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ट्रैक्टर परेड हिंसा पूर्व नियोजित घटना, अब सरकार 'खेल' रही : सीपीआई - बिनॉय विश्वम

गणतंत्र दिवस पर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का ट्रैक्टर परेड हिंसक प्रदर्शन में बदल गया था. इस पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जनवरी की हिंसा को केंद्र सरकार ने किसान आंदोलनों को विफल करने के लिए करवाया था.

सीपीआई
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Published : Jan 28, 2021, 8:37 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 8:46 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने आरोप लगाते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हिंसा के पीछे मुख्य आरोपी भाजपा समर्थक हैं. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि 26 जनवरी की हिंसा को केंद्र सरकार ने किसानों के आंदोलन को विफल करने के लिए करवाया था.

राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम से खास बातचीत.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना को किसने अंजाम दिया. यह प्रधानमंत्री के एक दोस्त द्वारा किया गया, जिसको प्रधानमंत्री के साथ फोटो में देखा गया था. बिनॉय विश्वम पंजाबी गायक दीप सिद्धू का जिक्र कर रहे थे. हालांकि, दीप सिद्धू ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह हिंसा में शामिल नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा. भारत के किसान तब तक आराम नहीं करेंगे, जब तक कि तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है.

विश्वम ने कहा कि 26 जनवरी की हिंसा को गहराई से देखते हैं, तो इससे पता चलता है कि घटना पूर्व नियोजित थी. सरकार अब उपद्रव पैदा करने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा कि हिंसा के लिए मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव जैसे नेताओं को आरोपी बनाया गया है. सरकार अब अपना खेल खेल रही है.

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विश्वाम ने आगे कहा कि जब जेएनयू में एंटी-सीएए आंदोलन हुआ, तो कुछ संख्या को नियंत्रित करने के लिए जेएनयू परिसर में भारी संख्या में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था.

उन्होंने कहा कि इस मामले में आंदोलनकारियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था.

हालांकि, आंदोलनकारियों का एक समूह दिल्ली में किसान संघर्ष समिति के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए ट्रैक्टरों के साथ गया.

उन्होंने निर्धारित समय से पहले मार्च को आगे बढ़ा दिया अब सरकार बिजली, पानी की आपूर्ति आदि को समाप्त करके आंदोलन को कम करने की कोशिश कर रही है.

बता दें कि गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का ट्रैक्टर परेड हिंसक प्रदर्शन में बदल गया था. सैकड़ों किसान परेड निकालते हुए ट्रैक्टर सहित लाल किला परिसर में घुस गए थे.

इस दौरान उन्होंने लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा फहराया था. लाल किला परिसर में तोड़फोड़ भी हुई, जिसको लेकर देशभर से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं हैं.

उधर किसान नेताओं ने हिंसक प्रदर्शनों की जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हुए अराजक तत्वों पर इसका ठीकरा फोड़ा है. दिल्ली पुलिस हिंसक प्रदर्शनों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी करने में जुटी है.

Last Updated : Jan 28, 2021, 8:46 PM IST

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