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थल सेना की यूनिफॉर्म में CDS बिपिन रावत, लोगो में तीनों सेनाओं का प्रतिनिधित्व - तीनों सेनाओं का प्रतिनिधित्व

जनरल बिपिन रावत अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ हैं. वे जिस यूनिफॉर्म को पहनते हैं, इसमें कई संदेश हैं. थल सेना की वर्दी पहनने के बावजूद जनरल बिपिन रावत की यूनिफॉर्म में तीनों सेनाओं का प्रतिनिधित्व है. भारत के पहले सीडीएस की यूनिफॉर्म में क्या खास है ? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

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सीडीएस की यूनिफॉर्म में जनरल रावत

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Published : Jan 3, 2020, 1:37 PM IST

Updated : Jan 3, 2020, 2:50 PM IST

नई दिल्ली : वेशभूषा से सब कुछ पता चलता है. भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जो यूनिफॉर्म पहनते हैं, ये भारतीय सेना के प्राथमिक ध्येय का प्रतीक है. सेना का ध्येय- एकता, समनव्य और तालमेल है. रैंक का बैज भी इस ध्येय को ही दिखाता है.

इंटीग्रेटेड सर्विसेज कमांड ने जिस लोगो का प्रयोग किया है, इसमें भारत का राज चिह्न यानि तीन सिर वाले शेर को तलवार के ऊपर दिखाया गया है. लोगो में एक उड़ता हुआ गरूड़, और एक लंगर का भी प्रयोग किया गया है. इस लोगो से थल सेना और वायुसेना और नौसेना का प्रतिनिधित्व होता है.

लोगो का प्रयोग टोपी के किनारे पर, बटन, बेल्ट, बकल और कंधे पर लगे बैच पर किया गया है. इसके अलावा सीडीएस की कार पर लगे झंडे में भी इस लोगो का प्रयोग हुआ है.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, जो साउथ ब्लॉक में बैठते हैं, उन्होंने 13 लाख सैनिकों वाली भारतीय थल सेना का यूनिफॉर्म पहनना जारी रखा है. संख्या के लिहाज से ये विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है. तुलनात्मक दृष्टिकोण से भारतीय वायुसेना के पास करीब 1.40 लाख जवान हैं, जबकि नौसेना के पास लगभग 56 हजार जवान हैं,

केंद्र सरकार सैन्य मामलों में सुझाव के लिए 'सिंगल प्वाइंट विंडो' नीति की पक्षधर रही है. सीडीएस का गठन इसी कोशिश का एक नतीजा है.

इतिहास भी काफी उत्साहवर्धक रहा है. भारतीय सेना के संयुक्त अभियान के इतिहास में, 1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, भारत की अब तक की सबसे निर्णायक सैन्य जीत रही है. तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय से क्या हासिल किया जा सकता है, ये इसका एक बेहतरीन उदाहरण है.

सेवानिवृत्त एयर चीफ मार्शल पीसी लाल याद ने कहा है, 'बांग्लादेश युद्ध ने यह दिखाया किया कि एक साथ मिलकर काम करने वाली तीन सेनाएं अपने कार्यों में मजबूत और निर्णायक रहीं. इंटर-सर्विसेज कोऑपरेशन इस युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण सबक था.'

2017 में इंडियन ज्वाइंट मिलिट्री डॉक्ट्रिन का दस्तावेज प्रकाशित हुआ था. इसकी प्रस्तावना में स्टाफ कमिटी के तत्कालीन अध्यक्ष नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने लिखा था, कि संघर्ष का तेजी से बदलता चरित्र लगातार नई चुनौतियों को जन्म दे रहा है, इस कारण ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों का तत्पर और कुशल होना जरूरी है. सशस्त्र बलों द्वारा दुर्लभ संसाधनों का अनुकूल तरीके से उपयोग भी अनिवार्य हो गया है.

सुनील लांबा ने लिखा था, 'इन चुनौतियों के आकलन से एक केंद्रीकृत नीतिगत संरचना, समन्वित परिचालन योजना और तीनों सेनाओं के कुछ कुछ सामान्य कार्यों में नियंत्रण की जरूरत पैदा हुई है.'

इसमें कोई शक नहीं है कि देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ इस दिशा में काम करेंगे.

(संजीब बरुआ)

Last Updated : Jan 3, 2020, 2:50 PM IST

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