हैदराबाद : अमेरिका और जापान के बीच 75 साल पहले संबंध बेहद खराब थे. इसी साल हिरोशिमा और नागासाकी पर हुई परमाणु बमबारी की 75वीं वर्षगांठ है. 6 अगस्त 1945 को अमेरिकी वायु सेना ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए थे. अमेरिका और जापान ने 1945 की स्थिति के बाद अपने संबंधों को मजबूत किया है.
इस हमले के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था. चार साल पहले 1941 में जापानी वायुसेना ने अमरिकी बंदरगाह पर्ल हार्बर पर हमला कर दिया थी. इस हमले ने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में धकेल दिया. जापानी सरकार के कैबिनेट कार्यालय के सर्वेक्षण के अनुसार, 84 प्रतिशत लोग अमेरिका से संबंधों को अच्छा मानते हैं. वहीं 87 प्रतिशत लोगों को अमेरिका के साथ संबंध हितकारी लगते हैं. अमेरिका और जापान के मैत्री संबंधों का पहला चरण जापान के आत्मसमर्पण के बाद शुरू हुआ. जब जापान को एक नया संविधान मिला, जो तीन मई 1947 को प्रभावी हुआ. इसकी शर्तें काफी हद तक अमेरिकी प्रभाव से आईं. नए संविधान ने जापान की राजनीतिक संरचना का लोकतांत्रिककरण किया, उसने सम्राट हिरोहितो को मैकआर्थर की इच्छा के अनुसार देश के नेता के रूप में रखा. जापान के विशेषज्ञों ने कहा कि यदि सम्राट प्रणाली को खत्म किया जाता है, तो अराजकता फैलेगी.
अमेरिका ने जापान के संविधान में अनुच्छेद नौ नामक ऐसा पेंच डाल दिया कि वह कभी दोबारा हमला नहीं कर सका. बदले में अमरीका ने उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी अपने कंधों पर लेने का वादा भी किया. नौवें अनुच्छेद में दोटूक शब्दों में लिखा गया है कि 'जापानी जनता हमेशा के लिए राष्ट्र के युद्ध करने के संप्रभु अधिकार और अंतरराष्ट्रीय विवादों को ताकत के जोर पर हल करने की धमकी का त्याग करती है. जापान जल, थल और वायु सेना के साथ-साथ युद्ध का कारक बनने वाले किसी भी बल को धारण नहीं करेगा.'
इससे अमेरिका का सैन्य बल बढ़ गया. इसके तहत अमेरिका एशिया में कहीं भी सैन्य कार्रवाई करने के लिए अपने जापानी ठिकानों का उपयोग कर सकता है और अपने हथियार भी चुन सकता है.
साल 1951 में अमेरिका और जापान ने सैन फ्रांसिस्को में पीस ऑफ रिकॉन्सिलेशन (एक सुरक्षा संधि) पर हस्ताक्षर किए, जिससे जापान अमेरिकी कब्जे से मुक्त हो गया. 1960 में इस संधि पर फिर से विचार किया गया था. यह संधि अमेरिका और जापान के बीच आपसी सहयोग और सुरक्षा की बात करती है. इसके मुताबिक अमेरिका को जापान में मिलिट्री बेस की अनुमति मिली है. ऐसे में यदि जापान पर हमला होता है, तो अमेरिकी सैनिक उसकी सुरक्षा करेंगे.