दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कोरोना महामारी का एक उपाय- वैक्सीन, जानें कैसे करती है काम

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन को विकसित करने को लेकर होड़ मची हुई है. इस महामारी को खत्म करने का यही उपाय भी है. कई देश इसके लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. कई वैक्सीनों का विकास किया जा रहा है. आइए जानते हैं यह कौन सी हैं और कैसे काम करती हैं.

what is a vaccine
डिजाइन फोटो

By

Published : May 8, 2020, 8:15 PM IST

Updated : May 8, 2020, 8:44 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस या किसी भी वायरस से फैली महामारी को खत्म करने का एक उपाय है कि उस वायरस की वैक्सीन विकसित कर ली जाए. दुनियाभर के वैज्ञानिक और फार्मा कंपनियां मानवता को इस वायरस से बचाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास कर रही हैं. विश्वभर में 96 से ज्यादा कंपनियां और वैज्ञानिक वैक्सीन विकास और अनुसंधान के प्रारंभिक चरण में हैं. छह कंपनियों ने क्लिनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया है. कई अन्य जानवरों पर परीक्षण कर रहे हैं. यह वैक्सीन कैसे बनती है और कैसे काम करती है, जानें...

वैक्सीन कई प्रकार की होती हैं. उसे बनाने की प्रक्रिया से निर्धारित होता है कि उसका प्रकार क्या होगा. उसके प्रकार से निर्धारित होता है कि वह कार्य कैसे करेगी.

लाइव वायरस वैक्सीन
यह वैक्सीन कमजोर वायरस का इस्तेमाल करती है. खसरा, कण्ठमाला और रूबेला के टीके इसके उदाहरण हैं. कम से कम सात जगहों पर इस प्रक्रिया से वैक्सीन बनाई जा रही है. हालांकि इनकी गहनता से जांच की जानी है.

लाइव वैक्सीन के विकास के लिए न्यूयॉर्क स्थित दवा कंपनी कोडजेनिक्स ने पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ साझेदारी की है.

निष्क्रिय वैक्सीन
यह वैक्सीन निष्क्रिय वायरस से बनाई जाती है. वायरस को लैब में उगाया जाता है. इस दौरान वह बीमार करने की क्षमता खो देता है.

बीजिंग के सिनोवैक बायोटेक को निष्क्रिय कोरोना वायरस वैक्सीन के मानव परीक्षणों को शुरू करने के लिए नियामक स्वीकृति मिल गई है.

आनुवंशिक रूप से इंजीनियर की गई वैक्सीन
आनुवंशिक रूप से इंजीनियर की गई वैक्सीन इंजीनियर किए हुए आरएनए या डीएनए का इस्तेमाल करती है. इनमें प्रोटीन की प्रतियां बनाने की जानकारी होती है. इस तरह की एक भी वैक्सीन को मानव उपयोग के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है.

वेक्टर आधारित वैक्सीन
25 दलों ने दावा किया है कि वह वेक्टर्ड वैक्सीन का प्रीक्लिनिकल मूल्यांकन करने में सफल रहे हैं. इस वैक्सीन में रासायनिक प्रक्रिया से कमजोर किए गए वायरस का उपयोग किया जाता है.

एस-प्रोटीन आधारित वैक्सीन
32 समूह ऐसे हैं जो एस-प्रोटीन पर आधारित कोरोना वायरस वैक्सीन पर ट्रायल कर रहे हैं. कोरोना वायरस के संरचनात्मक प्रोटीन में एस प्रोटीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार मुख्य घटक है. इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि वैक्सीन विकसित करने में इसका अहम योगदान है.

वीएलपी
पांच ऐसे समूह हैं जो वैक्सीन बनाने के लिए वायरस जैसे कणों पर काम कर रहे हैं. यह मल्टी प्रोटीन की संरचना होती है जो वायरस की नकल करता है, लेकिन इसमें वायरल जीनोम नहीं होता है.

टॉक्साइड वैक्सीन
इस वैक्सीन को पैथोजेन के कुछ विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय करके बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में फॉर्मल्डिहाइड और पानी का भी इस्तेमाल किया जाता है. इन निष्क्रिय विषाक्त पदार्थों को शरीर में डाला जाता है. करीब आठ टॉक्साइड वैक्सीनों का क्लिनिकल ट्रायल किया जाना है.

वैक्सीन केसे काम करती है
SARS-CoV-2 की सतह पर कील नुमा प्रोटीन (एस) होता है. एस प्रोटीन श्लेष्म झिल्ली में मौजूद ACE2 रिसेप्टर्स पर चिपक कर हमारे वायुमार्ग पर आक्रमण करते हैं. होस्ट कोशिका से जुड़ जाने के बाद यह अपना आरएनए कोशिकाओं में डालते हैं और अपनी संख्या बढ़ाते हैं.

किसी भी वैक्सीन का लक्ष्य रोगजनक को पहचानने और मुकाबला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करना है. यह करने के लिए कुछ एंटिजनों को शरीर में डाला जाता है. इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रीय हो जाती है.

एक बार जब प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीजन को पहचान लेती है, तो एंटीबॉडी इस वायरस की कोशिका झिल्ली पर विशेष प्रोटीन लगा देते हैं, ताकि टी कोशिकाएं उन्हें नष्ट कर सकें. सहायक टी कोशिकाएं बी कोशिकाओं को सक्रिय कर देती हैं. बी कोशिकाएं एंटीबॉडी और मैक्रोफेज छोड़ती हैं जो एंटीजेन को नष्ट कर देती हैं.

बी कोशिकाएं संक्रमित कोशिकाओं को मारने के लिए साइटोटॉक्सिक टी कोशिकाओं को सक्रिय करने में भी मदद करती हैं. टी और बी कोशिकाएं स्मृति कोशिकाएं बनाती हैं जो उसी एक रोगजनक को याद रखती हैं. अगर वही वायरस फिर से आता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली उसे पहचान लेती है और उसे खत्म कर दती है.

पढ़ें-कोरोना : हार्वर्ड मेडिकल स्कूल को जीन आधारित वैक्सीन के विकास में बड़ी सफलता

Last Updated : May 8, 2020, 8:44 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details