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Published : Dec 12, 2020, 9:34 PM IST

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मौजूदा कृषि कानून में संशोधनों की जगह नए कानूनों को करेंगे स्वीकार : हन्नान मोल्लाह

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वह सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून में संशोधन की जगह एक नए कृषि कानून को स्वीकार करेंगे.

हन्नान मोल्लाह
हन्नान मोल्लाह

नई दिल्ली : ऐसे समय में जब केंद्र सरकार आंदोलनरत किसानों को समझाने की पूरी कोशिश कर रही है, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि वह मौजूदा कानून में संशोधन के बजाए नए कृषि कानून को स्वाकार करेंगे.

उन्होंने शनिवार को ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि वह सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून में संशोधन की जगह एक नए कृषि कानून को स्वीकार करेंगे.

मोल्ला ने कहा, 'हम एक नया कानून स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, जहां केंद्र सरकार और कृषि क्षेत्र दोनों अपने सुझाव दे सकते हैं, लेकिन हम मौजूदा संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे. देश के 70 करोड़ किसान मौजूदा कानून के खिलाफ हैं.'

ईटीवी भारत से बात करते हन्नान मोल्लाह

शनिवार को किसान आंदोलन का 17 वां दिन है और किसान अभी भी सिंघू और दिल्ली के आसपास की अन्य सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

कृषि कानूनों को किसानों का विरोधी करार देते हुए, आंदोलनकारी उस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जब कृषि से संबंधित पहला अध्यादेश आया, तो हमने पूरे भारत में इसका विरोध किया. अब हम पिछले छह महीनों से कृषि कानून के खिलाफ लड़ रहे हैं. मोल्लाह ने कहा कि बातचीत के नाम पर सरकार अपने पुराने स्टैंड को दोहरा रही है.

उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल ऐसे ही कि हमें मलेरिया की बीमारी हो रही है और सरकार हमें कॉलेरा की दवा देना चाहती है.

मोल्लाह ने दावा किया कि 8 दिसंबर के भारत बंद का सकारात्मक और व्यापक असर देखने को मिला. हमें उम्मीद है कि 14 दिसंबर को दिल्ली चलो आंदोलन भी बहुत व्यापक होगा. आंदोलन में दिल्ली से सटे पांच राज्यों के लोग आंदोलनकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.

उन्होंने कहा कि यह पिछले 40 वर्षों में होने वाला ऐतिहासिक आंदोलन हैं, जिसमें 500 से अधिक संगठनों में साथ आकर सरकार की नीति का विरोध किया.

लोकतंत्र में सरकार हमेशा आंदोलनकारियों और अन्य लोगों की आवाज सुनने की कोशिश करती है, लेकिन वर्तमान में भारत में एक फासीवादी सरकार है, जो किसी की नहीं सुनती.

विपक्ष द्वारा आंदोलन का समर्थन करने के बारे में पूछे जाने पर, मोल्लाह ने कहा कि विपक्षी दल अपनी भूमिका निभा रहे हैं. वर्तमान आंदोलन में विपक्षी दलों का कोई योगदान नहीं है.

वास्तव में पिछले छह महीनों में कोई भी विपक्षी दल किसानों की मदद करने नहीं आया. यह एक किसान आंदोलन है और हमने किसी भी विपक्षी दल को शामिल नहीं किया है.

पढ़ें - कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जारी, सरकार के फैसले पर टिका आंदोलन का भविष्य

मौजूदा विवाद को लेकर उनसे समाधान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा गेंद केंद्र के पाले में है, लेकिन सरकार अपने एजेंडा को पूरा करने के लिए हम पर दबाव बनाएगी, तो इस आंदोलन को खत्म नहीं जा सकता.

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