पलवल : पानी जीवन के लिए सबसे अहम जरूरतों में से एक है. वैसे तो धरती का तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा है, लेकिन इसके लगातार दोहन और बेजा इस्तेमाल के चलते कई क्षेत्रों में लोग प्यासे रह जाते हैं. कई इलाकों में धरती का पानी या तो सूख चुका है या फिर भू-जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. भारत में भी कई जिलों में भू-जल स्तर नीचे पहुंच चुका है. इसलिए जरूरत है आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की एक-एक बूंद सहेजने की.
बारिश का पानी भी कुदरत का ऐसा स्रोत है जिसे अगर सहेज लिया जाए तो पानी की किल्ल्त से काफी हद तक निजात मिल सकती है. हरियाणा के पलवल जिले में एक ऐसा गांव है, जिसने वर्षा जल संरक्षण के लिए दुनिया के सामने मिसाल पेश की.
भिडूकी गांव ने पानी की अहमियत को बखूबी समझा है. ये गांव बारिश के पानी की बूंद-बूंद को बचाता है. ताकि भविष्य में पानी की किल्लतों का सामना ना करना पड़े. इस गांव की कोशिशों की चर्चा आज पूरा देश कर रहा है. वहीं खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस गांव की तारीफ कर चुके हैं.
पलवल जिले के भिडूकी गांव में कुछ साल पहले बारिश के मौसम में लोगों को काफी परेशानी होती थी. गांव में पानी की निकासी नहीं होने की वजह से गांव में जगह-जगह जल भराव हो जाता था. गांव में लड़कियों के लिए राजकीय कन्या विद्यालय है, बारिश के मौसम में स्कूल जाने का रास्ता गंदे पानी से भर जाता था. यहां तक स्कूल के ग्राउंड में भी बारिश का पानी जमा हो जाता था. मानसून के सीजन में ग्रामीणों को हर साल इस समस्या का सामना करना पड़ता था.
साल 2016 में गांव भिडूकी में सत्यदेव गौतम सरपंच चुने गए. सत्यदेव गौतम बीटेक और एमबीए कर चुके हैं. इन्होंने लाखों रुपये के पैकेज वाली नौकरी छोड़ कर अपने गांव की तस्वीर बदलने का सपना देखा और आज ये अपने सपने को पूरा करने में लगे हैं.
विद्यालय में लगाया गया वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट
सरपंच सत्यदेव गौतम ने सबसे पहले अपने गांव की छात्राओं की परेशानी को दूर करने का बीड़ा उठाया. सत्यदेव गौतम ने सरकारी स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया. सरपंच ने स्कूल भवन की छत के पानी को इकट्ठा करने के लिए पाइप लगाए. इसके बाद सड़क और स्कूल के बाकी जलभराव वाले स्थानों को नालियों के जरिए कनेक्ट किया और स्कूल के एक हिस्से में करीब आठ फीट चौड़ाई और दस फीट लंबाई की तीन अंडर ग्राउंड टंकियां बनवाईं.
कैसे किया जाता है जल संचय?
ये तीनों टंकियां एक दूसरे से कनेक्टेड हैं. पहले दो टैंक पानी को फिल्टर करने का काम करती हैं. पहली टंकी में सॉलिड वेस्ट छन जाता है. वहीं दूसरी टंकी में गारा-मिट्टी छन जाती है. वहीं तीसरी टंकी में 120 मीटर का बोरवैल किया गया है. इस बोरवैल के जरिए पूरे पानी को जमीन में भेज दिया जाता है. आपको बता दें कि जमीन में पानी भेजने से पहले पानी को शुद्ध करने के लिए फिल्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है. टंकी में तीन तरह के आकार के धातु पत्थरों को परत दर परत लगाया गया है. उसके बाद बारीक रोड़ी पत्थरों को लगाया गया है. ताकी पानी की अशुद्धियां छन जाएं और शुद्ध पानी जमीन के भीतर चला जाए.
सरपंच ने गांव की हरिजन बस्ती में भी लगाया प्रोजेक्ट
सरपंच सत्यदेव गौतम की पहल से गांव की हरजिन बस्ती में करीब 40 घरों को वाटर हार्वेस्टिंग की वजह से एक नई जिंदगी मिली है. पहले पानी की निकासी नहीं होने के चलते इन मकानों के सामने पानी भरा रहता था, लेकिन अब यहां भी वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया गया है.