रांची: झारखंड की राजधानी रांची से कुछ किलोमीटर दूर ब्राम्बे एक ऐसा गांव है, जिसके ऊपर 'विधवा गांव' होने का धब्बा लगा हुआ है. इस गांव में बड़ी संख्या में महिलाएं विधवा हो चुकी हैं. इसकी मुख्य वजह शराब को कारण हुई बिमारी से लोगों की मौत बताई जाती है. रांची-डालटेनगंज मुख्य सड़क के किनारे इस गांव में 600 से अधिक घर है, जहां 200 से अधिक विधवा महिलाएं अलग-अलग परिवारों में हैं.
राजधानी के मांडर ब्लॉक में पड़ने वाले इस गांव में लगभग 70% आबादी अनुसूचित जनजाति की है और बाकी के 30% आबादी में मिश्रित समुदाय के लोग शामिल हैं. गांव के मुखिया जयवंत तिग्गा बताते हैं कि एक समय ऐसा था, जब लोग शराब के नशे में धुत नजर आने लगे. उन्होंने कहा कि पूरे ब्राम्बे पंचायत के अधिकतर घरों में शराब बनाई जाती थी और लोग उसका सेवन करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में स्थिति बदली है. शराब के प्रति लोगों में जागरूकता फैली है और शराब का सेवन कम कर दिया है.
जयवंत बताते हैं कि गांव के साथ विधवा शब्द जोड़ा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है और वह खुद प्रयास कर रहे हैं कि यह धब्बा किसी तरह से हट जाए. वहीं, गांव के उप मुखिया मोइन आलम कहते हैं कि सब कुछ ठीक-ठाक था, लेकिन ब्राम्बे में बने सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने एक सर्वे किया. उस सर्वे में उन्होंने यह दिखया कि गांव में विधवा महिलाओं की संख्या अधिक है और इससे जुड़ा वीडियो उन्होंने इंटरनेट पर डाला. वीडियो में दिखाया गया कि शराब का सेवन करने से गांव के पुरुषों की मौत हुई है, जिससे अधिकतर महिलाए विधवा हैं.