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संक्रमित गर्भवती महिलाओं के गर्भनाल पर कोरोना अटैक, शोधकर्ता चिंतित - शोधकर्ताओं

अमेरिका में नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस को लेकर 16 कोविड-19 गर्भवती महिलाओं पर एक अध्ययन किया है. अध्ययन में कोरोना पॉजिटिव महिलाओं के गर्भनाल (प्लेसेंटा) में घाव के सबूत पाए गए हैं. इसका मतलब यह हुआ कि अगर गर्भवती महिलाएं कोरोना पॉजिटिव पाई जाती हैं तो उन्हें विशेष उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

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Published : May 29, 2020, 12:31 PM IST

न्यूयार्क. कोविड-19 से ग्रसित गर्भवती महिलाओं के इलाज में क्या बदलाव लाए जा सकते हैं. क्योंकि एक नए अध्ययन में कोरोना से ग्रसित 16 महिलाओं के गर्भनाल (प्लेसेंटा) में चोट (घाव) के प्रमाण मिले हैं.

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो द्वारा आयोजित अध्ययन, अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल पैथोलॉजी में प्रकाशित हुआ था. जिसमें कथित तौर पर गर्भवती COVID-19 रोगियों में प्लेसेंटा के स्वास्थ्य की जांच करना सबसे बड़ा अध्ययन बताया गया.

कोरोना वायरस से ग्रसित 16 महिलाओं में से 15 ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. जबकि एक महिला का गर्भपात हो गया. हालांकि किसी भी शिशुओं में कोरोना पॉजिटिव के लक्षण नहीं पाए गए.शोधकर्ताओं ने कहा कि प्लेसेंटा में चोटों के सबूत मिलना इन मामलों में अजीब था क्योंकि अधिकतर बच्चों का जन्म नॉर्मल और प्रेग्नेंसी के फुल टर्म पूरा करने के बाद हुआ था.


इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को अन्य रोगियों की तुलना में अधिक बारीकी से निगरानी करने की आवश्यकता है.अध्ययन से जुड़े सह-लेखक डाक्टर एमिली मिलर का कहना है कि हम कोई डरावनी तस्वीर प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं. लेकिन यह निष्कर्ष चिंतित अवश्य कर रही हैं.

शोधकर्ताओं ने कहा कि एक तथ्य जो बेहद चिंतित करता है, वह यह कि प्लेसेंटा भ्रूण के लिए प्राकृतिक वेंटिलेटर के रूप में कार्य करता है और उसमें चोट का निशान मिलना चिंता का विषय है.

शोधकर्ताओं ने बताया कि शुरुआत में 16 गर्भवती महिलाओं में केवल चार में कोरोना के लक्षण पाए गए थे. प्रसव से पहले इनका कोरोना परीक्षण किया गया था.दूसरी महिलाओं में कोरोना पॉजिटिव के लक्षण तब पाए गए जब वे प्रसव के लिए आई थीं. जबकि पांच महिलाओं में कभी कोई कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दिए.

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