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विशेष : दो दशकों में यह रोग बने महामारी, बरपाया कहर

कोरोना वायरस के कारण अबतक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग संक्रमित है. हालांकि यह पहला अवसर नहीं है कि जब मानवजाति ने इस तरह की बीमारियों का सामना किया है. दशकों से ऐसी कई बीमारियों ने कहर बरपाया है. दुनिया ऐसे जानलेवा वायरस से जूझती रही है. इससे पहले दो दशक में सात बार इसी तरह के खतरनाक वायरस को दुनिया ने झेला है. आइए जानते हैं कि पिछले दो दशक में किस वायरस ने कितने लोगों की जान ली और पूरी दुनिया को किस तरह से प्रभावित किया है...

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प्रतीकात्मक चित्र

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Published : Feb 7, 2020, 11:12 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 2:10 PM IST

हैदराबाद : चीन में घातक कोरोना वायरस से अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही इस विषाणु से अब तक यहां 28 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं. चीन के बाहर इस वायरस के लगभग दो सौ मामले सामने आ चुके हैं. चिकित्सा जगत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस वायरस से निपटने के लिए अब तक किसी दवा की खोज नहीं हो पाई है. कुछ राहत की बात है कि इसे रोकने के लिए एक टीका तैयार कर लिया गया है.

यह पहला मौका नहीं है, जब दुनिया ऐसे जानलेवा वायरस से जूझ रही है. इससे पहले दो दशक में यह ऐसा सातवां मौका है कि जब इस तरह के खतरनाक वायरस का सामना दुनियाभर में किया गया.

आइए जानते हैं कि पिछले दो दशक में किस वायरस ने कितने लोगों की जान ली और पूरी दुनिया को किस तरह से प्रभावित किया है:-

दो दशकों में मानवजाति ने कब-कब झेली बीमारियों की महामारी...

गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (एसईआरएस)

  • 2003: इस श्वसन सिंड्रोम को मिडिल-ईस्ट श्वसन लक्ष्ण (एसईआरएस) के नाम से भी जाना जाता है. पहली बार यह सिंड्रोम 2003 में पहचाना गया था. इस वायरस से आठ हजार से अधिक लोग संक्रमित हुए थे और 774 लोगों की मौत हुई थी.

H1N1 फ्लू

  • 2009: H1N1 फ्लू से दुनियाभर में करीब छह लाख लोग संक्रमित हुए थे. सबसे पहले 1919 में स्वाइन फ्लू यानि H1N1 फैला था. ये कहां से फैला इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन ये वायरस सुअर के जरिए इंसानों में फैला था. इस महामारी ने साढ़े अठारह हजार लोगों की जान ले ली थी. दरअसल H1N1 वायरस स्वाइन फ्लू का ही एक प्रकार माना जाता है, जो सुअरों का श्वसन रोग है. वर्ष 1998 में सूअर फ्लू चार अमेरिकी राज्यों में पाए गया. एक वर्ष के भीतर-भीतर यह संयुक्त राज्य में सुअर आबादियों के बीच फैल गया.

हैजा महामारी

  • 2010: इस वर्ष हैजा महामारी ने हैती में कम से कम दस हजार लोगों की जान ले ली थी. इस महामारी के भय ने लाखों लोगों को चिंता में डाल दिया था. काफी लोग संक्रमित भी हुए थे, जिन्हें बाद में बचा लिया गया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रोग की शुरूआत बंगाल की खाड़ी से हुई. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि उस जीवाणु की नस्ल बांग्लादेश में पैदा हुई थी. ताजा महामारी सातवीं बार है जब से हैजा दुनिया भर में फैला है.

इबोला

  • 2014: पश्चिम अफ्रीका में इबोला रक्तस्रावी बुखार के कारण करीब साढ़े 11 हजार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. काफी लोग संक्रमण के शिकार भी हुए जिन्हें बचा लिया गया. इबोला विषाणु रोग (ईवीडी) वर्ष 2014 में अभूतपूर्व महामारी के रूप में उभर कर सामने आया. मार्च 2014 में इस रोग के एजेंट को इबोला विषाणु के रूप में पहचाना गया. 2014 के अंत तक यह महामारी ने अपना प्रसार सिएरा लियोन, गिनी तथा लिबेरिया तक कर लिया.

जीका वायरस

  • 2016: एक अनुमान के अनुसार जीका वायरस से दुनियाभर में 30 से 40 लाख लोग केवल एक साल के भीतर संक्रमित हुए. यह वायरस इतना खतरनाक था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा था. इसका संबंध अफ्रीका के जिका जंगल से है. यह 1947 में अफ्रीकी विषाणु अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक पीले बुखार पर रिसर्च करने रीसस मकाक (एक प्रकार का लंगूर) को लाए. इस लंगूर को हुए बुखार की जांच की गई, जिसमें पाए गए संक्रामक घटक को जगंल का ही नाम 'जिका' दिया गया.

खसरा

  • एक अत्यधिक संक्रामक वायरस खसरे के कारण पिछले पचास वर्ष में दुनियाभर में लगभग एक लाख 22 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. इसे अलावा टाइफाइड बुखार से प्रति वर्ष लगभग सवा दो लाख लोगों की मौत हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार कि 2019 में पहले छह महीने में यूरोप के 48 देशों में खसरा के 89,994 मामले सामने आए हैं जो कि 2018 के इस अवधि के हिसाब से दोगुना है. इस अवधि में पिछले साल 44,175 मामले सामने आए थे और पूरे साल 84,462 मामले सामने आए. 2018 के आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन, यूनान, चेक रिपब्लिक और अल्बानिया में अब इस बीमार को खत्म हो चुकी बीमारी के रूप में नहीं लिया जाता है.

टीबी

  • ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक संक्रामक जीवाणु रोग है. इस रोग से 2012 तक अनुमानित 13 लाख लोग मारे गए. इस रोग से बचने के लिए टीकाकरण किया जाता है. हालांकि वर्ष 2016 में लगभग 15 प्रतिशत ऐसे नए मरीज सामने आए. इनमें फेफड़ों के अलावा अन्य अंग भी टीबी से संक्रमित पाए गए. इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता हैं.
Last Updated : Feb 29, 2020, 2:10 PM IST

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