दिल्ली

delhi

कोरोना महामारी के बाद पश्चिम बंगाल पर चक्रवात अम्फान की मार

By

Published : May 24, 2020, 3:01 PM IST

Updated : May 24, 2020, 8:47 PM IST

कोरोना वायरस के लगातार बढ़ रहे मामलों की मार झेल रहे पश्चिम बंगाल ने पिछले 250 से अधिक वर्षों में सबसे भयावाह तूफानों में से एक चक्रवात अम्फान का सामना किया है. चक्रवात के कारण स्थिति कितनी भयावह हो सकती है, इसका अंदाजा 1999 के सुपर साइक्लोन से लगाया जा सकता है.

चक्रवात अम्फान
चक्रवात अम्फान

कोलकाता : कोरोना वायरस के लगातार बढ़ रहे मामलों की मार झेल रहे पश्चिम बंगाल ने पिछले 250 से अधिक वर्षों में सबसे भयावाह तूफानों में से एक चक्रवात अम्फान का सामना किया है. चक्रवात के कारण स्थिति कितनी भयावह हो सकती है, इसका अंदाजा 1999 के सुपर साइक्लोन से लगाया जा सकता है, जिसने ओडिशा को तबाह कर दिया था. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उस समय चक्रवात से हताहत होने वालों की संख्या 9,887 थी, जबकि अनाधिकारिक आंकड़े 30,000 थे.

हालांकि अब समय बदल गया है. चक्रवात चेतावनी प्रणाली के साथ-साथ आपदा तैयारी तंत्र भी और बेहतर हो गया है. इसके बावजूद 20 मई की दोपहर में जो हुआ, कल्पना से परे था.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य में 259 पर कोरोना से संबंधित मौतों और 3,197 लोगों के वायरस से संक्रमित होने का आंकड़ा जारी किया था.

राज्य सरकार पर पहले से ही अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिकों का ट्रेन और बसों पर भार पड़ना शुरू हो गया है, जो पश्चिम बंगाल में कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि के लिए खतरनाक हो सकता है.

पश्चिम बंगाल देश के कुछ उन राज्यों में से एक है, जहां प्रवासी श्रम बल सबसे अधिक हैं.

मजदूरों की वापसी भी राज्य सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को कैसे अलग किया जाए और उनमें फैले वायरस को कैसे रोका जाए.

पश्चिम बंगाल के पीपीई, डॉक्टरों, प्रशिक्षित नर्सों और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं की कमी कुछ समय से सवालों के घेरे में है. इसलिए राज्य सरकार ने इस मुद्दे को भी उठाया है.

उधर विपक्ष कोविड -19 से पैदा हुई स्थिति को न संभाल पाने का हवाला देते हुए ममता बनर्जी-सरकार को घेरे हुए है.

जैसे ही चक्रवात के कारण पुरवा मेदिनीपुर जिले में दीघा, शंकरपुर और ताजपुर के तट पर तेज हवाएं चलना शुरू हुईं, उस समया ममता बनर्जी राज्य सचिवालय में केंद्रीय नियंत्रण कक्ष में थीं. चक्रवात 20 मई को अपराह्न 2.30 बजे के बाद तट से टकराया और सुंदरवन को पार करते ही डेल्टा क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता का लगभग सफाया कर दिया.

दक्षिण 24 परगना जिले में ग्रामीण क्षेत्र एक के बाद एक ताश के पत्तों की तरह बह गए. हवा की गति 190 किमी प्रति घंटे के निशान को छू रही थी, जो कि 2009 के चक्रवात आइला और 2019 के ट्वीन चक्रवात - बुलबुल और फानी के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक थी.

चक्रवात अम्फान जैसे-जैसे आगे बढ़ा वैसे-वैसे तबाही मचाता रहा. राजधानी कोलकाता बंद थी, लोग प्रार्थना कर रहे थे और नियंत्रण कक्ष में ममता बनर्जी मौजूद थीं, जहां से वह प्रकृति का नंगा नाच देख रही थीं.

जैसे-जैसे रात हो थी वैसे-वैसे बिजली की आपूर्ति बंद हो रही थी और शहर अंधेरे में डूब गए. इतना ही नहीं रात के गहरे अंधेरे में तेज हवाओं के साथ-साथ भारी बारिश भी हो रही थी. जगमगाता हुआ एक शहर रातोंरोत तहस- नहस हो गया और खंडहर में बदल गया.

बाद में सीएम ममता बनर्जी ने जानकारी दी कि चक्रवात के कारण 72 लोगों की मौत हो गई. हालांकि मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते रहे और 86 तक पहुंच गए.

इसके अलावा आम, लीची, सुपारी, जूट, तिल और सब्जियों की तैयार खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं. 16,500 हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में लगीं फसलें नष्ट हो गईं.

पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि हालांकि 76.5 प्रतिशत बोरो धान की फसल पहले ही काटी जा चुकी थी, फिर भी खेतों में जलभराव से पकी फसल को गंभीर खतरा पैदा हो गया है.

यह फसल कोरोना महामारी से पहले कटाई और गोदामों में जाने के लिए रखी हुई थी.

पढ़ें- चक्रवात : ओडिशा को पुनर्निर्माण कार्यों के लिए 500 करोड़ रुपये की अंतरिम सहायता

आंकड़ों के मुताबिक देखा जाए तो चक्रवात अम्फान की तुलना 1737 में आए भयंकर चक्रवाती तूफान से की जा सकती है, जिसनें 7 से 12 अक्टूबर के बीच बंगाल में तीन लाख की अनुमानित आबादी का सफाया कर दिया था.

सीएम ममता ने कहा है कि अम्फान के कारण लगभग छह लाख लोग प्रभावित हुए हैं. चक्रवात से हुए नुकसान को देखते हुए प्रधानमंत्री ने 1,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दी है और राज्य सरकार ने राहत, पुनर्वास के लिए 1,000 करोड़ रुपये का कोष भी बनाया है, जिससे चक्रवात से बर्बाद हुए क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्य किया जाएगा, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड -19 के उभरते खतरों का क्या होगा? लोग महामारी के बीच किस तरह अपना जीवन शुरू करेंगे? उन असहाय किसानों का क्या होगा, जो लॉकडाउन के कारण पहले से ही तनावग्रस्त थे? हजारों प्रवासी मजदूरों के लौटने से क्या प्रभाव पडे़गा? क्या उन्हें जीविका के लिए राज्य में काम मिलेगा? यह सब वह सवाल हैं, जो ममता बनर्जी को काफी समय तक व्यस्त रखेंगे.

याद रहे 2009 में आए चक्रवाती तूफान आइला ने कोलकाता को ज्यादा प्रभावित नहीं किया था, लेकिन इसने उत्तर और दक्षिण 24 परगना, पुरबा मेदिनीपुर और हावड़ा जिलों में तबाही मचा दी थी.

जब 2011 के विधानसभा चुनाव नतीजे आए, तो वाम मोर्चे का इन जिलों से सफाया हो गया था. कोलकाता और प्रभावित जिलों के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुए थे, क्योंकि अधिकांश इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी थी.

Last Updated : May 24, 2020, 8:47 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details