हैदराबाद : वास्तु के हिसाब से मकान में देहरी और आंगन दोनों होने चाहिए. कहावत है कि घर की इज्जत देहरी से बाहर नहीं जानी चाहिए. पहले देहरी घर में आवश्यक निर्माण था, जो घर और बाहर के बीच विभाजक के रूप में कार्य करता था. देहरी पर पैर रखे बिना घर में प्रवेश करना सम्भव नहीं था. आजकल मकानों में देहरी और आंगन दोनों ही नहीं होते.
फ्लैट संस्कृति ने शास्त्रोक्त भवन योजनाओं को असम्भव बना दिया है. यदि बहुमंजिला भवन निर्माण के समय स्ट्रक्चर प्लान या कॉलम प्लान (स्तंभ योजना) पर ध्यान नहीं दिया जाए तो व्यक्तिगत फ्लैट्स में वास्तु योजना लागू करना सम्भव नहीं है. जब स्तम्भ योजना में वास्तु शास्त्रियों द्वारा संशोधन प्रस्तावित किए जाते हैं तो आर्किटेक्ट की योजना में बदलाव आता है और वे विरोध करते हैं.
आंगन के स्थान पर फ्लैट्स में लॉबी या लाउंज की प्रस्तावना की जाती है, उसे आंगन नहीं कहा जा सकता. आंगन खुला भी होना चाहिए ताकि धूप और हवा मकान में प्रवेश करें, इसके लिए आंगन सर्वश्रेष्ठ माध्यम हो सकता है परंतु फ्लैट योजनाओं में यह सम्भव नहीं है. मकान में आंगन की व्यवस्था की शास्त्रों में बड़ी प्रशंसा की गई है.
भूखण्ड, आंगन और घर तीनों में मण्डल और मण्डलेश का विचार किया जाता है. इस पद्धति में भूखण्ड की लम्बाई और चौड़ाई को गुणा करके 9 का भाग देकर शेष अंक से शुभ-अशुभ का विचार किया जाता है. यदि गृहस्वामी के हाथ या फुट या मीटर में भूखण्ड की लम्बाई और चौड़ाई को गुणा करके 9 का भाग दिया जाए तो शेष जो बचे, उसका फल शास्त्रों में बताया गया है. यदि अवशेष एक हो तो दाता, दो धूपति, तीन हो तो क्लीव (नपुंसक), चार हो तो चोर, पांच हो तो पंडित, छह हो तो भोगी, सात हो तो धनाड्य, आठ हो तो दरिद्र और नौ हो तो धनी. ये नौ मण्डल होते हैं. आंगन के बारे में भी ऐसी ही गणना है.
आंगन की लम्बाई और चौड़ाई को गुणा करके नौ का भाग दिया जाए तो अवशेष राशि के आधार पर विभिन्न फल मिलते हैं. एक बचे तो दाता, दो बचे तो पंडित, तीन भीरु, चार हो तो कलह, पांच हो तो नृप, छह हो तो दानव, सात हो तो नपुंसक, आठ हो तो चोर और नौ हो तो धनी होते हैं. ये आंगनों के नाम होते हैं. जैसे इनके नाम बताए गए हैं वैसे ही फल भी मिलते हैं.
बीच में नीचा और चारों ओर से ऊंचा आंगन ठीक नहीं रहता परंतु बीच में ऊंचा हो और चारों ओर से नीचा हो तो ऐसा आंगन शुभ फल करता है. जहां आंगन पक्का कराया जाता है, वहां भी विवाह मण्डप के लिए थोड़ा सा स्थान कच्चा छोड़ दिया जाता है.
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