दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कहीं जुमला न बन जाए 'जल ही जीवन है'

भारत सहित दुनिया के कई देश पेयजल की बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार विश्व में दो अरब से अधिक लोग अब भी गंभीर पेयजल संकट का सामना करने वाले देशों में रहते हैं, जबकि चार अरब लोग वर्ष में कम से कम एक महीने के लिए पेयजल के गंभीर संकट का सामना करते हैं.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो

By

Published : Mar 10, 2020, 8:09 PM IST

Updated : Mar 12, 2020, 8:14 PM IST

हैदराबाद : भारत सहित दुनिया के कई देश पेयजल की बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार विश्व में दो अरब से अधिक लोग अब भी गंभीर पेयजल संकट का सामना करने वाले देशों में रहते हैं, जबकि चार अरब लोग वर्ष में कम से कम एक महीने के लिए पेयजल के गंभीर संकट का सामना करते हैं.

हाल ही में 'वाटर एड' नामक संस्था द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में पीने के पानी की कमी का सबसे अधिक सामना करने वाली आबादी भारत में रहती है, जो वर्ष के किसी न किसी समय पर पीने के पानी की कमी से जूझती है. इस समय भारत इतिहास में पेयजल के सबसे बड़े संकट से जूझ रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 70 वर्ष में 20 लाख कुएं, पोखर एवं झीलें खत्म हो चुकी हैं. इसके अलाना पिछले दस वर्ष में देश की 30 प्रतिशत नदियां सूख गई हैं. वहीं 54 प्रतिशत हिस्से का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक देश के 40 प्रतिशत लोगों को पानी नहीं मिल पाएगा. नई दिल्ली सहित देश के 21 शहरों में पानी खत्म होने के कगार पर है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

आज देश के कुल 91 जलाशयों में से 62 जलाशयों में 80 प्रतिशत अथवा इससे कम पानी बचा है.

देश में प्रति वर्ष पानी के कुल उपयोग का 89 प्रतिशत हिस्सा सिंचाई के लिए खर्च होता है, जबकि नौ प्रतिशत हिस्सा घरेलू कामों में खर्च होता है. शेष दो प्रतिशत हिस्सा उद्योगों द्वारा खर्च किया जाता है. आज हर घर में खर्च होने वाले पानी का 75 प्रतिशत हिस्सा बाथरूम में जाता है, जो बढ़ती किल्लत को भयावह बना रहा है.

पानी की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए सरकार ने जलशक्ति अभियान शुरू किया है. इस अभियान के अंतर्गत बारिश के पानी का संग्रहण, जल संरक्षण एवं पानी के प्रबंधन पर ध्यान दिया जा रहा है.

इस कार्यक्रम के तहत पानी की गहन समस्या का सामना कर रहे 256 जिलों में भूजल की स्थिति सहित पानी की उपलब्धता में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अंतर्गत इन जिलों के भूजलस्तर में को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है.

सरकार ने देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 2024 तक घरेलू नल कनेक्शन और पीने योग्य पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए राज्यों के साथ साझेदारी कर 3.60 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से जल जीवन मिशन (JJM) का शुभारंभ किया है.

पढ़ें- वैश्विक जल संकट : बूंद-बूंद गिरते पानी से बढ़ेगी चुनौती

राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के अनुसार एक मार्च 2020 तक 77.64 प्रतिशत जनसंख्या वाले 81.66 प्रतिशत ग्रामीण बस्तियों में पीने योग्य पानी की दर न्यूनतम 40 लीटर प्रति व्यक्ति है, जबकि 15.40% ग्रामीण बस्तियों में 9.37 प्रतिशत आबादी को पीने योग्य पानी की न्यूनतम दर 40 लीटर प्रति व्यक्ति से कम है. इसके अलावा 2.94 प्रतिशत ग्रामीण बस्तियों में 3.29 प्रतिशत आबादी है, जिसमें पानी के स्रोत और गुणवत्ता के मुद्दे बड़ी समस्या हैं.

पानी की समस्या से निपटने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग योजनाओं के तहत पानी की समस्या के निपटने का प्रयत्न किया जा रहा है. इसी के तहत राजस्थान में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान, महाराष्ट्र में जलयुक्त शिबर, गुजरात में सुजलाम सुफलाम अभियान, तेलंगाना में मिशन काकतीय, आंध्र प्रदेश में नीरू चेट्टू, बिहार में जल जीवन हरियाली और हरियाणा में जल ही जीवन योजनाओं को शुरू किया गया है.

Last Updated : Mar 12, 2020, 8:14 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details