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जागते रहो : आइडेंटिटी क्लोनिंग के जरिए बदमाश दे रहे अपराधों को अंजाम - आइडेंटिटी क्लोनिंग क्या है

अज्ञात बदमाशों ने लखनऊ सेंट्रल के एसीपी अभय कुमार मिश्रा का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया और उनके संपर्क में रहने वाले लोगों से पैसे मांगने की कोशिश की. साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले इस तरीके को आइडेंटिटी क्लोनिंग कहा जाता है.

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Published : Jun 24, 2020, 7:00 AM IST

लखनऊ/हैदराबाद : कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन में साइबर अपराधों में वृद्धि देखी गई है. इन्हीं में से एक है आइडेंटिटी क्लोनिंग. हाल के दिनों में ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के लखनऊ में देखने को मिली, जहां लखनऊ सेंट्रल के एसीपी अभय कुमार मिश्रा की अज्ञात बदमाशों ने फेसबुक आईडी चुरा ली और फिर फर्जी अकाउंट बना लिया.

देश में बढ़ते साइबर क्राइम पर ईटीवी भारत के सहायक समाचार संपादक वर्गीस अब्राहम ने साइबर एक्सपर्ट सचिन गुप्ता से खास बातचीत की. सचिन ने ईटीवी भारत को बताया कि कैसे एक साइबर अपराधी लोगों के साथ धोखेबाजी करता है और लोग कैसे अपना पैसा गंवा देते हैं.

साइबर विशेषज्ञ से खास बातचीत (वीडियो)

साइबर अपराधियों ने उनकी फ्रेंड लिस्ट से कुछ दोस्तों को मैसेज किए और तत्काल पांच हजार रुपयों की मांग की. यह मामला तब सामने आया, जब अभय कुमार मिश्रा के दोस्तों में से एक ने उनसे स्पष्टीकरण के लिए संपर्क किया और घटना के बारे में पूछा.

इसके बाद अभय कुमार मिश्रा ने लखनऊ के साइबर क्राइम सेल में मामले की सूचना दी, जिसके बाद जांच शुरू हुई.

बता दें कि साइबर क्राइम सेल में फर्जी खातों के ऐसे 12 मामले दर्ज किए गए हैं, जहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दोस्तों और रिश्तेदारों को फर्जी संदेश भेजे गए हों.

एसीपी साइबर क्राइम विवेक रंजन राय ने बताया कि अगर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोग अधिक जागरूक हो जाएं, तो ऐसे अपराधों से बचा जा सकता है.

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उन्होंने बताया कि जागरूकता के लिए एक कार्यक्रम भी चलाया है. साथ ही साइबर अपराधों से बचने के लिए सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं.

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इन घटनाओं को लेकर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए साइबर विशेषज्ञ सचिन गुप्ता ने बताया कि उपयोगकर्ता को अपने प्रोफाइल फोटो को लॉक करके रखना चाहिए, जिससे बदमाश इसे डाउनलोड न कर सकें. वहीं उपयोगकर्ता को अपनी फ्रेंड लिस्ट भी छिपाकर रखना चाहिए.

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