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लॉकडाउन : गोपालगंज के किसान बेहाल, नहीं बिक पा रहीं सब्जियां - परिवार के भरण पोषण और कर्ज की चिंता

एक महिला किसान का दर्द छलक पड़ा और रोकर अपना दुखड़ा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि दो लाख रुपये कर्ज लेकर खेती की. अब जब खेत में लौकी तैयार हो गई है, तो बिक नहीं पा रही है.

lockdown in gopalganj bihar
नदी में सब्जी फेंकते किसान

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Published : Apr 28, 2020, 4:43 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 5:07 PM IST

गोपालगंज : कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लागू है, जिससे कई लोगों का रोजगार खत्म हो गया है. इसी कड़ी में बिहार के गोपालगंज जिले के सब्जी किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है.

दरअसल, लाखों रुपये की लागत से की गई खेती जब तैयार हुई, तब उन्हें लॉकडाउन की मार झेलनी पड़ रही है. ऐसे में किसान अपनी सब्जियों को नदी में फेंकने पर मजबूर हो गए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लाखों रुपये लगाकर की सब्जी की खेती
गोपालगंज जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर दियारा इलाके के अधिकांश किसान गंडक नदी के किनारे बड़े पैमाने पर लौकी, खीरा और करैला की खेती करते हैं. किसान यहां लाखों रुपये लगाकर सब्जी की खेती से अपनी जीविका चलाते हैं. यहां की लौकी अन्य जिलों में भी सप्लाई की जाती है.

लॉकडाउन के कारण पैदा होने के बावजूद नहीं बिक रहीं सब्जियां

गंडक नदी में फेंकनी पड़ रहीं सब्जियां
एक किसान ने बताया कि लॉकडाउन के कारण व्यापारी नहीं आ रहे हैं और न ही गाड़ी चल रही है. करैला, खीरा, लौकी समेत कई सब्जियां नहीं बिकने के कारण खराब हो रही हैं, जिससे सब्जियों को मजबूरन गंडक नदी में फेंकना पड़ रहा है. सब्जियां खेत में खराब हो उससे अच्छा है कि नदी के जीव-जंतु और मछलियां इसे खा लें.

गोपालगंज में अपने खेत में बैठे सब्जी किसान

नहीं बिक पा रही लौकी
वहीं, एक महिला किसान राजेश्वरी का दर्द छलक पड़ा और रोकर अपना दुखड़ा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि दो लाख रुपये कर्ज लेकर खेती की. अब जब खेत में लौकी तैयार हो गई है, तो बिक नहीं पा रही है.

गोपालगंज की नदी में सब्जी फेंकते किसान

परिवार के भरण पोषण और कर्ज की चिंता
बड़े-बड़े व्यापारी यहां लौकी की खरीदारी करने आते हैं, लेकिन मौजूदा हालात के कारण व्यापारी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिससे तैयार लौकी खेत में ही खराब होने लगे हैं. अब ऐसे में इन किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों ने कर्ज लेकर फसल लगाए थे. अब सब्जियों के सड़ने से ये तैयार फसल को भी फेंकने को मजबूर हैं. ऐसे में किसानों को अब परिवार के भरण पोषण और कर्ज चुकता करने की चिंता सताने लगी है.

Last Updated : Apr 28, 2020, 5:07 PM IST

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