नई दिल्ली : तीन कृषि अध्यदेशों को संसद में रखा जा चुका है लेकिन विपक्ष और किसान संगठन इसके विरोध में एकजुट हो गए हैं और अध्यादेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कृषि अध्यदेशों पर आम अवधारणा किसानों के बीच यह है कि इससे केवल प्राइवेट कंपनियों का फायदा होगा और किसानों की मदद के लिए सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी, हालांकि विशेषज्ञ इसके उलट राय रखते हैं और अध्यदेशों को सकारात्मक कदम बता रहे हैं.
कृषि अर्थशास्त्री विजय सरदाना ने तीन कृषि अध्यदेशों पर ईटीवी भारत से अपनी राय साझा की है. विजय सरदाना का कहना है कि भारत सरकार ने जो तीन अध्यादेश को कृषि क्षेत्र के लिए सदन में रखा जा चुका है उनका उद्देश्य कृषि को सुधारना है. ताकि इस देश के किसानों को सही दाम मिले और आज तक किसान जो चाहते थे कि हमें बाजार में स्वतंत्रता हो उसका मार्गदर्शन इससे मिलेगा और आने वाले समय में जो निवेश की जरूरत थी कृषि क्षेत्र में जो नहीं हो पा रहा था इन तीनों अध्यादेशों से नई टेक्नोलॉजी आएगी, इंफ्रास्ट्रक्चर का काम होगा, एक्सटेंशन सर्विसेज मजबूत होंगी और बहुत सारा निवेश ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आएगा. यह तीनों अध्यादेश बहुत महत्वपूर्ण हैं. किसान जिससे व्यापार कर सकते हैं.
किसान किस बात को ले कर विरोध कर रहे हैं?
ऐसा अक्सर होता है कि जब भी आप कोई बड़ा कदम उठाते हैं तो उसमें क्रेडिट लेने ही होड़ लग जाती है. इस समय सरकार ने जो निर्णय लिया है वो खेती के हित में है. किसानों के हित में है, राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के हित में है. जहां तक किसानों के विरोध की बात है और यह कहना कि उनसे पूछा नहीं गया. आप पिछले कई दशकों से देखें तो किसानों की क्या मांग रही थी? हर किसान यही कहता था कि हमें बिचौलियों से मुक्त करो, हमें अपने फसलों को बेचने का अधिकार दो, हमें अपने फसल के दाम तय करने का अधिकार दो. यह आज की बात नहीं है बल्कि लंबे समय से किसानों की मांग रही थी.