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Published : Dec 14, 2019, 6:12 PM IST

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विशेष लेख : दुष्कर्म के मामलों में जल्द मिले सजा

देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में धीमी न्यायिक प्रणाली भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार है. इसके अतिरिक्त जिन मामलों में फैसले आ गए हैं, उन पर अमल होने में काफी समय लग जाता है. दुष्कर्म के बढ़ते मामलों और इसके पीछे कारणों पर ईटीवी भारत का विशेष लेख.

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राजनीति के चलते, शिकायतकर्ताओं का उत्पीड़न
हमारे लोकतंत्र में, संविधान द्वारा बनाये गये कानून ही महिलाओं की रक्षा करने में कामयाब नहीं हो रहे हैं. महिलाओं पर लगातार हो रहे अपराध हमारे समाज और देश के लिये किसी काले धब्बे जैसे हैं. मामलों की जांच में ढिलाई और राजनेताओं और संस्थानों द्वारा अपराधियों का संरक्षण, लगातार बढ़ते अपराधियों के पीछे सबसे बड़ा कारण है. कई मामलों में, बिना अदालतों के दखल के पीड़ितों को सुरक्षा तक नहीं मिल पाती है. कानून का पालन करने वाली संस्थाओं से निष्पक्ष जांच की उम्मीद बेमानी हो गई है. हालांकि अदालतें मामलों में सजा दे रही हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हो रहा है. आइए कुछ मामलों पर नजर डालें.

निर्भया मामले में दोषियों को सुनाई गई है फांसी की सजा
16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में 23 साल की लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार ने सारे देश को हिला कर रख दिया था. 13 दिनों तक अस्पताल में मौत से लड़ने के बाद उस लड़की ने दम तोड़ दिया था. आरोपियों में से एक ने मामले की जांच के दौरान ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. बाकी आरोपियों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने 8 जुलाई, 2013 को एक आरोपी को छोड़ कर सभी आरोपियों के सजा सुनाई उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी. अभियुक्तों के वकील ने हाई कोर्ट में अपील की और हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी है.

शक्ति मिल गैंग रेप
साल 2013 में मुंबई में 22 साल की एक फोटो पत्रकार, अपने काम के लिये वीरान शक्ति मिल की तस्वीरें लेने गई तो, पांच लोगों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. इसी साल, एक 18 साल की कॉल सेंटर कर्मचारी ने पुलिस से शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि 31 जुलाई को पांच लोगों ने असके साथ सामूहिक बलात्कार किया. 4 अप्रैल, 2014 को मुंबई के सेशन कोर्ट ने दोनों मामलों में तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई. हालांकि यह सजा अभी भी अधर में ही लटकी हुई है.

पोलाच्ची का सनसनीखेज मामला
12 फरवरी, 2019 को तमिलनाडु के पोलाच्ची में एक 19 साल की लड़की को उसके दोस्त, सबारीराजन, थिरूनावाकारसू, सतीश और वसंथमार अपने साथ ले गये. इन लोगों ने न केवल उस लड़की का रेप किया, बल्कि इस अपराध की तस्वीरें भी खींची. इन लोगों ने लड़की को धमकाया कि अगर उसने इसके बारे में पुलिस को बताया तो, ये तस्वीरें वो इंटरनेट पर अपलोड कर देंगे. लड़की के भाई ने इस मामले की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई और इसके बाद इस कांड का पर्दाफाश हुआ. इसके बाद, बलात्कार, उत्पीड़न और चोरी का मामला चारों अभियुक्तों के खिलाफ दर्ज हुआ. मामले की जांच के दौरान ये बात सामने आई कि इससे पहले भी ये आरोपी करीब 200 महिलाओं को इसी तरह अपना शिकार बना चुके हैं. 25 फरवरी को इन आरोपियों ने पीड़िता के भाई के साथ मारपीट भी की. इस मामले में पुलिस ने, बार नागराज नाम के एक व्यक्ति को पांचवां आरोपी बनाया. नागराज, एआईएडीएमके पार्टी से संबंध रखता था. पार्टी ने मामले में नागराज को बेबुनियाद तरीके से घसीटने की बात कही. वहीं, नक्कीरन पत्रिका के संपादक, गोपाल ने इस मामले में तमिलनाडु विधानसभा के उपसभापति, जयरमन के बेटे का इस रैकेट में शामिल होने का एक वीडियो भी जारी किया. जयरमन ने इन आरोपों से इंकार किया, लेकिन मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों को दरकिनार करते हुए, स्थानीय एसपी ने पीड़िता की पहचान जाहिर कर दी. इसके चलते काफी हंगामा हुआ था. हालांकि हाई कोर्ट ने इसके बाद एसपी के खिलाफ एक्शन लेने के आदेश तो दिये, लेकिन इस मामले का वीडियो आज भी इंटरनेट पर शेयर किया जा रहे हैं. सरकार ने इन्हें इंटरनेट से हटाने की बात भी कही. मामले की जांच अभी भी जारी है.

उन्नाव पीड़िता को खामोश करने के लिये ताकतें हैं सक्रिय
ये कहानी उन्नाव की एक 17 साल की लड़की और अपराधियों के बुलंद होते हौंसलों की है. 4 जून, 2017 को एक मौजूदा विधायक के घर पर इस लड़की का दुष्कर्म किया गया. यह हैवानियत आने वाले कुछ दिनों तक उसके साथ होती रही. बीजेपी के विधायक, कुलदीप सिंह सेंगर इस मामले में मुख्य आरोपी हैं. जब पीड़िता ने इस मामले में पुलिस से संपर्क किया, तो कई महीनों तक उसे परेशान किया गया. पुलिस हिरासत में उसके पिता की भी मौत हो गई. सड़क हादसे में पीड़िता के दो करीबी रिश्तेदारों की मौत का शक भी आरेपी पर ही गया. इस हादसे में पीड़िता खुद भी घायल हुई. इन सभी मामलों में फिलहाल जांच चल रही है. 2018 में ऐसे ही एक मामले की पीड़िता को, बेल पर बाहर आए आरोपियों ने जलाकर मार डाला.

कठुआ में बच्ची के साथ दुष्कर्म
10 जनवरी, 2018 को जम्मू कश्मीर के कठुआ इलाके के रासना गांव के मुस्लिम दंपती ने शिकायत दर्ज कराई कि उनकी 8 साल की बच्ची लापता है. इसके एक हफ्ते बाद, उस बच्ची का शव पास के जंगल से बरामद हुआ. पुलिस ने इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी. इस मामले में ये बात सामने आई थी कि बच्ची को कई दिनों तक भूखा प्यासा रखकर यातनाएं दी गईं. इस मामले में एक राजनीतिक दल के नेता आरोपियों के समर्थन में भी उतर आये थे. मामले में सीबीआई जांच की मांग करते हुए एक धरने में बीजेपी के दो मंत्रियों की उपस्थिति ने भी काफी बहस को जन्म दिया था. इन मंत्रियों ने बाद में अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. इसी साल 10 जून को कोर्ट ने तीन लोगों को उम्र कैद और तीन लोगों को पांच साल की सजा सुनाई. इस साल अक्टूबर में, कोर्ट ने गवाहों को गलत गवाही देने के लिये प्रताड़ित करने के आरोपों के बाद, एसआईटी के छह सदस्यों के खिलाफ एफआईआर करने का आदेश दिया.

मुजफ्फरपुर आश्रय केंद्र मामला
बिहार के मुजफ्फरपुर के बाल आश्रय, जहां कई सौ बच्चियों के यौन और शारीरिक उत्पीड़न का मामला सामने आया, देश को हिलाकर रख दिया था. इस मामले में बिहार की पीपल्स पार्टी के पूर्व विधायक, ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी हैं. ये मामला, 26 मई, 2018 को सामने आया. इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने पॉस्को कोर्ट में ये बात कही कि, उसके पास सभी 20 आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. मामले की सुनवाई पूरी हो गई है और इसका फैसला इसी महीने आ सकता है.

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