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पहली बार 1915 में दिल्ली आए थे महात्मा गांधी, आज भी ताजा हैं स्टीफेंस कॉलेज में बिताए पल

आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना घर कर जाती थी. ईटीवी भारत ऐसे ही जगहों से गांधी से जुड़ी कई यादें आपको प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 22वीं कड़ी.

महात्मा गांदी और उनके मित्र की फाइल फोटो

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Published : Sep 6, 2019, 7:01 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 2:53 PM IST

नई दिल्ली. यह बात तो आपको मालूम ही होगा कि राष्टपिता महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे, तब उनका दिल्ली भी आना हुआ था. हालांकि, यह बात आपको शायद ही मालूम हो कि पहली बार वह 12 अप्रैल, 1915 को दिल्ली आए थे.

अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ दिल्ली आए गांधी यहां के सेंट स्टीफंस कॉलेज में ठहरे थे और उस वक़्त के नामी शख्सियत हकीम अजमल खान के घर भी गए थे. पहली बार दिल्ली आगमन पर बापू तीन दिन यहां रुके थे. अपने जीवनकाल में गांधी कुल 80 बार दिल्ली आए जिसमें 720 दिन यहां ठहरे थे.

सेंट स्टीफंस कॉलेज में बापू ने शाकाहारी खाना खाया था, और दिल्ली घूमने की इच्छा जाहिर की. इस पर हकीम अजमल खान ने अपनी बग्घी भेजकर कुतुब मीनार और कालकाजी मंदिर घुमाया था.

कॉलेज में अपने मित्र के घर पर ठहरे थे
महात्मा गांधी पहली बार जब दिल्ली 12 अप्रैल, 1915 की शाम को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरे थे. यहां से बग्घी (तांगा) में बैठकर अपने मित्र और उस वक़्त के सेंट स्टीफन्स कॉलेज के प्रिंसिपल सुशील कुमार रुद्र के कॉलेज परिसर में बने घर पर ठहरे थे. स्टेशन पर प्रिंसिपल रुद्र के साथ तीन-चार छात्र भी उन्हें लाने गए थे.

ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

13 अप्रैल 1915 को शिक्षक और छात्रों के साथ बैठक
बताया जाता है कि 13 अप्रैल 1915 को महात्मा गांधी ने सेंट स्टीफन्स और हिन्दू कॉलेज के छात्रों और शिक्षकों के साथ बैठक की थी. बैठक में मौजूद सभी लोग गांधीजी से दक्षिण अफ्रीका में चल रहे रंगभेद और गांधीजी द्वारा इसके खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई के बारे में जानना चाहते थे. यह बैठक करीब दो घंटे तक चली थी. कहा तो यह भी जाता है कि इसी जगह पर अंग्रेजों के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' की रूपरेखा भी तैयार की गई थी.

अजमल खान के घर खाया था खाना
जानकर बताते हैं कि कुछ देर आराम करने के बाद गांधीजी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ चांदनी चौक के लालकुआं स्थित हवेली 'शरीफ मंजिल' गए थे. यह हकीम अजमल खान की हवेली थी. अजमल खान के पूर्वज शरीफ खान मुगलों के शाही हकीम थे. अजमल खान दिल्ली में उस वक़्त नामी शख्सियतों में गिने जाते थे, करोल बाग में आज का तिब्बिया यूनानी कॉलेज और अस्पताल का निर्माण उन्हीं ने करवाया था. जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय की स्थापना में भी उनका अहम योगदान था.

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लालकुआं में सैकड़ों लोगों ने किया था स्वागत
अजमल खान की चौथी पीढ़ी (परपोते) के मसरूर अहमद खान बताते हैं कि लालकुआं इलाके में गांधीजी के स्वागत के लिए सैकड़ों लोग खड़े थे. शाम करीब 4 बजे का वक़्त था. गांधीजी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ बग्घी (तांगा) से यहां पहुंचते हैं. रात का खाना यहीं खाते हैं और करीब 9 बजे सेंट स्टीफंस कॉलेज के लिए पत्नी के साथ रवाना हो जाते हैं.
हकीम अजमल खान और गांधीजी के भाई जैसे रिश्ते बन गए थे

मसरूर अहमद खान बताते हैं कि दोनों के रिश्ते काफी मजबूत थे. यहां स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अनेक स्वतंत्रता सेनानी भी आए थे जिनकी बैठक गांधीजी के साथ हुई थी. बाद में हकीम अजमल खान ने भी कांग्रेस जॉइन कर स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी.

मसरूर अहमद खान बताते हैं कि गांधी जी दिल्ली घूमना चाहते थे. हकीम साहब ने सेंट स्टीफन्स कॉलेज में बग्घी भिजवा दी थी. जिसमें बैठकर गांधीजी कुतुब मीनार और कालकाजी मंदिर घूमने गए थे. दिल्ली घूमने के बाद गांधीजी अगले दिन यानी 15 अप्रैल, 1915 को मथुरा के लिए रवाना हो गए थे.

Last Updated : Sep 29, 2019, 2:53 PM IST

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