देहरादून : करीब आठ साल बाद उत्तराखंड ने एक बार फिर आपदा का दंश झेला है. सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से बड़ी त्रासदी हुई है. जोशीमठ के तपोवन इलाके में ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा है. इसके साथ की 200 से अधिक लोग लापता हो गए हैं.
उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर के टूटने से हुए नुकसान का ठीक अनुमान दूसरे दिन भी नहीं लग सका है. लापता लोगों की तलाश अब भी जारी है तो केंद्रीय एजेंसियों सहित एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, नेवी के गोताखोर, मार्कोस कमांडो सहित वायुसेना के चिनूक, एएन-32 और एमआई-32 हेलीकॉप्टर भी राहत-बचाव कार्य में जुटे हुए हैं.
7 फरवरी सुबह 10.30 बजे टूटा ग्लेशियर
सात फरवरी रविवार को सुबह करीब 10.30 बजे के आस-पास रैणी गांव के ऊपर ग्लेशियर टूटा. इस हादसे के बाद से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में हिमस्खलन और बाढ़ के चलते आसपास के इलाकों में तबाही मचनी शुरू हो गई. ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया.
7 फरवरी समय सुबह 11 बजे
पानी के सैलाब में चमोली जिले के तपोवन में NTPC का पावर पावर प्रोजेक्ट बर्बाद हो गया. उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से जुड़े 46 लोग अब भी लापता हैं.
7 फरवरी समय दोपहर 11.30 बजे
चमोली में ग्लेशियर फटने की सूचना पर राज्य सरकार तुरंत हरकत में आई है. सरकार ने आईटीबीपी, NDRF और SDRG की कई टीमों को मौके पर रवाना करते हुए श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार में अलर्ट जारी किया.
7 फरवरी समय दोपहर 12 बजे
ग्लेशियर फटने की खबर के बाद फ्रंटलाइन पर आते हुए स्थिति को खुद संभालते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिव आपदा प्रबंधन और डीएम चमोली से पूरी जानकारी ली. इसके साथ ही सीएम त्रिवेंद्र करीब 12 बजे हालात का जायजा लेने के लिए चमोली और तपोवन गए और आपदाग्रस्त इलाकों का दौरा करते हुए अधिकारियों से स्थिति का जायजा लिया.
7 फरवरी समय दोपहर 1 बजे
सरकार ने जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग को आपदा से निपटने के आदेश देते हुए हेल्पलाइन नंबर 1070 या 9557444486 जारी किया.
7 फरवरी समय दोपहर 1.30 बजे
पानी के सैलाब को काबू करने के लिए सरकार ने एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया. अलकनंदा में पानी का बहाव रोका जा सके, इसलिए सरकार ने श्रीनगर डैम और ऋषिकेश डैम को खाली करा दिया.
7 फरवरी समय दोपहर 1.35 बजे
उत्तराखंड की स्थिति पर नजर रखते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने NDRF की कुछ और टीमें दिल्ली से एयरलिफ्ट करके उत्तराखंड भेजीं. इससे पहले ही केंद्र की तरफ से NDRF के 200 जवान उत्तराखंड भेजे जा चुके थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एयरफोर्स को भी अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया.
7 फरवरी समय दोपहर 1.58 बजे
आपदा के बीच एक राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है. नदी का जलस्तर सामान्य से अब 1 मीटर ऊपर है, लेकिन बहाव कम होता जा रहा है. राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नजर रख रही है.
7 फरवरी समय दोपहर 2 बजे
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली और तपोवन के आपदाग्रस्त इलाकों का हवाई निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से राहत-बचाव कार्यों का जायजा लिया.
7 फरवरी समय दोपहर 2.30 बजे
NDRF DG ने बयान जारी करते हुए बताया कि चमोली और जोशीमठ के आसपास ग्लेशियर फटने से बांध पर असर हुआ है. ग्लेशियर ऋषिगंगा पर आकर गिरा है. बीआरओ द्वारा जो ब्रिज बनाया जा रहा था, पानी के सैलाब की वजह से उसपर भी असर हुआ है.
7 फरवरी दोपहर 3 बजे
सरकार की तरफ जानकारी दी गई कि मलारी को जोड़ने वाला पुल बह गया. ये पुल सरहद से सेना को जोड़ने का काम करता है. राहत-बचाव के लिए आईटीबीपी के रीजनल रिस्पांस सेंटर, गोचर से एक टीम को रवाना किया गया. इसके साथ ही आईटीबीपी की पर्वतारोही टीम के साथ तुरंत ब्रिज बनाने में माहिर जवान भी भेजा गया.
7 फरवरी 3.30 बजे
इस आपदा के बाद यूपी में भी अलर्ट जारी किया गया है. गंगा किनारे वाले जिलों में प्रशासन को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है. यूपी के बिजनौर, कन्नौज, फतेहगढ़, प्रयागराज, कानपुर, मिर्ज़ापुर, गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर, वाराणसी में हाई अलर्ट जारी किया गया.
7 फरवरी शाम 4 बजे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बात की. उन्होंने बचाव और राहत कार्य का जायजा लिया और अधिकारियों को पीड़ितों को हर संभव मदद देने का निर्देश दिया.
7 फरवरी शाम 5 बजे
चमोली आपदा को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हम उत्तराखंड में आई आपदा की जानकारी ले रहे हैं. हमारे अधिकारी वहां के अधिकारियों के संपर्क में हैं. गंगा नदी में तेज बहाव को लेकर अधिकारियों को सर्तक रहने को कहा गया है.
7 फरवरी शाम 5.19 बजे
पश्चिम बंगाल के हल्दिया में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तराखंड एक आपदा का सामना कर रहा है. मैं सीएम त्रिवेंद्र रावत, गृह मंत्री और एनडीआरएफ अधिकारियों के संपर्क में हूं. राहत और बचाव अभियान तेजी से चलाया जा रहा है.
7 फरवरी शाम 5.25 बजे
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना के जवानों ने तपोवन के पास एक टनल में फंसे लोगों को बचाने के लिए राहत-बचाव अभियान की शुरुआत की.
7 फरवरी शाम 5.51 बजे
युद्ध स्तर पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने राहत और बचाव कार्य करते हुए शाम 5.51 बजे तक 10 शवों को ढूंढ लिया था. इसके साथ ही राहत बचाव कार्यों में मदद के लिए एयरफोर्स ने स्टैंडबाय में चिनूक हेलीकॉप्टर को तैयार रखा था.
7 फरवरी शाम 6.17 बजे
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार अल्मोड़ा से तपोवन के आपदाग्रस्त इलाके के लिए रवाना हुए. ताजा हालत की जानकारी लेने के बाद डीजीपी ने पत्रकारों को बताया कि हरिद्वार और ऋषिकेश में बाढ़ का खतरा नहीं है. स्थिति सामान्य होने लगी है.
7 फरवरी शाम 6.26 बजे
आपदाग्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऋषिगंगा के रैणी गांव के दोनों तरफ हादसा हुआ है. पानी के सैलाब में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह बर्बाद हो गया. इस दौरान सीएम ने बताया कि अभी तक 7 शवों को बरामद किया गया है.