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हैदराबाद में लगातार बढ़ रहे हैं महिलाओं के विरूद्ध अपराध : रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य से हर रोज करीब 60 लोग लापता हो रहे हैं. इनमें ज्यादा तादाद महिलाओं की है. इनमें अधिकतर मामले हैदराबाद के प्रसिद्ध इलाकों से हैं, यह खोए हुए लोग कहां जा रहे हैं? क्या यह अपराधियों के हाथों मौत के घाट उतारे जा रहे हैं?

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Published : Dec 5, 2019, 11:54 PM IST

Updated : Dec 6, 2019, 4:12 PM IST

हैदराबाद : एक परिवार अपने आर्थिक जीवन को बेहतर बनाने की उम्मीद से शहर जाता है. परिवार में एक 16 वर्षीया लड़की भी है जो खाली समय में मां के साथ चाय की दुकान चलाने में मदद करती है. लेकिन एक रात वह अचानक गायब हो जाती है. लड़की का परिवार उसका पता लगाने में विफल रहता है, इसलिए उसने रात 11 बजे दक्षिण भारत के हैदराबाद के गच्ची बावली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई.

शिकायत दर्ज करने के बाद, मां इस उम्मीद के साथ घर लौटती है कि उसकी बेटी जल्द ही मिल जाएगी, लेकिन असहाय मां को क्या पता कि अगले दिन वह भयानक खबर सुन लेगी. अगले दिन, पुलिस की रिपोर्ट है कि एक निर्जन क्षेत्र से एक शव बरामद किया गया. अपनी बच्ची को मरणासन्न हालत में देखकर वह हताशा में रोती है.

इससे पहले शमशाबाद इलाके के एक युवा डॉक्टर से गैंग रेप के बाद बेरहमी से उसकी हत्या कर दी गई थी.

रात करीब 9 बजे, डॉ. दिशा ने अपनी बहन को फोन किया और अपनी समस्या बताई. वह डर गई थी कि कुछ लोग उसका पीछा कर रहे थे. उससे बात करने के कुछ ही मिनटों बाद, दिशा का फोन बंद हो गया.

दिशा के माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराने के लिए दो पुलिस स्टेशनों से संपर्क किया. पुलिस की कथित लापरवाही के कारण, दिशा मृत पाई गई, उसका शरीर जला हुआ पाया गया.

पुलिस की लापरवाही से समाज के सभी वर्ग परेशान हैं. स्थिति की संवेदनशीलता के बावजूद, पुलिस अपना काम में नहीं कर रही है. प्रत्येक शहर के पुलिस स्टेशन में लापता लोगों की तस्वीरों से भरा एक डिस्प्ले बोर्ड है.

थाना यह भी घोषणा करता है कि जो कोई भी परिवार के एक लापता सदस्य के बारे में जानकारी देता है, उसे पुरस्कृत किया जाएगा.

हैदराबाद जैसे बड़े शहर में, बड़ी संख्या में लोग रोजाना अपने घर छोड़ देते हैं. कुछ निजी कारणों के चलते घर छोड़ते हैं. इसी माह 40 लोग लापता हुए उनमें से 11 नाबालिग हैं और 14 महिलाएं हैं. हालांकि, पुलिस लगातार आश्वासन दे रही है कि उनकी तलाश जारी है, लेकिन उनमें से किसी का भी पता नहीं चला है.

हाल ही में एक मामला दर्ज किया गया है, जिसमें जुबली हिल्स पुलिस स्टेशन की एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई है कि उसके पति अपने दो बच्चों को सिर्फ इसलिए चेन्नई ले गए कि वह उनसे कभी नहीं मिले.

एक अन्य मामले में, एक महिला अपने प्रेमी के साथ चली गई, जिसके बाद उसके पिता ने अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई. लेकिन महीनों बीत चुके हैं. उन दोनों मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई है.

इस साल अब तक कुल 540 लोग गायब हुए. इनका संबंध हैदाराबाद, साइबराबाद और रचकौंडा से है. इनमें से 276 महिलाएं, 55 लड़कियां, जबकि 26 लड़के और 183 पुरुष हैं, जिनमें अब तक 222 का पता चला है. केवल नवंबर में ही इन तीन पुलिस क्षेत्रों में 38 से 40 गुमशुदगी के मामले दर्ज किए गए थे.

एक रिपोर्ट के अनुसार, लापता महिलाओं और लड़कियों में केवल 50% का ही पता लगाया जा सका है. बाकी महिलाओं की गुमशुदगी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है.

रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर मामलों में लापता महिला को शादी और अपने प्रेमी के साथ भागने के मामले में रिपोर्ट दर्ज करती है, और जो महिलाएं अपने प्रेमी के साथ भाग जाती हैं और कभी-कभी ऐसे मामलों को अपहरण के रूप में दर्ज किया जाता है.

KPHB (कुकटपल्ली हाउसिंग बोर्ड) कॉलोनी मामले की निवासी रमना मानसिक रूप से कमजोरअपने भाई की तलाश कर रही है, जो 24 जून से गायब है.

उसी क्षेत्र में चौकीदार के रूप में काम करने वाले दोगी बाला स्वामी ने मामला दर्ज कराया कि उनका 17 वर्षीय बेटा राकेश 23 सितंबर से लापता था. उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में कई बार चक्कर कराया, लेकिन उनके बेटे की अब तक पहचान नहीं हो पाई है.

KPHB फोर्थ के निवासी वीएस राजू ने कहा कि मानसिक रूप से कमजोर उनके 78 वर्षीय पिता 21 जून से लापता हैं, लेकिन उसके बाद से कोई खबर नहीं मिली है.

इसी तरह, अन्नानगर में दिहाड़ी पर काम कर रही 40 वर्षीया गीता मई में घर छोड़कर चली गई और फिर कभी नहीं लौटीं. उसकी मां ने बालानगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस अब तक पता नहीं कर पाई है.

वहीं दूसरी ओर लालागुडा पुलिस इस तरह के एक लापता मामले को हल करने के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रही है. उसने बिना किसी सूचना के लापता व्यक्तियों को खोजने के लिए बहुत प्रयास किए हैं.

लालागुडा पुलिस ने लालपत, शांति नगर, चंद्र बाबू नगर, सत्य नगर, इंदिरा नगर, लाल गौड़ा और मेटगोड़ा के क्षेत्राधिकार को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया है और किसी भी अप्रत्याशित घटना पर नजर रखती है. 2016 से 2019 की अवधि के दौरान, 69 लापता व्यक्तियों के मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से केवल एक का समाधान नहीं किया गया था.

उन्होंने 68 लापता महिलाओं का पता लगाया और उन्हें सुरक्षित रूप से उनके परिवारों को सौंप दिया गया.

KPHB कॉलोनी में, घटनाओं की संख्या बढ़ रही है, जिसमें महिलाएं स्वेच्छया से अपने घर छोड़ रही हैं, 26 वर्षीया महिला डॉक्टर की निर्मम हत्या के बाद लापता महिला के माता-पिता अपनी बेटी की स्थिति के बारे में पता करने के लिए बहुत परेशान हैं.

सन 2017 में KPHB पुलिस स्टेशन में 191 लापता लोगों के मामले सामने आए.इनमें से 180 को सफलतापूर्वक उनके घर लौटा दिया गया है.

KPHB के SI लक्ष्मी नारायण ने आश्वासन दिया है कि वह सभी लापता मुद्दों को हल करेंगे. उनका कहना है कि ज्यादातर मामलों में, 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद युवा लड़कियां घर से भाग जाती हैं.

कुछ शादी के बाद अपने घरों को लौट जाती हैं, जबकि अन्य पुलिस को बताती हैं कि उनके ब्वॉयफ्रेंड ने उन्हें धोखा दिया है.

पुलिस उन लड़कियों के लिए परामर्श सत्र आयोजित करती है, जो शादी करने के लिए घर से भाग जाती हैं.

हयातनगर पुलिस स्टेशन में ज्यादातर लापता मामले ओल्ड एज होम और अनाथालय से संबंधित हैं. हयातनगर पुलिस भीख मांगने वाले बच्चों को रेलवे और बस स्टेशनों पर कल्याणकारी अस्पतालों में भेज रही है. अधिकतर बच्चे कुछ दिनों के बाद घर से भाग गए.

2014 के बाद से, बालानगर पुलिस स्टेशन में 303 गुमशुदगी के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 286 को सुलझा लिया गया है. बाकी 17 मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई है. इस पुलिस स्टेशन में 40 से 70% मामले गुमशुदगी के हैं.

बालानगर के सीआई वाहिदुद्दीन ने कहा कि वह लोगों के गायब होने के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और तदनुसार मामला सुलझा लिया जाएगा.

वैसे पिछले 4 वर्षों में, जुबली हिल में गायब होने की संख्या धीरे-धीरे कम हो गई है. 90% से अधिक मामले सफल रहे हैं. पिछले चार वर्षों में, गुमशुदगी के 546 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से केवल 20 का समाधान नहीं किया गया है.

जुबली हिल्स की सीआईपी प्रौद्योगिकी की सहायता से और लापता व्यक्तियों की पहचान करके मुद्दों को हल कर रही है.जबकि बंजारा हिल्स में मिसिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं. पिछले चार वर्षों में, 735 मामले दर्ज किए गए हैं. इस स्टेशन ने कहा कि 90% मामले तकनीक की मदद से सफल हुए हैं.

गच्ची बावली इलाके में पिछले दो सालों में 194 गुमशुदगी के मामले दर्ज किए गए हैं. 2018 में, 96 लोग लापता हुए, जिनमें 51 महिलाएं और 12 लड़कियां शामिल थीं.

वर्ष 2019 में, 54 पुरुष, 39 महिलाएं, चार लड़के और एक लड़की गायब हुई. पुलिस ने इन 96 मामलों में 81 व्यक्तियों की खोज की है. पिछले चार वर्षों में कुतुब बिलाल मंडल के दुंदीगल पुलिस स्टेशन में लापता होने के 576 मामले दर्ज किए गए. इनमें से 78 मामलों को अभी तक हल नहीं किया गया है.

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2018 से, लड़कियों के माता-पिता की शिकायत पर पुलिस ने अपहरण के मामले दर्ज किए. पिछले दो वर्षों में, अपहरण के 19 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें तीन लापता लड़कियों के मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई है.

डूंडीगल पुलिस स्टेशन के शेखर रेड्डी ने कहा कि शिकायत अवधि के एक साल बाद मामला आया. उन्होंने कहा कि अगर वह इसे हल नहीं कर सकते हैं, तो वे मामला बंद कर देंगे. अब स्थिति बदल रही है और वह लापता बच्चों या बच्चों के माता-पिता की शिकायत के अनुसार अपहरण के मामले दर्ज कर रहे हैं.

13 फरवरी 2016 को, 45 वर्षीय होमगार्ड मोहम्मद इब्राहिम के, जो अपने काम के लिए मदारीम गए थे, लापता होने की सूचना है. पिछले तीन साल से उसकी कोई खबर नहीं है. उनकी पत्नी सलीमा बेगम ने चंद्रा गुट्टा पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया.

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि उनके पति ने 20 फरवरी 2016 को उनके ठिकाने की जानकारी दी और यह उनका आखिरी फोन कॉल था चंद्रा गुट्टा पुलिस ने वारंगल पुलिस के साथ मिलकर इसे ट्रैक किया है, लेकिन प्रयास भी नाकाम हुआ.

Last Updated : Dec 6, 2019, 4:12 PM IST

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