कोलकाताः पश्चिम बंगाल विधानसभा ने भीड़ द्वारा हमला करने और लिंचिंग करने की घटनाओं की रोकथाम के लिए आज एक विधेयक पारित किया. इन्हें अपराध की श्रेणी में डाला गया है.
पश्चिम बंगाल के सदन में (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक पेश किया गया. इस विधेयक पर विपक्षी पार्टी माकपा और कांग्रेस ने इस विधेयक का समर्थन किया.
मुख्य विपक्षी पार्टी के रुप में हाल ही में उभरी भाजपा ने इस विधेयक का न तो समर्थन किया और न ही विरोध किया है क्योंकि बीजेपी को लगता है कि इस कानून का उपयोग राजनीतिक तौर पर फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.
इस विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्य़मंत्री ममता बनर्जी ने सदन में कहा कि लिंचिंग एक सामाजिक बुराई है और हम सभी को उसके खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने लिंचिंग के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
बनर्जी ने आगे कहा कि केन्द्र सरकार को भी लिंचिंग के विरोध में कानून लाना चाहिए. साथ ही कहा कि इसलिए हम इस सामाजिक बुराई के खिलाफ संघर्ष के लिए अपने राज्य में यह कानून ला रहे हैं.
इस विधेयक का उद्देश लिंचिंग की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और लिंचिंग की घटनाएं रोकना है. इस विधेयक में लिचिंग जैसे अपराध करने वालों के खिलाफ कार्यवाई का प्रस्ताव है.
पढ़ेंः मोदी की 'राह' पर ममता, टी-स्टाल पर अपने हाथों से चाय बनाई और पिलाई भी
इस कानून के तहत मारपीट और पीड़ित को घायल करने के जुर्म में तीन साल की जेल से लेकर आजीवन करावास तक के प्रावधान है.
विधेयक में यह भी कहा गया है कि यदि किसी मारपीट में पीड़ित व्यक्ति की मौत हो जाती है तो मौत के जिम्मेदार व्यक्तियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास और पांच लाख तक जुर्माना हो सकता है.