लखनऊ : गैंगस्टर विकास दुबे के दस जुलाई को कानपुर में एनकाउंटर के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दिया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों का एनकाउंटर सही था. इस मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा प्रस्तुत किया.
सरकार ने कहा कि वास्तविक तथ्यों से पता चलता है कि इसे फर्जी मुठभेड़ नहीं कहा जा सकता.
सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उन्होंने मामले में पूरे दिशानिर्देशों का पालन किया, लेकिन जैसा कि मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था उसके उलट दुबे ने कभी सरेंडर किया ही नहीं. उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर में पहचाना गया और बाद में हिरासत में ले लिया गया.
मीडिया रिपोर्टों पर अन्य स्पष्टीकरण देते हुए यूपी सरकार का कहना है कि सुरक्षा कारणों से वहां 15 पुलिसकर्मी और तीन वाहन मौजूद थे. इसके साथ ही इन्हीं कारणों से वाहनों को स्थानांतरित किया जा रहा था.
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अनूप प्रकाश अवस्थी ने सुप्रीम कोर्ट में कानपुर एनकाउंटर को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी. अब राज्य सरकार के जवाब के बाद उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके सवालों का एक भी जवाब नहीं दिया.
उनका कहना है कि सरकार ने जो दावे किए हैं, वे नए नहीं हैं. सारी प्रेस कॉन्फ्रेंस की बातें दोहराई गई हैं.
सरकार का जवाब मूलभूत प्रश्नों का कोई उत्तर ही नहीं है. यह रूल ऑफ लॉ की हत्या है. पुलिस द्वारा सारे सबूतों को खत्म करने को लेकर भी कोई उत्तर नहीं दिया गया है.
हलफनामें में राज्य सरकार ने आगे बताते हुए कहा कि किसी स्थानीय व्यक्ति ने यह दावा नहीं किया कि उन्होंने गोली की आवाज सुनी. दुर्घटनास्थल के पास कोई बस्ती या घर भी नहीं थे. भारी बारिश के चलते वहां कोई पैदल यात्री नहीं था. तेज बारिश का वीडियो भी रिकॉर्ड है.
यूपी सरकार ने आगे बताते हुए कहा कि पुलिस ने छह गोलियां चलाईं, जिनमें से तीन गैंगस्टर विकास को लगी. यह गैंगस्टर और पुलिस के बीच आमने-सामने का संघर्ष था, जिसमें पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं.
हलफनामे के मुताबिक, आरोपी ने एसटीएफ टीम पर नौ राउंड फायर किए. चेतावनी मिलने के बाद भी दुबे ने आत्मसमर्पण नहीं किया और पुलिस टीम पर गोलियां बरसाना जारी रखा. इसके बाद आत्मरक्षा में पुलिस ने भी फायरिंग की, जिसमें सिर्फ तीन गोलियां ही विकास दुबे को लगी.
गौरतलब है कि यह हलफनामा, विकास दुबे और उनके सहयोगियों की मुठभेड़ की जांच के लिए दायर याचिकाओं के जवाब में आया है. तमाम याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह बड़ी साजिश के तहत एक फर्जी मुठभेड़ थी.