नई दिल्ली : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका भारत को मल्टी लेटरल पार्टनर के रूप में महत्व देता है, चाहे वह क्वाड के माध्यम से हो, अफगान शांति वार्ता को सफल बनाने या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के आगामी कार्यकाल के दौरान एक साथ काम करने के लिए हो. हम UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेंगे.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क एरिजोना और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ एक संयुक्त बयान देते हुए कहा कि अमेरिकी और भारत न कि सिर्फ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खतरे, बल्कि सभी तरह के खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं.
पिछले साल हमने साइबर मुद्दों पर अपने सहयोग का विस्तार किया और हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास किया. हमारे नेता और नागरिक साफ तौर पर देख रहे हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी लोकतंत्र, कानून के शासन और पारदर्शिता का दोस्त नहीं है.
उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका न केवल चीन से निपटने के लिए, बल्कि सभी खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के लिए हर मुमकिन कदम उठा रहे हैं.
भारतीय सशस्त्र बल के जवानों के बलिदानों को याद करते हुए, पोम्पिओ ने कहा कि हमने भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर पुरुषों और महिलाओं को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा किया, जिन्होंने सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए बलिदान किया था. इनमें वह जवान भी शामिल थे, जिन्होंने हाल में चीन के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प में अपने प्राणों की आहूति दी.
पोम्पिओ ने दोहराया कि जब भी भारत अपनी संप्रभुता, स्वतंत्रता के लिए खतरों का सामना करेगा, अमेरिका उसके साथ खड़ा होगा. अमेरिकी अधिकारियों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता के सामने अपनी रणनीतिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत का दौरा किया है.
बता दें कि, उनकी दो दिवसीय यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब भारत-चीन के बीच सीमा पर गतिरोध चल रहा है. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने मंगलवार को विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ तीसरे दौर की भारत-यूएस 2 + 2 मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया.
विश्लेषकों का कहना है कि भारत-अमेरिका संबंध अधिक संस्थागत हो रहे हैं और 2 + 2 वार्ता दोनों देशों के बीच संबंधों के बड़े संस्थागतकरण होने का प्रतिबिंब हैं.
इस तरह के महत्वपूर्ण समय पर 2 + 2 भारत अमेरिकी बातचीत, रिश्ते को आगे ले जाने के लिए दो पक्षों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और साथ ही एक सामान्य समझदारी भी तय करता है, जो कि अमेरिकी चुनाव से पहले निर्धारित की गई है.
इससे पता चलता है दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहज हैं और भारत 'इलेक्टोरल साइकिल' से आगे निकल गया है. अब इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि सत्ता में बाइडेन आएं या अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की जीत हो.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में स्ट्रेटेजिक स्टडीज प्रोग्राम के निदेशक, अध्ययन और प्रमुख वी पंत ने ईटीवी भारत को बताया कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर दो अलग-अलग राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का एक ओर ही झुकाव है, इस मायने में यह भारत-अमेरिका संबंध के लिए आयाम है, जो अब अधिक संस्थागत हो गया है.