ रहे हैं.
इसी तरह वह पहला संकट था, जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो रहा था और उसी वक्त पेनिसिलिन (Penicillin) नामक दवा का आविष्कार किया गया. यह पहली ऐसी एंटीबायोटिक थी, जिसने लाखों सैनिकों को संक्रमण से बचाया था. तब से आज तक कई जीवन रक्षक दवाओं का आविष्कार किया जा चुका है.
हालांकि, कई जीवाणुरोधी दवाओं ने कई प्रकार की बीमारियों पर लगाम लगाकर मानवता में योगदान दिया है. लेकिन फिर भी एंटीवायरल दवाओं के मामले में हमने बहुत प्रगति नहीं की है.
हर बार एक नया वायरल संक्रमण जैसे एचआईवी, इबोला, सार्स जैसे वायरस पैदा हो जाते हैं और हमें पूरी तरह से असहाय कर देते हैं.
एंटीवायरल दवाएं बनाना इतना जटिल क्यों है? वह एंटीबायोटिक दवाओं से इतनी अलग क्यों होती हैं? इन सारे सवालों का जवाब बैक्टीरिया और वायरस की रूपात्मक विशेषताओं में निहित होता है.
बैक्टीरिया और वायरस के बीच एक बड़ा अंतर है. बैक्टीरिया रोगाणु या सूक्ष्म जीव होते हैं, जो स्वयं ही जीवित रहते हैं. वह ऐसे प्रोकार्योट्स (prokaryotes) होते हैं, जो एकल डीएनए सर्कल से बने होते हैं.
हालांकि, वह मानव कोशिकाओं के समान ही होते हैं, लेकिन उनकी कुछ अलग विशेषताएं भी होती हैं. उदाहरण के लिए, उनके पास सेल वॉल (cell walls) होती है, जो पेप्टिडोग्लाइकन (peptidoglycan) नामक एक बहुलक से बनी होती है.
यही जीवाणु सेल वॉल किसी भी एंटीबायोटिक उपचार के लिए एक लक्ष्य का काम करती है.
इसका मतलब है कि एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को मारने या उनकी वृद्धि को धीमा करने का काम करते हैं. वह पेप्टिडोग्लाइकन (peptidoglycan) युक्त बैक्टीरिया सेल वॉल पर हमला कर ऐसा करते हैं.
सुरक्षित और प्रभावी एंटीवायरल दवाएं बनाना मुश्किल है क्योंकि वायरस अपना असर दिखाने के लिए होस्ट सेल (host cell) पर हमला करते हैं.
वायरस का स्वयं कोई जैव रासायनिक तंत्र नहीं होता है, वह होस्ट सेल (host cell) में प्रवेश करते हैं और अपनी प्रक्रियाओं के लिए उस मशीनरी का उपयोग करते हैं.
वायरस प्रजनन के लिए अपनी आनुवंशिक सामग्री को मानव कोशिका के डीएनए में डालते हैं, इसलिए वायरस को होस्ट सेल से अलग करना कठिन होता है.