कानपुर : मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया गैंगस्टर विकास दुबे आज उत्तर प्रदेश के कानपुर में मारा गया. उत्तर प्रदेश एसटीएफ उसे कानपुर लेकर आ रही थी. रास्ते में एसटीएफ की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस दौरान विकास ने भागने की कोशिश की और पुलिस पर गोली चला दी. जबावी कार्रवाई में वह मारा गया.
विकास पर पिछले 30 वर्षों में 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. दो जुलाई को कानपुर में हुई मुठभेड़ का वह मुख्य आरोपी था. उस मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. उसके बाद से ही विकास फरार था.
कौन था विकास दुबे
विकास दुबे ने 1993 से आपराधिक दुनिया में कदम रखा. कई युवकों के साथ अपना खुद का गैंग बनाया और लूट, डकैती, हत्या जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने लगा. शिवली क्षेत्र के बिकरू गांव निवासी विकास दुबे के खिलाफ 52 से ज्यादा मामले यूपी के कई जिलों के थानों में चल रहे हैं. हत्या और हत्या के प्रयास के मामले पर पुलिस इसकी तलाश कर रही है.
चाचा ने दी अहम जानकारी
जनपद कानपुर देहात के रसूलाबाद में रहने वाले विकास के सगे चाचा ने विकास दुबे के बारे में कुछ अहम जानकारी दी है. गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के पास गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही कानपुर देहात में चाचा प्रेम किशोर ने कहा कि उनके यहां कई बार एसटीएफ और पुलिस टीम ने दबिश दी थी. उन्होंने पुलिस को बताया था कि संतोष शुक्ला हत्याकांड के बाद विकास से संबंध खत्म कर लिए थे.
हाईस्कूल के दौरान प्रिंसिपल पर किया था हमला
उन्होंने बताया कि विकास दुबे शुरू से ही आपराधिक मानसिकता का रहा है. वह हाईस्कूल में पढ़ने के दौरान कॉलेज में तमंचा लेकर जाता था. प्रिंसिपल और क्लास टीचर ने उसकी पिटाई कर दी, तो उन्हें रास्ते में घेरकर हमला कर दिया था. विकास दुबे ने जनपद कानपुर देहात की विधानसभा रसूलाबाद में रहने वाले चाचा प्रेम किशोर के यहां रहकर इंटर तक पढ़ाई की है. उसके साथ पढ़ने वाले कुछ साथियों ने बताया कि विकास शुरू से ही खूंखार रहा है.
हाईस्कूल से तमंचा लेकर जाता था कॉलेज
वर्ष 1984 में हाईस्कूल की पढ़ाई वह राजा दरियावचंद्र इंटर कॉलेज में कर रहा था. कॉलेज में वह अक्सर तमंचा लेकर पहुंचता था. इसकी जानकारी तत्कालीन प्रधानाचार्य को हुई तो उन्होंने उप प्रधानाचार्य और उसके कक्षाध्यापक को लेकर उससे तमंचा छीन लिया था. उसकी पिटाई भी कर दी थी. इससे नाराज विकास ने दूसरे दिन कॉलेज जाते समय रास्ते में रोक कर शिक्षकों से मारपीट की थी. हालांकि, तब छात्र होने की वजह से उस पर रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई थी. वह छात्रों के साथ छोटी-छोटी बातों पर मारपीट करता था.
संतोष शुक्ला की हत्या के बाद बढ़ा हौसला
अपने गांव लौटने के बाद वह खुलकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगा. वर्ष 2001 में शिवली कोतवाली के अंदर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर चर्चा में आ गया. इस घटना में अदालत से दोषमुक्त होने पर उसका हौसला और बढ़ गया.
बड़े नेताओं से थे संपर्क
कानपुर नगर से लेकर देहात तक में विकास दुबे की सल्तनत कायम थी. पंचायत, निकाय, विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव के वक्त राजनेताओं को बुलेट के दम पर बैलेट दिलवाना इसका पेशा बन गया. इसी दौरान इसके संबंध सपा, बसपा, भाजपा के बड़े नेताओं से हो गए. 2001 में इसने भाजपा सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री को थाने के अंदर घुसकर गोलियों से भून डाला था. हाई प्रोफाइल मर्डर के बाद शिवली के डॉन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और कुछ माह के बाद जमानत पर बाहर आ गया. इसके बाद इसने राजनेताओं के सरंक्षण से राजनीति में इंट्री की और नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत गया था.
शिवराजपुर से नगर पंचयात अध्यक्ष का चुनाव जीता
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की यूपी के चारों राजनीतिक दलों में अच्छी पकड़ थी. 2002 के वक्त जब मायावती सूबे की सीएम थीं, तब इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में चलता था. इस दौरान इसने जमीनों पर अवैध कब्जे के साथ अन्य गैर कानूनी तरीके से संपत्ति बनाई. जेल में रहने के दौरान शिवराजपुर से नगर पंचयात अध्यक्ष का चुनाव जीत गया. बसपा सरकार के एक कद्दावर नेता से इसके गहरे संबंध थे. चुनाव की आहट मिलते ही इसने पैर बाहर निकाले और इसी के बाद इसकी गिरफ्तारी का आदेश आ गया था. जानकारों का कहना है कि भाजपा के एक विधायक से इसका छत्तीस का आकड़ा था और बिल्हौर, शिवराजपुर, चौबेपुर नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने खास लोगों को जिताने के लिए लगा रखा था.
जीत के जश्न के बाद संतोष शुक्ला से हुआ था विवाद
1996 के विधानसभा चुनाव के दौरान चौबेपुर विधानसभा सीट से हरिकृष्ण श्रीवास्तव और भाजपा के संतोष शुक्ला के बीच तगड़ा मुकाबला हुआ. विकास दुबे ने श्रीवास्तव को जिताने का फरमान जारी कर दिया. इस दौरान संतोष शुक्ला और विकास के बीच कहासुनी हुई. इलेक्शन हरिकृष्ण श्रीवास्तव जीत गए. विकास और इसके गुर्गे जश्न मना रहे थे. इसी दौरान संतोष शुक्ला वहां से गुजर रहे थे. विकास ने उनकी कार को रोक कर गाली-गलौज शुरू कर दी. दोनों तरफ से जमकर हाथापाई हुई. इसके बाद से विकास ने संतोष शुक्ला को खत्म करने की ठान ली. पांच साल तक संतोष शुक्ला और विकास के बीच जंग जारी रही और इस दौरान दोनों तरफ के कई लोगों की जानें भी चली गईं.
राज्यमंत्री की थाने में घुसकर की थी हत्या
साल 2001 में यूपी में भाजपा सरकार बनी, तो संतोष शुक्ला को दर्जा प्राप्त मंत्री बनाया गया. इसके बाद से विकास दुबे की उल्टी गिनती शुरू हो गई. उसी वक्त विकास बसपा के साथ ही भाजपा नेताओं के संपर्क में आ गया. भाजपा नेताओं ने संतोष शुक्ला और विकास के बीच सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं रहे. उसी दौरान संतोष शुक्ला ने सत्ता की हनक के बल पर इसका एनकाउंटर कराने का प्लान बनाया, जिसकी भनक विकास को हुई, तो ये संतोष को मारने के लिए अपने गुर्गों के साथ निकल पड़ा. 2001 में संतोष शुक्ला एक सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी विकास अपने गुर्गों के साथ पहुंचा और संतोष शुक्ला पर फायरिंग शुरू कर दी. वो जान बचाने के लिए शिवली थाने पहुंचे, लेकिन विकास वहां भी आ धमका और लॉकअप में छिपे बैठे संतोष को बाहर लाकर मौत के घाट उतार दिया था.