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राजस्व क्षतिपूर्ति: बंगाल ने की जीएसटी परिषद की बैठक बुलाने की अपील - gst council meeting

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाने को कहा है. उन्होंने तर्क दिया है कि इस समय जीएसटी वसूली में करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये की कमी है.

wb fm appealed to sitharaman
जल्द बुलाई जाए जीएसटी काउंसिल की बैठक

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Published : Nov 14, 2020, 7:54 PM IST

कोलकाता:पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीएसटी परिषद की बैठक बुलाने की अपील की है. वह चाहते हैं कि इस बैठक में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के राजस्व में गिरावट की भरपाई के लिए केंद्र सरकार के कर्ज लेने के विषय में बात की जा सके.

ममता बनर्जी ने भी लिखा था पत्र
मित्रा ने सीतारमण को शुक्रवार को पत्र लिखकर कहा कि परिषद की अगस्त और अक्टूबर की बैठकों में कई राज्यों ने मांग उठाई थी कि राज्यों के जीएसटी राजस्व की वसूली में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की विशेष सुविधा से कर्ज केंद्र सरकार उठाए. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस बारे में सीतारमण को 10 अक्टूबर को पत्र लिखा था.

जीएसटी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था को आगे बढ़ाने पर थी एक राय
जीएसटी कानून के तहत केंद्र ने जीएसटी व्यवस्था के तहत पांच वर्ष तक राजस्व में 14 प्रतिशत से कम की वार्षिक वृद्धि की क्षतिपूर्ति करने का विधिवत आश्वासन दिया है. इसके लिए महंगी और अहितकर उपभोक्ता वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की दर से उपकर लगाया जाता है. जीएसटी को जुलाई 2017 में लागू किया गया था. केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था 2022 के बाद भी जारी रखने का अश्वासन दिया है. मित्रा ने कहा है कि क्षतिपूर्ति की इस व्यवस्था को आगे बढ़ाने पर परिषद में एक राय थी.

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जीएसटी वसूली में इस समय है कमी
जीएसटी वसूली में इस समय अनुमानित 1.10 लाख करोड़ रुपये की कमी है. मित्रा का कहना है कि केंद सरकार अगर रिजर्व बैंक की विशेष सुविधा के जरिए इस पूरी राशि का कर्ज लेकर राज्यों को देती है तो इससे उसके राजकोषीय घाटे पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि जीएसटी उपकर की वसूली से उसे यह राशि मिल जाएगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि केंद्र को रिजर्व बैंक से पांच प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर कर्ज मिल जाएगा, जबकि राज्यों को 6.8 प्रतिशत पर कर्ज उठाना पड़ेगा.

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